Collector Turns Teacher: छतरपुर जिले में एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जब कलेक्टर पार्थ जैसवाल प्रशासनिक अधिकारी नहीं, बल्कि शिक्षक की भूमिका में नजर आए. ग्राम वीरों स्थित शासकीय माध्यमिक शाला के औचक निरीक्षण के दौरान वे सीधे कक्षा में पहुंचे और बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. इस दौरान एक छात्र ने पूछा कि आप कलेक्टर कैसे बन गए? इसका जवाब कलेक्टर ने मुस्कुराते हुए दिया.
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने सबसे पहले स्कूल में बच्चों की कम उपस्थिति पर नाराज़गी जताई. उन्होंने शिक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिया कि छात्रों की उपस्थिति और अनुशासन में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
कक्षा में बैठकर खुद लेने लगे क्लास
कलेक्टर पार्थ जैसवाल कक्षा आठवीं के क्लास रूम में पहुंचे और शिक्षक बनकर बच्चों से सवाल पूछने लगे. उन्होंने छात्रों से बोर्ड पर सवाल हल करवाए और गणित जैसे विषय पर विशेष ध्यान दिया. बच्चों ने कहा कि पहली बार किसी कलेक्टर से सीधे पढ़ाई कर बहुत उत्साह महसूस हुआ.
'आप कलेक्टर कैसे बने?'
कलेक्टर पार्थ जैसवाल से छात्र सरोज रजक ने पूछ कि 'आप कलेक्टर कैसे बने?' जिस पर कलेक्टर ने बताया कि कलेक्टर बनने के लिए मन लगाकर पढ़ाई करना पड़ती है, लक्ष्य बनाकर काम करना पड़ता है. इसके बाद क्लास में मौजूद बच्चों के चेहरों पर मुस्कान आ गई.
मध्याह्न भोजन और गणवेश की जानकारी
जैसवाल ने छात्रों से सीधे संवाद करते हुए पूछा कि उन्हें मध्याह्न भोजन और गणवेश के पैसे समय पर मिल रहे हैं या नहीं. छात्रों ने बताया कि उन्हें 600 रुपए गणवेश के लिए खातों में प्राप्त हो चुके हैं. इस पर कलेक्टर ने आदेश दिया कि सभी बच्चे विद्यालय की ड्रेस में ही स्कूल आएं.
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कक्षा 7वीं और 8वीं के छात्रों से सीधा संवाद
कलेक्टर ने कक्षा 7वीं के छात्र राजाराम लोधी को गुणनखंड सिखाया, वहीं 8वीं की छात्रा सरोज रजक से “आकाश” का पर्यायवाची पूछा. छात्रा ज्योति से “अश्व” का पर्याय भी पूछा गया. उनका यह सीधा संवाद बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला साबित हुआ.
अंत में दिया शिक्षा सुधार का संदेश
निरीक्षण के समापन पर कलेक्टर ने शिक्षकों से कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि बच्चे सिर्फ स्कूल आएं, इतना काफी नहीं, बल्कि सीखना भी जरूरी है और इसके लिए सिस्टम पहले खुद सक्रिय होना चाहिए.
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