
World Cancer Day 2024: विश्व कैंसर दिवस के मौके पर हम आपको एक ऐसे शख्स से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्होंने एक नहीं, बल्कि 3-3 जानलेवा बीमारियों की तकलीफ झेली हैं. इनमें से 2 बीमारियां तो उन्हें थीं ही नहीं. वह तो डॉक्टरों की गलत जांच की वजह से महीनों ट्रीटमेंट का खर्च और मानसिक पीड़ा झेलते रहे.
यह कहानी है छतरपुर के रिटायर्ड बैंक मैनेजर जगपाल सिंह गौर की. 2017 में डॉक्टरों और अस्पताल कर्मियों की लापरवाही की वजह से उनका न केवल गलत इलाज हुआ, बल्कि उन्हें महीनों तक मानसिक वेदना झेलनी पड़ी. उन्हें पहले टीबी बताई गई, फिर HIV पॉजिटिव बताकर इलाज किया गया. बाद में सेकंड ओपिनियन लिया, तो पता चला कि उन्हें कैंसर है. अब जगपाल सिंह का कहना है कि अगर सही इलाज मिले और हिम्मत हो, तो जीवन सफल हो जाता है.
टीबी की दवा से नहीं हुआ फायदा तो बता दिया एचआईवी पॉजिटिव
जगपाल सिंह गौर बताते हैं कि जब मैं मध्य प्रदेश के गुना जिले के बजरंगगढ़ के ग्रामीण बैंक में सहायक प्रबंधक के तौर पर पदस्थ था, तो मुझे अक्सर थकान, सिरदर्द और बुखार जैसी समस्याएं रहतीं थीं. एक डॉक्टर रघुवंशी से मैंने चेकअप कराया. जांच के बाद उन्होंने मुझे ग्लैंड टीबी की बीमारी बताई और 6 महीने का कोर्स दिया. उन्होंने बताया कि मैंने टीबी की दवाइयां लेनी शुरू कर दीं, लेकिन, दवाएं लेने के बाद भी मुझे तकलीफ में राहत नहीं मिली. मैं फिर डॉक्टर से जाकर मिला और बताया कि दवाओं से फायदा नहीं हो रहा है. इसके बाद डॉक्टर ने मुझे एचआईवी की जांच कराने को कहा.
ऐसे आया एचआईवी पॉजिटिव रिपोर्ट
उन्होंने बताया कि इसके बाद मैं गुना जिला अस्पताल गया और वहां एचआईवी टेस्ट के लिए सैंपल दिया. उस दिन आईसीटीसी सेंटर का कर्मचारी छुट्टी पर था, तो दूसरे कर्मचारी ने मेरा सैंपल लिया उसी दौरान चार और लोगों के सैंपल लिए गए. बाद में मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई. फिर डॉक्टर ने मेरी टीबी की दवाएं बंद करा दीं और एचआईवी की दवा शुरू कर दी गई. उन्होंने बताया कि जब मैं दूसरे डॉक्टर को दिखाने गया, तो जांच में पता चला कि जिन बीमारियों का ट्रीटमेंट मुझे दिया जा रहा है. वो बीमारियां मुझे है ही नहीं. न मुझे टीबी थी और न ही एचआईवी. दरअसल, उन्होंने डॉक्टर की सलाह पर FNAC जांच कराई, तो पता चला कि कैंसर है. अब एक और नई बीमारी और मानसिक चुनौती मेरे सामने थी, लेकिन मुझे लगा कि जब दो बीमारियों में कुछ नहीं हुआ, तो अब कैंसर भी कुछ नहीं कर पाएगा.
बार-बार के जांच से थे परेशान
मुझे गर्दन पर गांठ, बुखार की समस्या थी. मैं इंदौर के हॉस्पिटल गया और वहां पीईटी-सीटी स्कैन कराया. 3 डॉक्टरों की टीम ने मेरी जांच की, लेकिन जांच के बाद भी डॉक्टर जब नतीजे पर नहीं पहुंच सके, तो फिर हम एक दूसरे डॉक्टर के पास गए. डॉक्टर ने कहा कि बायोप्सी करानी पड़ेगी. मैंने कहा डॉक्टर साहब एक बार में जितना जो करना है. कर दो. जहां से जो हिस्सा काटना है काट दो. मगर इन जांचों के चक्कर में लंबा टाइम मत लो.
6 घंटे तक चला कैंसर का ऑपरेशन
जगपाल ने बताया कि ऑपरेशन का वीडियो उनके आंखों के सामने चल रहा था. सुबह 8 बजे से दोपहर 2 तक ऑपरेशन चला. ऑपरेशन के बाद पत्नी बहुत घबराई हुई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. ऑपरेशन के बाद तीन महीने तक दबाए और घरेलू इलाज चलते रहे. इसके बाद जगपाल ने दोबारा जांच कराई और आज का समय है कि वह बिल्कुल स्वस्थ हैं.
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सही इलाज मिले और हिम्मत हो तो बच सकती है जीवन
जगपाल कहते हैं कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज सबसे नहीं मिल पाता. इसलिए जब भी पता चले कि इंसान को कैंसर है, तो तत्काल अच्छे अस्पताल की लिस्ट बनानी चाहिए. भोपाल में भी कई अस्पताल बड़े इलाज के लिए अच्छे हैं. सरकार भी 5 लाख तक की आर्थिक मदद कर रही है.
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