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बैतूल में पत्थर खनन के लिए किया जा रहा है खतरनाक तरीके से ब्लास्ट, जिससे डैम को है बड़ा खतरा...

परेशान किसान कई बार कलेक्टर और खनिज अधिकारी से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हो रही है. किसानों की माने तो क्रेशर संचालक पत्थर निकालने के लिए 8 इंच का होल करके उसमें ब्लास्टिंग करता है. जिससे डैम को भारी नुकसान पहुंच सकता है. वहीं पत्थर खदान के पास ही स्थित किसानों के खेतों में भी ब्लास्टिंग के पत्थर आने से नुकसान के साथ ही किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

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बैतूल में पत्थर खनन के लिए किया जा रहा है खतरनाक तरीके से ब्लास्ट, जिससे डैम को है बड़ा खतरा...
अधिकारियों से शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के बैतूल (Betul) में क्रेशर मालिक ने पत्थर खनन के लिए नियमों को दरकिनार कर दिया है. उत्खनी पट्टा क्षेत्र में 8 इंच का होल बनाकर ब्लास्टिंग की जा रही है. जहां से एक तरफ डैम के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ सिंचाई के लिए बनाए गए बांध का वाटर लेवल लगातार नीचे जा रहा है. जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है.

क्रेशर संचालक धड़ल्ले से कर रहे हैं ब्लास्टिंग

ये मामला बैतूल के कोलगांव स्थित संजय भावसार स्टोन क्रेशर का है. यहां लगातार शिकायतों और जल संसाधन विभाग की आपत्ति के खिलाफ जाकर गिट्टी क्रेशर संचालक धड़ल्ले से ब्लास्टिंग करने में लगे हुए हैं. जल संसाधन विभाग ने बांध से 200 मीटर के अंदर होने के कारण क्रेशर संचालक को खदान में ब्लास्टिंग करने की अनुमति नहीं देने की अनुशंसा की थी. इसके बावजूद भी क्रेशर संचालक बेखौफ ब्लास्टिंग के काम में लगा हुआ है.

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शिकायत के बाद भी नहीं हो रही कोई कार्रवाई

परेशान किसान कई बार कलेक्टर और खनिज अधिकारी से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हो रही है. किसानों की माने तो क्रेशर संचालक पत्थर निकालने के लिए 8 इंच का होल करके उसमें ब्लास्टिंग करता है. जिससे डैम को भारी नुकसान पहुंच सकता है. वहीं पत्थर खदान के पास ही स्थित किसानों के खेतों में भी ब्लास्टिंग के पत्थर आने से नुकसान के साथ ही किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. मामले की शिकायत किसान कई बार अधिकारियों से कर चुके हैं. इस मामले में खनिज अधिकारी का कहना है कि वे मौके पर टीम भिजवा कर पूरे मामले की जांच करवाएंगे. नियमानुसार खदान संचालित नहीं मिलने पर गौण खनिज नियम 96 के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

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