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Ijtima 2025: लाखों मुसलमान इज्तिमा में क्यों आते हैं, क्या बातें करते हैं?

Bhopal Ijtima 2025 आज 14 नवंबर से ईंटखेड़ी (Eintkhedi) में शुरू हो गया है, जहां करीब 15 लाख मुसलमान (Muslims) देश-विदेश से जुटेंगे. यह आलमी तब्लीगी इज्तिमा (World Islamic Congregation)  तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) द्वारा आयोजित किया जाता है. आइए, जानते हैं इसका मकसद क्या होता है?

Ijtima 2025: लाखों मुसलमान इज्तिमा में क्यों आते हैं, क्या बातें करते हैं?

Bhopal Ijtima 2025: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आज 14 नवंबर से इज्तिमा 2025 शुरू हो गया है. यह तबलीगी इज्तिमा 17 नवंबर को सामूहिक दुआ के साथ खत्म होगा. इस बार bhopal Ijtima 2025 में करीब 15 लाख लोगों के जुटने की उम्मीद जताई जा रही है. ऐसे में सबके मन में एक सवाल जरूर आता है कि Ijtima में लाखों मुसलमान क्यों आते हैं और वे क्या बातें करते हैं? आइए, इन सवालों के जवाब हम आपको देते हैं.

दरअसल, इज्तिमा हिंदुओं के महाकुंभ की तरह एक इस्लामी समागम हैं. इसमें दुनिया भर से लाखों मुसलमान आते और एक जगह इकट्ठा होते हैं. इस आयोजन का पूरा फोकस इस्लाम पर होता है, यहां इस्लामी धर्म की तालीम दी जाती है. मुस्लिम धर्म के बड़े-बड़े विद्वान और मौलवी यहां भाषण देकर अपने समुदाय के लोगों को जागरुक करते हैं. इस्लाम का सही तरीके को लेकर मार्गदर्शन करते हैं. यहां भाईचारे का संदेश दिया जाता है और रोज़े और नमाज़ का महत्व समझाया जाता है. कुल मिलाकर इज्तिमा का पूरा फोकस इस्लाम, शांति, सादगी और नैतिकता पर होता है, यहां न तो किसी तरह के सांप्रदायिक मु्द्दे पर चर्चा होती है और न ही राजनीति पर.

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देश ही नहीं विदेश से भी आते हैं लोग

भोपाल का इज्तिमा सिर्फ प्रदेश या भारत तक सीमित नहीं है. यहां देश के अलग-अलग राज्यों के अलावा विदेशों से भी मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल होते हैं. इनमें नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया, साऊदी अरब समेत 15 देश भी शामिल हैं. धार्मिक तकरीरें, दुआ और नमाज के साथ ही यहां आखिरी दिन आखिरी दुआ होती है, जिसमें पूरी दुनिया में अमन कायम रहने की दुआ की जाती है.

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भोपाल इज्तिमा का इतिहास

  • शुरुआत 1947 में – आलमी तब्लीगी इज्तिमा की शुरुआत 1947 में भोपाल की शकूर मस्जिद से हुई थी. उस समय पहले इज्तिमा में सिर्फ 13 लोग शामिल हुए थे.
  • मौलाना मिस्कीन साहब की पहल – इस धार्मिक जमावड़े की नींव मौलाना मिस्कीन साहब ने रखी थी. उनका उद्देश्य था लोगों को इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं से जोड़ना और आपसी भाईचारा बढ़ाना.
  • ताजुल मसाजिद में विस्तार – जैसे-जैसे लोगों की भागीदारी बढ़ी, 1971 से 2002 तक इसका आयोजन भोपाल की मशहूर ताजुल मसाजिद में किया जाने लगा.
  • ईंटखेड़ी में आयोजन (2003 से) – भीड़ और जगह की कमी के कारण 2003 से इज्तिमा को ईंटखेड़ी के विशाल मैदान में आयोजित किया जाने लगा, जो अब एक अस्थायी शहर जैसा नजर आता है.
  • तीन देशों में होता है आयोजन – तब्लीगी जमात की देखरेख में होने वाला यह धार्मिक समागम दुनिया के तीन देशों में आयोजित होता है. इनमें भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल हैं.

Bhopal Ijtima 2025: इज्तिमा का मतलब क्या? यह क्यों होता है, यहां सबकुछ जानिए

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