Doctors Strike in MP: कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर से कथित बलात्कार और हत्या के मामले में डॉक्टर्स की हड़ताल को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने हड़ताल खत्म करने पर डॉक्टर्स की सराहना की. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा, 'यह मुद्दा सिर्फ मध्य प्रदेश का नहीं, बल्कि पूरे देश और समाज से जुड़ा हुआ है. हड़ताल से ऐसी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता.'
कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए हम सभी गंभीर हैं. बता दें कि पिछली सुनवाई में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हड़ताल तत्काल वापस लेने के लिए निर्देश दिए थे. वहीं हाई कोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों की शिकायतों पर सुनवाई एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी है. यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने मंगलवार को हुई.
कोर्ट ने हड़ताल तत्काल वापस लेने के लिए दिए थे निर्देश
इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोलकाता में हुए दुष्कर्म मामले के संबंध में संज्ञान लेने के आधार पर जवाब के लिए समय मांगा गया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. जूनियर डॉक्टरों के वकील महेंद्र पटेरिया ने यह अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने मान लिया. हालांकि इससे पहले की सुनवाई में हाई कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन को अविलंब कार्य पर लौटने का निर्देश दिया था और शिकायतों पर 20 अगस्त को सुनवाई की बात कही थी. कोर्ट ने डॉक्टरों को यह भी निर्देश दिया था कि किसी भी जरूरतमंद मरीज को तत्काल इलाज और सहायता उपलब्ध कराई जाए.
HC ने 2023 में डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित किया था
मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा की अध्यक्षता में युगलपीठ ने इस मामले में नए पक्षकारों जैसे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, एमपी शासकीय-स्वाशासी चिकित्सक महासंघ, प्रांतीय संविदा मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन और जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन, मध्य प्रदेश को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था. पश्चिम बंगाल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में प्रदेश के डॉक्टरों द्वारा की गई हड़ताल को चुनौती देने वाली याचिका पर यह सुनवाई हो रही थी.
मरीज इलाज के लिए नहीं कर सकते इंतजार
याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी अंशुल तिवारी ने इस घटना के विरोध में देशभर के डॉक्टरों के आंदोलन का जिक्र किया था. हाई कोर्ट ने इससे पहले फरवरी 2023 में डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित किया था और एसोसिएशनों को बिना कोर्ट को सूचित किए सांकेतिक हड़ताल करने पर रोक लगा दी थी. इस मामले में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने मौखिक रूप से हड़ताल समाप्त करने का आश्वासन दिया था, लेकिन हड़ताल समाप्त करने के लिए दिन की मोहलत मांगी.
हाई कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मरीज इलाज के लिए दो दिन इंतजार नहीं कर सकते. कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ मध्य प्रदेश का नहीं, बल्कि पूरे देश और समाज से जुड़ा हुआ है. हड़ताल से ऐसी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता.
ये भी पढ़े: Flights Cancelled: उड़ान से 5 मिनट पहले बेंगलुरु जाने वाली फ्लाइट रद्द, यात्री हुए परेशान, जमकर किया हंगामा