Japalpur Highcourt: मध्य प्रदेश में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले मेडिकल के छात्रों को ग्रामीण सेवा करना अनिवार्य है. इसके लिए सरकार ने बाकायदा नियम बनाए हैं. इसके मुताबिक, मेडिल में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद एक वर्ष तक ग्रामीण सेवा करना अनिवार्य है, जिसके लिए उन्हें बांड भी भरना पड़ता है. इसके साथ ही रिजल्ट जारी होने के 15 दिन के अंदर संबंधित कॉलेज यह सूचना सरकार को देती है और 3 महीने के अंदर उनकी पोस्टिंग कर दी जाती है.
दरअसल, मध्य प्रदेश में के ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी है. फिर भी 7 ऐसे डॉक्टर हैं, जिन्हें ग्रामीण सेवा पोस्टिंग नहीं दी जा रही है. इस कारण से न तो उन्हें डिग्री मिल रही है और न ही, वह भविष्य में आगे पढ़ने के लिए जा पा रहे हैं. सरकार की इस लापरवाही को तुषार शर्मा और 7 अन्य छात्रों ने कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने कोर्ट में बताया कि प्री पीजी के नियम 12 में कहा गया है कि मेडिकल छात्रों के अंतिम पीजी पेपर के परिणाम घोषित होने के 3 महीने के भीतर आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल को पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को मप्र के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण पोस्टिंग देनी होगी.
छात्रों ने सरकार की लापरवाही को कोर्ट में दी चुनौती
इन छात्रों को 6 सितंबर 2023 को पीजी कोर्स पूरा करने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य काम करने के लिए नियुक्ति नहीं मिली है. छात्रों ने कोर्ट से कहा है कि पोस्टिंग न मिलने से वे स्वचालित रूप से मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए अनिवार्य बंधन शर्तों से मुक्त हो जाते हैं. उन्हें न तो कोई ग्रामीण पोस्टिंग दी गई है और न ही मध्य प्रदेश राज्य या निदेशक चिकित्सा शिक्षा भोपाल की ओर से कोई एनओसी दी गई है. इसलिए परिणाम के 3 महीने के भीतर ग्रामीण पोस्टिंग प्रदान करने के लिए उत्तरदायी अधिकारीयों की चूक के कारण याचिकाकर्ताओं को आगे की पढ़ाई के स्वर्णिम वर्ष का नुकसान हो रहा है या डॉक्टर के रूप में समाज में शामिल नहीं हो पा रहे हैं.
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कोर्ट ने 4 सप्ताह में जवाब देने का दिया नोटिस
छात्रों की अपील पर मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने मध्य प्रदेश राज्य को नोटिस जारी कियाहै. याचिकाकर्ता की ओर से बहस करने वाले वकील आदित्य सांघी की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने डीएमई और आयुक्त स्वास्थ्य को जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है.
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