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नौकरी पूरा करने के 2 साल पहले कर दिया रिटायर; पति की मौत के बाद पत्नी ने 9 साल लड़ा केस; अब कोर्ट ने ये कहा

MP High Court Order: जल संसाधन विभाग ने सुरेश श्रीवास्तव को 60 की उम्र में रिटायर किया था, जिसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट की में चुनौती देते हुए याचिका लगाई थी. केस की सुनवाई के ने दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी, इसके बाद नौ साल तक उनकी पत्नी ने केस लड़ा.

नौकरी पूरा करने के 2 साल पहले कर दिया रिटायर; पति की मौत के बाद पत्नी ने 9 साल लड़ा केस; अब कोर्ट ने ये कहा
MP High Court: पति की मौत के 9 साल बाद हाई कोर्ट में मिला पत्नी को न्याय

MP High Court News: जल संसाधन विभाग के एक कर्मचारी को अफसरों ने सेवकाल पूरा होने के दो साल पहले ही रिटायर कर दिया था. इसके बाद उसने इसके खिलाफ हाईकोर्ट मे याचिका दायर की गई, लेकिन ज़ब तक कोई फैसला हो पाता तब तक याची की मौत हो गई. हालांकि उसकी पत्नी ने अपने दिवंगत पति के साथ हुए अन्याय के खिलाफ लड़ने का फैसला किया और उसने केस लड़ा. नौ साल की लम्बी लड़ाई के बाद ग्वालियर जल संसाधन विभाग में टेलीफोन अटेंडेंट के पद से रिटायर्ड हुए स्वर्गीय सुरेश श्रीवास्तव हाई कोर्ट में केस जीत गए. आइए जानते हैं पूरी कहानी.

क्या है मामला?

जल संसाधन विभाग ने सुरेश श्रीवास्तव को 60 की उम्र में रिटायर किया था, जिसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट की में चुनौती देते हुए याचिका लगाई थी. केस की सुनवाई के ने दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी, इसके बाद नौ साल तक उनकी पत्नी ने केस लड़ा. हाई को कोर्ट ने विभाग को उन्हें दो साल का वेतन देने का आदेश दिया, यानी अब बिना काम किए उन्हें वेतन मिलेगा.

जनवरी 1984 से बतौर दैनिक वेतनभोगी जल संसाधन विभाग में सेवा देने वाले सुरेश श्रीवास्तव को अधिकारियो ने 2016 में रिटायरमेन्ट दे दिया था. इसको लेकर पीड़ित ने विभाग मे आवेदन भी दिए, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी गई. आखिरकर वे इसके खिलाफ हाई कोर्ट की शरण मे चले गए थे.

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में उन्होंने याचिका दायर कर बताया कि वे टेलीफोन अटेंडेंट हैं. सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट एमपीएस रघुवंशी ने नियमों का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया ये पद, चतुर्थ श्रेणी है. ऐसे में याची 62 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट होगा. वहीं विभाग ने तर्क दिया याची तृतीय श्रेणी कर्मचारी है, इसलिए 60 की उम्र में रिटायर किया. सुनवाई के दौरान कर्मचारी मृत्यु हो गई तो उनकी पत्नी ने केस लड़ा. 9 साल के लंबे अंतराल के बाद फैसला आया. इसमें हाई कोर्ट ने विभाग के निर्णय को गलत ठहराया. कोर्ट ने शासन को  कहाकि याची की पत्नी जो खुद केस लड़ रही हैं उन्हें दो साल का वेतन उपलब्ध कराये.

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