चिल्ड्रन बुक हाउस (Children Book House) के प्रोपराइटर सूर्यकांत शर्मा को अदालत से झटका लगा है. अपर सत्र न्यायाधीश संजोग सिंह बाघेला की अदालत उसकी दूसरी जमानत अर्जी निरस्त कर दी है. मामला फर्जी आईएसबीएन नंबर की पुस्तकें बेचने के आरोप से संबंधित है. इससे पूर्व 31 मई को पहली जमानत अर्जी निरस्त की गई थी.
बुक हाउस का संचालक किताबों के वसूल रहा था अधिक दाम
अभियोजन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक अरविंद जैन ने पक्ष रखा. उन्हाेंने दलील दी कि आरोपित ने फर्जी आईएसबीएन नंबर की पुस्तकें बेचकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया है. साथ ही अर्नगल लाभ अर्जित किया है. आरोपित आरोपी बड़े बुक शॉप का संचालक है. जिसके खिलाफ चार थानों में प्रकरण दर्ज किया गया है. आरोप है कि फर्जी आईएसबीएन नंबर की पुस्तकें बेचकर अकूत काली कमाई की है.
कैसे हुआ चिल्ड्रन बुक हाउस के फर्जीवाड़े का खुलासा?
कलेक्टर के निर्देश पर हुई जांच उपरांत उक्त फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था. जिस पर स्कूल प्राचार्य की शिकायत पर चिल्ड्रन बुक हाउस के संचालक सूर्यप्रकाश वर्मा के खिलाफ ओमती थाने में विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था. सुनवाई के बाद अदालत ने पूरे मामले का अवलोकन करने के बाद दायर दूसरा जमानत आवेदन भी निरस्त कर दिया.
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अदालत ने क्या कहा?
शहर के बहुचर्चित बुक्स घोटाले में गिरफ्तार पुस्तक विक्रेताओं को फिलहाल कोर्ट से राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने कहा कि निजी पब्लिशर्स की किताबों में फर्जी आईएसबीएन अभिभावकों से चीटिंग के तथ्य अपराध की श्रेणी में आते हैं, इसलिए राहत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले की जांच अभी शैशव अवस्था में है. यदि अंतरिम राहत दी जाती है तो जांच प्रभावित होगी. कलेक्टर की रिपोर्ट पर उनके खिलाफ किताबों में फर्जी आईएसबीएन नंबर, विद्यार्थियों को विशेष पुस्तर विक्रेता से बुक्स खरीदने बाध्य करना आदि आरोपों को लेकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. उनकी गिरफ्तारी कर ली गई है.
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