- नाम- जैनेंद्र कुमार निगम DSP (Deputy Superintendent of Police)
- राज्य- मध्य प्रदेश
- जिला- भिंड
- गांव- डोंगरपुरा
ये चार पॉइंट का परिचय है जैनेंद्र कुमार निगम का, जिन्होंने बीते दिनों MPPSC 2023 की परीक्षा में सफलता हासिल की और DSP बने. लेकिन, तमाम सफल कैंडिडेट की भीड़ में Jainendra Kumar Nigam की कहानी छिपी रह गई. अब जब यह सामने आई तो हैरान कर गई. जैनेंद्र कुमार निगम की सफलता की इस कहानी में क्या नहीं है, गरीबी, संघर्ष, अपराध, झूठे मुकदमे, मारपीट, जेल, राजनीति और कोर्ट-कचहरी के चक्कर. जला हुआ घर, अस्पताल में घायल माता-पिता और फिर वो सपना जो पिता खुद पूरा नहीं कर सके. लेकिन, अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी मां के हाथ पर लिखी उस कसम और जैनेंद्र कुमार निगम की जिद ने आज सब कुछ हासिल कर लिया है. NDTV ने इस सफलता को लेकर जैनेंद्र से बातचीत की, जिसमें उनकी ये कहानी सामने आई. वो लड़का जिसे गैंगस्टर-बदमाश बनाने की पूरी कोशिश हुई, जेल में अपराधियों के बीच में रहा, अब डीएसपी (Deputy Superintendent of Police) बनेगा. तो चलिए अब विस्तार से जानते हैं जैनेंद्र कुमार निगम की फिल्मी, लेकिन सच्ची कहानी...जो रुकना नहीं, हर परिस्थिति से लड़ना सिखाती है.

Jainendra Kumar Nigam bhind DSP Success Story: माता पिता के साथ जैनेंद्र कुमार निगम.
बचपन में पिता को MPPSC की तैयारी करते देखा, फिर पापा ने पूछा- DySP नहीं बनना क्या?
मध्य प्रदेश के भिंड जिले छोटे से गांव डोंगरपुरा में जन्मे जैनेंद्र कुमार निगम के दादाजी सुदामलाल बीएसएफ में थे. उनके पिता केशव कुमार भी पढ़े लिखे हैं. जैनेंद्र निगम जब समझदार हुए तो उन्होंने अपने पिता को MPPSC की तैयारी करते थे. उनके पिता ने 1996 से 2000 तक लगातार पांच बार मुख्य परीक्षा दी. इस दौरान पिता केशव ने अपने बेटे जैनेंद्र को MPPSC के बारे में जानकारी दी. वे खुद DySP बनना चाहते थे. लेकिन, कुछ दबंग लोगों ने उनके ऊपर झूठे केस दर्ज करा दिए. फिर बच्चों और परिवार की जिम्मेदारियों को निभामे ने उनका यह सपना पीछे छू्ट गया. इधर, धीरे-धीरे बड़े हो रहे जैनेंद्र बचपन में तो पढ़ाई में ठीक थे, लेकिन 12वीं के बाद उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया. जैसे-तैसे BSC पास करने के बाद, जैनेंद्र कुमार निगम ने Government MJS College Bhind में दाखिला लिया, यहां मौहाल मिलने पर जैनेंद्र ने एक बार फिर पढ़ाई शुरू की. 2015 में उन्होंने पुलिस आरक्षक भर्ती परिक्षा पास की और फिजिकल देने का इंतजार करने लगे और जब इसकी बारी आई पिता ने उनसे पूछा कि DySP नहीं बनना क्या? इस सवाल के जैनेंद्र नहीं जा पाए.
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DSP Jainendra Kumar Nigam Success Story
सब इंस्पेटर का फिजिकल नहीं दे पाए, शिक्षक खुद नहीं बने
दो साल बाद 2017 में जैनेंद्र कुमार निगम ने एमपी सब इंस्पेटर भर्ती परीक्षा पास की. फिजिकल से दो दिन पहले गांव के कुछ लड़कों ने बिना किसी कारण उनके साथ लड़ाई की. इस कारण जैनेंद्र फिजिकल देने नहीं जा पाए. एक बार मर्जी से फिजिकल देना छोड़ चुके जैनेंद्र से दूसरी बार किस्मत ने यह मौका छीन लिया. 2019 में जैनेंद्र ने शिक्षक भर्ती परीक्षा पास की, लेकिन ज्वॉइन नहीं किया.

Jainendra Kumar Nigam bhind DSP: दबंगों ने जलाया घर, मारपीट में घायल मां.
परिवार का बहिष्कार, जेल गए, कश्मीर तक पदयात्रा
14 अक्टूबर 2019 को जैनेंद्र और उनके परिवार की किस्मत एक बार फिर साथ छोड़ गई. दंबगों ने विवाद कर उनके घर को आग लगा दी. लूटपाट की, जमीन पर कब्जा किया गया. परिवार समेत जैनेंद्र के ऊपर झूठे केस दर्ज कराया दिया गए. इनता नहीं, परिवार का बहिष्कार कर दिया गया. साथ ही जैनेंद्र, उनके पिता केशव और भाई को जेल भेज दिया गया. कई दिन जेल में बिताने के बाद फूफा कविलाश और बुआ उर्मिला ने सभी की जमानत कराई. जेल से बाने के बाद जैनेंद्र के दिमाग में बस एक ही चीज थी, कुछ करना है, कुछ बड़ा करना है. पांच दिन बाद उन्होंने फैसला किया कि अपनी अलग छवि और राजनीतिक पार्टी बनानी है. इससे पहले पूरा भारत घूमना है. जेब में न तो पैसे थे और न ही खाने का ठिकाने, बस एक झोला और उसमे दो जोड़ी कपड़े. ये लेकर जैनेंद्र पदयात्रा पर निकल गए. सड़क किनारे जहां जगह मिली सो लिए, जो मिला मांगकर खा लिया. पैदल चलते-चलते और ऐसा करते-करते जैनेंद्र कश्मीर पहुंच गए. लेकिन, समय का चक्र एक बार फिर घूमा और 24 मार्च 2020 को कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया. नतीजन जैनेंद्र आगे नहीं जा पाए, सब कुछ बंद होने के कारण जैसे-तैसे वे वापस अपने गांव लौट आए.

