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एमपी में यहां तैयार होगा 'विरासत वन्य', जानें क्या-क्या होगा खास

Chhatarpur News: छतरपुर नगर परिषद खजुराहो बड़ी तैयारी में है. 17 एकड़ भूमि में 12 करोड़ रुपये की लागत से विरासत वन्य तैयार किया जाएगा. जानें कितना अहम होगा ये विरासत वन्य.

एमपी में यहां तैयार होगा 'विरासत वन्य', जानें क्या-क्या होगा खास
खजुराहो में 12 करोड़ रुपये से तैयार किया जा रहा विरासत वन्य.

MP News In Hindi: मध्य प्रदेश के छतरपुर नगर परिषद खजुराहो के तहत खरोही में 17 एकड़ जमीन पर विरासत वन्य बनाया जा रहा है. इस वन में विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे औषधीय और पौराणिक महत्व के पौधों का लगाने की तैयारी है. विरासत वन में अगले एक माह के दौरान पौधों का रोपण कर दिया जाएगा.

यहां ये वन्य होंगे तैयार

विरासत वन्य को भारतीय सांस्कृतिक वन्य में मुख्य रूप से विकसित किया जा रहा है. इस वन्य में क्षेत्रीय संस्कृति के अनुसार प्रतिमाएं, वृक्ष नक्षत्र वन्य, नकाह पंचवटी वन्य, तीर्थंकर वन्य, सप्त जाएंगे. ऋषि वन्य, श्री पर्णी वन्य, चरक आरोग्य यति वन्य शामिल है. इसके अलावा इन बन के अंदर ओपन चिल्ड्रन एक्टिविटी, कुंड पार्क, गजिबो ओपन एयर थिएटर भी बनाए जाएंगे. नवग्रह वन्य, नक्षत्र वन्य, राशि वन्य और पंचवटी वन्य भी निर्मित किए जाएंगे.पार्किंग जोन और पर्यटकों के लिए फूड कोर्ट भी होंगे.

इस वन्य में खजुराहो के चंदेल कालीन मंदिरों की झलक भी देखने को मिलेगी. खजुराहो में औषधि से संबंधित पौधों के रोपण के साथ ही ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के वन्य से पौधे लाकर विकसित किए.

करीब 12 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान

खजुराहो रेंजर लब प्रताप सिंह ने बढ़ाया कि विरासत वन्य को विकसित किए जाने की योजना विशेष प्लान के तहत काम किया जा रहा है. मौका स्थल पर लेआउट के तहत काम किया जा रहा है. इस वन्य को 2 वर्ष के अंदर विरासत वन को विकसित किया जाना है, अभी 2 करोड़ रुपये पहली किस्त के रूप में आ चुके हैं.एनवायरमेंट प्लानिंग एंड कोआर्डिनेशन संगठन (एप्को) की मदद से वन्य विभाग ने डीपीआर तैयार की है. इस पर करीब 12 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.

बुंदेलखंड की संस्कृति का होगा प्रदर्शन

विरासत वन्य की स्थापना का उद्देश्य बुंदेलखंड की कला संस्कृति संस्कार और औषधीय संरक्षण को प्रदर्शित करना है. इस स्थल पर ऐसे पौधों को संरक्षित करना है, जो ग्रह-नक्षत्र, संस्कृति-कला, संस्कृति-संस्कार, तीज-त्योहार, व्यंजन-प्यार संस्कृतियों को जीवित रखें. चेतन (मनुष्य) और पौधे (जड़) एक दूसरे के पर्याय हैं.

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इनके लिए विशेष इंतजाम होंगे

अतः इस विरासत वन्य में उन पौधों को जो भोजन औषधि एवं जन्म से मृत्यु तक मनुष्य का साथ देते हैं को संरक्षित पल्लवित एवं पोषित इनके साथ जीवन ऊर्जा विकसित की जा सकेगी. इसमें बच्चों बुजुर्ग और नेचर लवर के लिए विशेष इंतजाम होंगे. 17 एकड़ में बनने वाले इस वन्य में आध्यात्मिक वन्य, नक्षत्र वन्य, राशि वन्य, विरासत वन्य, आरोग्य वन्य, लक्ष्मी वन्य तीर्थंकर वन्य और गोकुल वन्य भी आकार लेंगे.

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