
Madhya Pradesh News : मां शारदा (Maa Sharda) की नगरी और मध्य प्रदेश के नव गठित जिले मैहर (Maihar) में दबंगों के इरादे इतने बुलंद हैं कि वे सरकारी जमीन (Government Land) पर अवैध रूप से क्रेशर (Stone Crusher Plant) संचालित कर रहे हैं. इस संबंध में सरपंच द्वारा शिकायत भी दर्ज कराई गई है. लेकिन दिन, सप्ताह और महीने गुजर जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस संबंध में कलेक्टर (Collector) का कहना है कि पूरे मामले की विधिवत तरीके से जांच होगी, वहीं खनिज विभाग (Mining Department) और वन विभाग (Forest Department) के अधिकारी शक के दायरे में हैं.
पहले जानिए कहां का है ये मामला?
प्राप्त जानकारी के अनुसार मैहर के भटूरा पंचायत के अंतर्गत आने वाली नौगवां कांप गांव में आराजी नंबर 5/1 रकबा नंबर 18.992 जोकि वन विभाग की भूमि है, उस पर सुखदेव प्रसाद आनंद गोयनका कई वर्षों से अवैध रूप से क्रेशर संचालित कर रहे हैं. जिसकी शिकायत भटूरा सरपंच रवि शंकर शुक्ल द्वारा खनिज विभाग से की गई है. विभाग की ओर से कार्यवाही न होने पर तहसीलदार से शिकायत की गई. लेकिन 7 महीने बाद भी जब कार्यवाही की आशा नहीं दिखी. तब सरपंच ने नए जिले की कलेक्टर रानी बाटड़ को लिखित शिकायत की, इसके बाद कलेक्टर ने खनिज विभाग को इस संबंध में पत्र जारी कर जवाब तलब किया है.
यह क्रेशर शासकीय भूमि पर संचालित है, इसका खुलासा फॉरेस्ट विभाग व पटवारी के प्रतिवेदन से हुआ है. जिस जमीन पर क्रेशर संचालित है, वह आराजी नंबर 5/1 रकबा नंबर 18.992 मध्य प्रदेश शासन की वन भूमि पर संचालित है. लेकिन अजब बात यह रही कि सरपंच के शिकायत करने के 7 महीने बाद भी खनिज विभाग, फॉरेस्ट विभाग या अन्य प्रशासनिक किसी भी अधिकारी ने कार्यवाही करने की जरूरत नहीं समझी.
वन विभाग अधिकारी ने क्या कहा?
मैहर के वन विभाग (Forest Department Ranger) के रेंजर सतीश चंद्र मिश्रा से जब NDTV ने इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि मेरे पास शिकायत नहीं आई है, लेकिन कर्मचारियों को भेज कर मौके का मुआयना करवा रहे हैं.
पटवारी के दस्तावेज में दिखाई गई वन भूमि
सरपंच ने नवागत कलेक्टर रानी बाटड़ से शिकायत की जिस पर कलेक्टर ने सख़्ती दिखाई, इसके बाद खनिज विभाग ने पत्र जारी कर कलेक्टर को यह बताया कि उक्त क्रेशर शासकीय वन भूमि पर संचालित है. पटवारी द्वारा भी प्रतिवेदन बनाया गया जिस पर यह लिखा गया उक्त जमीन वन भूमि है. अब सवाल यह उठता है कि शिकायत के 7 महीने बाद भी अधिकारी कार्यवाही करने के लिए तैयार नहीं थे, जिससे संबंधित खनिज विभाग शक के दायरे पर है.
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