DSP Jainendra Kumar Nigam Success Story: पुलिस की कैद में जैनेंद्र, उनके भाई और पिता.
फिर जेल जाना पड़ा, DySP बनने इंदौर पहुंचे
गांव में रहना आसान नहीं था, MPPSC बहुत पीछे छूट चुका था और पुलिस सुरक्षा में रहना पड़ा रहा था. इसी बीच अप्रैल 2020 में जैनेंद्र के माता-पिता के ऊपर फिर जानलेवा हमला हुआ. घर को आग लगा दी गई. परिवार और जैनेंद्र के ऊपर फर्जी FIR दर्ज की गई. एक बार फिर सभी को जेल भेज दिया गया. जेल में अपराधियों ने जैनेंद्र को भड़काने का प्रयास किया, अपने साथ मिलाने की कोशिश की. जैनेंद्र आठ जनवरी 2021 को जेल से छूटकर बाहर आए गए, लेकिन परिजन जेल में ही बंद थे. जेल से छूटकर बाहर आए जैनेंद्र अब ठान चुके थे कि DySP ही बनना है. अपनी बुआ उर्मिला से पैसे लेकर वे 11 जनवरी 2021 को इंदौर पहुंचे. दो महीने की कोचिंग के बाद ही कोरोना के कारण मार्च 2021 में एक बार फिर लॉकडाउन लग गया. इसके बाद उन्होंने इंदौर में ही रहकर पढ़ाई जारी रखी. 22 मई 2021 को पुलिस ने जैनेंद्र के खिलाफ हत्या के प्रयास (धारा 307) के तहत केस दर्ज कर लिया. लेकिन, इस दिन जैनेंद्र इंदौर में हॉस्टल में लगे सीसीटीवी में नजर आ रहे थे. लेकिन, अभी बहुत कुछ होना बाकी था.

Jainendra Kumar Nigam bhind DSP Success Story: जैनेंद्र निगम ने अस्पताल में भर्ती घायल मां की हथेली पर लिखी कसम.
अस्पताल में भर्ती मां की हथेली पर लिखा- DySP बनकर ही वापस आऊंगा
जून 2021 में दंबगों द्वारा जैनेंद्र के परिवार का एक्सीडेंट करा दिया गया. इस हादसे में भाई के पैर और मां की कमर की हड्डी टूट गई. पिता भी गंभीर रूप से घायल हो गए. सभी को इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया. जैनेंद्र इंदौर से दिल्ली पहुंचे तो परिजनों की हालत देखकर टूट की नहीं, डर भी गए. उन्हें लगा कि अब तो पूरा परिवार ही खत्म हो जाएगा. लेकिन, अस्पताल के बिस्तर पर लेटे पिता केशव ने उन्हें हिम्मत दी. बुआ और फूफा ने समझाया. तुम्हें हरना नहीं है, अभी बहुत कुछ करना है. इसी दिन जैनेंद्र ने गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती अपने मां की हथेली पर लिखा- मैं पूरी मेहनत करूंगा और DySP बनकर ही वापस आऊंगा. इसके बाद वे फिर इंदौर लौट आए.

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7 नवंबर 2025: जैनेंद्र बोले- पापा मैं DSP बन गया
मां को दी गई कसम पूरी करने के जैनेंद्र कुमार निगम पूरी मेहनत के साथ पढ़ाई में जुट गए. 2022 में उनका सहायक संचालक (School Education) पद पर चयन हुआ. MPPSC 2023 की परीक्षा दी. मैन्स एग्जाम के दौरान मलेरिया और टाइफाइड से जैनेंद्र बीमार पड़ गए. 11 से 16 मार्च 2024 तक मुख्य परीक्षा देते समय सुबह और शाम को ड्रिप लगवाकर पेपर लिखने गए. परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू में भी जी जान लगा दी. 7 नवंबर 2025 की शाम जब रिजल्ट आया तो उन्हें पिता की वो बात याद आ गई जो उन्होंने 2015 में पुलिस आरक्षक भर्ती का फिजिकल देने जाने पहले कही थी- DySP नहीं बनना क्या? इसके बाद जैनेंद्र ने तुरंत पिता को कॉल कर कहा- पापा मैं DSP बन गया.. इसके बाद कुछ देर के लिए खामोशी छा गई, क्योंकि पिता का भी गला भर आया था. जैनेंद्र ने अपना ही नहीं अपने पिता का भी सपना पूरा किया था. जैनेंद्र अपनी इस सफलता का श्रेय परिजनों, उनके प्रदीप सर श्रीवास्तव के अलावा मित्र अनूप, शैलेंद्र, अंकित, राहुल, यश, आदित्य, छोटू और ग्गिरवल को देते हैं, जिन्होंने यहां तक पहुंचने में उनका हर कदम पर साथ दिया.
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