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This Article is From Mar 21, 2024

Loksabha election 2024: भोपाल का ये मोहल्ला है 'राजनीति की नर्सरी', सांसद से लेकर राष्ट्रपति तक निकले यहां से

लोकसभा चुनावों के बीच मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का एक मोहल्ला चर्चा में आ गया है. इस मोहल्ले का नाम है गुजरपुरा. BJP ने इस बार इसी मोहल्ले के रहने वाले आलोक शर्मा को भोपाल लोकसभा सीट का प्रत्याशी बनाया है. जिससे उनका मोहल्ला गुजरपुरा फिर से सुर्खियों में आ गया क्योंकि ये वही मोहल्ला है जहां से देश को राष्ट्रपति और भोपाल को तीन-तीन सांसद और कई विधायक मिले.

Loksabha election 2024: भोपाल का ये मोहल्ला है 'राजनीति की नर्सरी', सांसद से लेकर राष्ट्रपति तक निकले यहां से

Loksabha election 2024:पूरे देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंका जा चुका है...पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है जिसके लिए प्रत्याशी चुनाव प्रचार में उतर भी चुके हैं...इसी बीच मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का एक मोहल्ला चर्चा में आ गया है. इस मोहल्ले का नाम है गुजरपुरा. BJP ने इस बार इसी मोहल्ले के रहने वाले आलोक शर्मा (Alok Sharma) को भोपाल लोकसभा सीट (Bhopal Lok Sabha Seat) का प्रत्याशी बनाया है. जिससे उनका मोहल्ला गुजरपुरा फिर से सुर्खियों में आ गया क्योंकि ये वही मोहल्ला है जहां से देश को राष्ट्रपति और भोपाल को तीन-तीन सांसद और कई विधायक मिले. खुद आलोक शर्मा भी भोपाल के मेयर रह चुके हैं. अब तो लोग गुजरपुरा को राजनीति की नर्सरी तक कहने लगे हैं. 

इसी मोहल्ले के रहने वाले शंकर दयाल शर्मा  1992 से 1997 तक भारत के नौवें राष्ट्रपति रहे हैं. इससे पहले वे इसी सीट से तीन बार मध्यप्रदेश विधानसभा  (Madhya Pradesh Assembly)के लिए विधायक चुने गए थे. वे राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. इसके अलावा वे इंदिरा कैबिनेट में वे संचार मंत्री (1974-1977) रहे, 1971 और 1980 में उन्होंने भोपाल से लोकसभा की सीट जीती. 1985 से 1986 तक वे पंजाब के राज्यपाल रहे.अंतिम बार राज्यपाल का दायित्व उन्होंने 1986 से 1987 तक महाराष्ट्र में निभाया. शंकर दयाल शर्मा ने देश के तीन प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी, एचडी देवेगौड़ा और आइके गुजराल को शपथ दिलाई थी.

भोपाल के इस मोहल्ले का नाम है- गुजरपुरा. जहां से कई दिग्गज राजनेता निकले हैं.

भोपाल के इस मोहल्ले का नाम है- गुजरपुरा. जहां से कई दिग्गज राजनेता निकले हैं.

वैसे जब प्रदेश की राजधानी भोपाल बतौर संसदीय सीट अस्तित्व में आई तो इसकी पहली सांसद मैमूना सुल्तान चुनी गई. वो साल था 1957. मैमूना भी इसी इलाके की रहने वाली थीं और भोपाल से लगातार दो बार सांसद चुनी गई. मैमूना दो बार राज्यसभा के लिए भी चुनी गईं थीं.वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की पहली वाइस चांसलर भी रही हैं.उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया था. वे आईसीएस अधिकारी मोहम्मद असगर अंसारी की बेटी थीं.

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इसके अलावा इसी मोहल्ले के रहने वाले केएन प्रधान भी भोपाल सीट से सांसद रहे हैं. वे आठवीं लोकसभा के सदस्य थे. इससे पहले वे 1967 से 1972 और 1980 से 1985 तक मध्य प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे. उन्होंने 1969 से 1972 तक मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी काम किया. केएन प्रधान ने आखिरी बार 1984 में भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस को जीत दिलाई थी. इसके बाद 1989 से लेकर अबतक इस सीट पर बीजेपी को ही जीत मिलती रही है. साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह भी यहां कांग्रेस का परचम नहीं फहरा सके. फिलहाल बीजेपी ने आलोक शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है जो भोपाल के मेयर रह चुके हैं. यहां गौर करने वाली बात ये है कि आलोक भोपाल उत्तर सीट से विधानसभा में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं लेकिन तब उन्हें विफलता हाथ लगी थी. फिलहाल ये देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या गुजरपुरा एक बार फिर अपने मोहल्ले के नेता को सांसद बनाता है. 

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