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Chhath Puja 2023: निमाड़ में ऐसे हुई लोक आस्था के पर्व छठ की शुरुआत, बिहार से आती है पूजन सामग्री

Chhath Puja 2023: खंडवा के गणगौर घाट पर इस पर्व का आयोजन किया जाता है. गणगौर घाट (Gangaur Ghat) पर ही निमाड़ का प्रसिद्ध गणगौर पर भी मनाया जाता है.

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Chhath Puja 2023: निमाड़ में ऐसे हुई लोक आस्था के पर्व छठ की शुरुआत, बिहार से आती है पूजन सामग्री

Chhath Puja 2023: लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath) देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसी सिलसिले में छठ पर्व की धूम मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खंडवा (Khandwa) में भी देखने को मिली. खंडवा में बड़ी संख्या में यूपी और बिहार से आए लोग रहते हैं. पहले यह लोग अपने घरों की छत पर या कॉलोनी में ही छठ पर्व का आयोजन करते थे, लेकिन अब बड़े स्तर पर यहां छठ मनाया जाने लगा है. निमाड़ में चार परिवारों से शुरू हुआ यह पर्व अब 200 परिवारों के साथ मनाया जाने लगा है. छठ पूजन में लगने वाली सामग्री बिहार और यूपी से आती है. बता दें कि खंडवा के गणगौर घाट पर इस पर्व का आयोजन किया जाता है. गणगौर घाट (Gangaur Ghat) पर ही निमाड़ का प्रसिद्ध गणगौर पर भी मनाया जाता है. एक तरह से यह दो संस्कृतियों के मिलन के रूप में भी देखा जा सकता है.

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बता दें कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार (Bihar) और झारखंड (Jharkhand) में प्रमुखता से चार दिन तक मनाये जाने वाले इस पर्व की शुरुआत इस बार 17 नवंबर से हुई, जिसके बाद रविवार को इस पर्व के तीसरे दिन महिलाओं के द्वारा सूर्य को अर्ध्य दिया गया. वहीं सोमवार की सुबह उगते हुए सूर्य को गंगा जल अर्पित कर इस पर्व का समापन किया जायेगा. 

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बिहार से आती है पूजन सामग्री 
छठ पर्व पर छठी मैय्या की पूजा की जाती है. छठी मैय्या के पूजन के लिए सूप, टोकनी, अक्खा नारियल और अलग अलग प्रकार के फलों सहित गंगा जल और गंगा नदी की मिट्टी का उपयोग किया जाता है. इस पूजन सामग्री में अधिकतर सामग्री तो खंडवा के बाजारों में मिल जाती है, लेकिन खड़ा नारियल सहित गंगा जल और गंगा नदी की मिट्टी उत्तर प्रदेश और बिहार से मंगाई जाती है. पूजन के समय पूजा के लिए जो बेदी बनाई जाती है, वह गंगा की मिट्टी से ही बनाते हैं. वहीं सूर्य नारायण को अर्घ्य देने के लिए गंगा जल का उपयोग किया जाता है. इस पर्व पर विशेष प्रकार का प्रसाद भी बनाया जाता है, जिसे छठ पर्व सम्पन्न होने पर वितरण किया जाता है. 

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निमाड़ में ऐसे हुई शुरुआत 
उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले पंडित प्रशांत शर्मा ने बताया कि कुछ साल पहले तक यहां रहने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग अपने घरों की छत और आंगन में ही टब में पानी भरकर छठ पर्व मनाते थे. जिसके बाद धीरे-धीरे कुछ लोग जुटे और आबना नदी के किनारे छठ पर्व मनाने की शुरुआत हई. वहीं छठ पर्व के आयोजन समिति में शामिल एम जे श्रीवास्तव ने बताया कि कुछ साल पहले वे बाजार में छठ पर्व मनाने के लिए सूप खरीदने गए थे, तब सूप बेचने वाले ने उन्हें बताया था कि आज बड़ी संख्या में लोग सूप खरीदकर ले जा रहे हैं. जिसके बाद उन्होंने अपने तरफ के लोगों को जोड़कर एक व्हाट्सएप का ग्रुप बनाया. धीरे-धीरे इसमें 200 से ज्यादा परिवारों के लोग जुड़ते चले गए.

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आज हमें यह लगता ही नहीं है कि हम अपने प्रदेश से दूर हैं. उन्होने कहा कि स्थानीय प्रशासन और नगर निगम ने हमारी आस्था को देखते हुए यहां बेहतर व्यवस्था की है. आज हम यहां गणगौर घाट पर बड़ी संख्या में जुटकर लोक आस्था के इस पर्व को मनाते हैं, जिसमे स्थानीय लोग भी हमारा सहयोग करते हैं.

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