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ऐसी भी क्या मजबूरी थी? शव को नसीब नहीं हुए चार कंधे, तो इस तरह निकली अंतिम यात्रा

MP News: सात दशक से इस इलाके में सड़क के लिए संघर्ष चल रहा है. हालत ऐसी है कि चार लोग किसी शव को कंधा देते हुए उसके अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं ले जा सकते हैं.

ऐसी भी क्या मजबूरी थी? शव को नसीब नहीं हुए चार कंधे, तो इस तरह निकली अंतिम यात्रा
खराब सड़क के कारण शव को लटकाकर ले जाने के लिए मजबूर हैं लोग

No Shoulder for dead: आमतौर पर मृतकों के शव सम्मान पूर्वक कंधों पर ले जाए जाते हैं, लेकिन मैहर (Maihar) जिले के सोनवारी गांव की विडंबना ऐसी है कि यहां लोगों की अंतिम यात्रा लटका कर निकालनी पड़ती है... दरअसल, पिछले सात दशक से यहां के लोग सड़क के लिए संघर्ष (Fight for Road Construction) कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार सिस्टम इस पर कोई गौर नहीं कर रहा है. लिहाजा, मजबूरी में लोगों को इस प्रकार से ही अंतिम यात्रा निकालनी पड़ रही है. 

पगडंडी से ही कर रहे हैं गुजारा

मैहर जिला मुख्यालय से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में एक पगडंडी है. जहां से एक साथ दो लोग चल नहीं सकते हैं. लिहाजा, ग्रामीणों ने कई बार सड़क बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन से मांग रखी मगर हर बार अनसुना कर दिया गया. पगडंडी की भी हालत ऐसी है कि एक साथ चार लोग इसपर नहीं चल सकते हैं.

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वायरल वीडियो से खुली पोल 

सोनवारी गांव के लोगों के लिए ऐसी घटनाएं सामान्य है, लेकिन जब कोई बाहरी व्यक्ति इन तस्वीरों को देखते हैं तो उन्हें हैरानी होती है. शनिवार को सोनवारी गांव का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ लोग एक मृतक का शव लेकर लटकाते हुए ले जा रहे हैं. जब ग्रामीणों से इस बारे में पूछा गया तो ग्रामीणों ने बताया कि यहां जब भी कोई मौत होती है तो इसी प्रकार से अंतिम यात्रा मजबूरी में निकालनी पड़ती है, क्योंकि सड़क पगडंडी के तौर पर है जहां से सम्मानपूर्वक शव यात्रा निकालना बेहद मुश्किल होता है.   

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