मध्य प्रदेश के सागर जिले का आस्था और परंपरा का संगम माने जाने वाला प्रसिद्ध देव खंडेराव अग्नि मेला बुधवार से ऐतिहासिक देव भूमि देवरी में प्रारंभ हो गया. पहले दिन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए 151 श्रद्धालुओं ने दहकते अंगारों पर नंगे पैर चलकर आस्था का अद्भुत प्रदर्शन किया. इन श्रद्धालुओं में 123 महिलाएं और 28 पुरुष शामिल थे. जैसे ही भक्तों ने अग्निकुंड में कदम रखे, ऐसा प्रतीत हुआ मानो तपते अंगारे आस्था के आगे फूल बन गए हों.

अद्भुत आस्था का यह नजारा देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ तिलक वार्ड स्थित प्राचीन देव खंडेराव मंदिर परिसर में पहुंची. लोगों ने “देव खंडेराव महाराज की जय” के जयकारों के साथ श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ाया.
400 वर्षों से निभाई जा रही परंपरा
दरअसल, प्रतिवर्ष अगहन सुदी चंपा षष्टी से प्रारंभ होने वाला यह अग्नि मेला करीब 400 साल पुरानी परंपरा है. बताया जाता है कि तिलक वार्ड स्थित यह मंदिर 15वीं से 16वीं शताब्दी के बीच निर्मित हुआ था, जहां आज भी श्रद्धा और विश्वास की यह अनोखी परंपरा निरंतर जारी है. दोपहर ठीक 12 बजे श्रद्धालुओं ने अग्निकुंड के अंगारों पर हल्दी छिड़कते हुए तीन बार अग्नि पथ पार किया. दोनों हाथों से हल्दी उड़ाते हुए और जयकारे लगाते हुए श्रद्धालु बिना भय और दर्द के अग्नि परीक्षा पूरी करते नजर आए.
अनुभव बताते श्रद्धालु
धधकते अंगारों पर चलकर बाहर निकलने वाले कई श्रद्धालुओं ने इसे चमत्कार बताया. उन्होंने कहा कि जब वे अग्नि पर कदम रखते हैं, तो आस्था उन्हें शक्ति देती है. इस दौरान न तो आग की तपन या दर्द का एहसास नहीं होता.