
Gwalior Super Specialty Hospital: ग्वालियर अंचल के सबसे बड़े जेएएच अस्पताल परिसर में स्थित सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल 6 सालों में ही 'सुपर फ्लॉप' हो गया है. 2018 में 164 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुए इस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में अब मरीज से लेकर स्टाफ सब डरे-सहमे हुए हैं. इसका कारण हैं यहां आये दिन वार्ड में फॉल्स सीलिंग का गिरना... इतना ही अस्पताल में लगाए गए लिफ्ट भी अब खराब हो चुकी है.
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल जर्जर हालत में
बीस दिन में चार जगह की फॉल्स सीलिंग टूटकर गिर चुकी हैं. इसका भवन जर्जर होने की स्थिति में हैं. इस अस्पताल में 6 में से 4 लिफ्ट बंद पड़ी हुई है. दो में से एक लिफ्ट मरीजों के लिए है तो एक स्टाफ के लिए. इतना ही नहीं इसमें भी कहीं-कहीं पानी टपक रहा हैं.
सालों बाद भी कोई सुधार नहीं
साल 2018 में 164 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुए सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कोरोना के समय सितंबर 2019 में ओपीडी शुरू की गई थी. उस वक्त तत्कालीन डीन डॉ. भरत जैन और उसके बाद डीन डॉ. एसएन आयंगर ने एचएससीसी के अधिकारियों से कहा था कि जो कमियां हैं उसे दूर किया जाए, लेकिन छह साल बीतने के बाद भी कोई सुधार नहीं हो सका.
20 दिन में चार जगह टूटकर गिरी फॉल्स सीलिंग
कुछ दिन पहले रात में सर्जिकल गेस्ट्रो एंट्रोलॉजी वार्ड में एक बार फिर फॉल्स सीलिंग गिर गई. इस बार फॉल्स सीलिंग, जहां गिरी है वहां स्टाफ बैठता है. गनीमत रही कि जब यह फॉल्स सीलिंग गिरी थी, तब वहां कोई मौजूद नहीं था. इसी वार्ड में बीते दिन देर रात में फॉल्स सीलिंग गिर गई. इतना ही नहीं सुपर स्पेशलिटी अधीक्षक कार्यालय के बाहर भी बारिश का पानी टपक रहा है.
हॉस्पिटल के अधीक्षक ने बताया कि पीडब्ल्यूडी की टीम ने उन वार्डों का निरीक्षण किया है, जहां फॉल्स सीलिंग गिर गई है. खराब फॉल्स सीलिंग की जगह नई फॉल्स सीलिंग लगाए जाएंगे. इसके लिए 14 लाख रुपये का आकलन किया गया है.
इधर, गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ आरकेएस धाकड़ का कहना हैं कि ये बात सही हैं कि वहां फॉल्स सीलिंग में कुछ दिक्कत आयी है. दरअसल, अभी यह भवन उन्हें पूरी तरह से ट्रांसफऱ नहीं हुआ हैं. हम संबंधित विभागों से बात कर रहे हैं, ताकि व्यवस्थाएं ठीक कराई जा सकें.
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