
Madhya Pradesh High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) की मुख्यपीठ में बुधवार 26 मार्च को एक अभूतपूर्व घटनाक्रम सामने आया, जब एक वकील ने अदालत (Court) की कार्यवाही के दौरान आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करते हुए न्यायपालिका की गरिमा पर प्रश्नचिह्न खड़े किए. वकील के इस व्यवहार को कोर्ट ने न्यायालय की अवमानना मानते हुए मामले को आवश्यक कार्रवाई के लिए चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के पास भेज दिया. इस घटनाक्रम ने एक बार फिर न्यायिक मर्यादा, वकालत की आचार संहिता और अदालत में भाषा व व्यवहार के महत्व पर चर्चा को जन्म दिया है. अब देखना यह होगा कि मुख्य न्यायाधीश इस मामले में क्या कदम उठाते हैं.
क्या है मामला?
पांढुर्णा में हुई एक मारपीट की घटना से जुड़ी फौजदारी रिवीजन याचिका की सुनवाई जस्टिस अनुराधा शुक्ला की एकलपीठ में चल रही थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पी.सी. पालीवाल ने अदालत की कार्यवाही पर असहमति जताते हुए अभद्र भाषा का प्रयोग किया. उन्होंने कहा, "इस कोर्ट में चार घंटे से तमाशा चल रहा है. मैं देख रहा हूं, कुछ निष्कर्ष नहीं निकल रहा. हाईकोर्ट के जज बाहर जाकर कहते हैं कि नए जजों की नियुक्ति करो, लेकिन यहां की स्थिति देखिए. पेंडेंसी बढ़ रही है और हमें परेशान किया जा रहा है. आज शाम मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलकर इसकी जानकारी दूंगा."
कोर्ट की कड़ी प्रतिक्रिया
जस्टिस अनुराधा शुक्ला ने अधिवक्ता के व्यवहार को गंभीरता से लेते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी न्यायपालिका की गरिमा के प्रतिकूल है और यह स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना के दायरे में आती है. उन्होंने आदेश दिया कि इस प्रकरण की प्रमाणित प्रति मुख्य न्यायाधीश को भेजी जाए ताकि वे इस पर उचित निर्णय ले सकें. इसके साथ ही मामले की आगे की सुनवाई स्थगित कर दी गई.
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