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Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन में पुनश्च कृष्ण की प्रस्तुति, दिव्यता और मानवीय प्रश्नों का दिखा ऐसा संगम

Bharat Rang Mahotsav Bhopal: पुनश्च कृष्ण दिव्यता और मानवीयता, पौराणिकता और आधुनिकता का अद्वितीय मेल है. जबकि प्रस्तुति और परिष्कृत हो सकती थी, इसकी आकांक्षा और भावनात्मक गहराई को नकारा नहीं जा सकता.

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन में पुनश्च कृष्ण की प्रस्तुति, दिव्यता और मानवीय प्रश्नों का दिखा ऐसा संगम
Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में नाटक पुनश्च कृष्ण का मंचन

Bharat Rang Mahotsav 2025: इन दिनों 25वें भारत रंग महोत्सव के अंतर्गत, भोपाल के भारत भवन (Bharat Bhavan) में 5-दिवसीय नाटक उत्सव आयोजित हो रहा है. इस महोत्सव के दूसरे दिन, पुनश्च कृष्ण (Punashch Krishna) ने दर्शकों को दिव्यता और दर्शन की गहराइयों में डुबो दिया. श्रीलंका के नाटक सिंधु किरिली 2 के न पहुंच पाने की अप्रत्याशित स्थिति में, नाटक पुनश्च कृष्ण को मंचित किया गया. इस नाटक की रचना डॉ रमा यादव ने की है और निर्देशन किया है मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के निदेशक टीकम जोशी ने. यह प्रस्तुति रंग प्रयोगशाला द्वारा तैयार की गई थी, जो हर मायने में विशेष रही. यह नाटक दिव्यता और मानवीय प्रश्नों का ऐसा संगम था, जो द्वापर और कलियुग के बीच के पुल का प्रतीक बन गया.

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में पुनश्च कृष्ण नाटक का मंचन

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में पुनश्च कृष्ण नाटक का मंचन

प्रश्नों और कलाओं के माध्यम से कृष्ण की व्याख्या दिखी

श्रीलंका के नाटक सिंधु किरिली 2 के न पहुंचने की स्थिति में, पुनश्च कृष्ण को अल्प समय में प्रस्तुत करना एक चुनौती थी, लेकिन निर्देशक टीकम जोशी और उनकी टीम ने इसे एक अवसर में बदल दिया. नाटक ने दर्शकों को श्रीकृष्ण के दर्शन और मानवीय दृष्टिकोण की गहराइयों तक पहुंचाया. नाटक का आरंभ वर्तमान के वृंदावन में कृष्ण और उनके सखाओं की बातचीत से होता है. मित्र, जैसे अनंत सत्य की खोज में यात्री हों, कृष्ण से उनके दर्शन के बारे में प्रश्न करते हैं. पुनश्च कृष्ण महाभारत, भगवद गीता और श्रीकृष्ण के ज्ञान का एक गहन चित्रण प्रस्तुत करता है.

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में पुनश्च कृष्ण नाटक का मंचन

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यह संवाद केवल दोस्ताना चर्चा नहीं है, बल्कि जीवन और दर्शन के गंभीर प्रश्नों का द्वार खोलता है. मित्र कृष्ण से उनके दर्शन, जीवन की गहराइयों और भगवद गीता में व्यक्त ज्ञान के बारे में सवाल करते हैं.  
Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में पुनश्च कृष्ण नाटक का मंचन

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में पुनश्च कृष्ण नाटक का मंचन

कहानी में मां यशोदा द्वापर से कलियुग तक अपने कान्हा की प्रतीक्षा करती दिखाई गई हैं. कृष्ण के हस्तक्षेप के बिना महाभारत का युद्ध क्यों नहीं टला? कर्ण के अंतहीन प्रश्न, मीरा की भक्ति, बलराम के भाईचारे की गहराई, गांधारी का आक्रोश, अम्बा का संघर्ष और राधा का प्रेम—हर पात्र अपने-अपने दृष्टिकोण से कृष्ण की छवि को व्यक्त करता है. नाटक में कृष्ण की 16 कलाओं को दर्शाने का प्रयास किया गया है, और दर्शकों को उन अनुत्तरित प्रश्नों से जोड़ा गया है जिनका उत्तर केवल कृष्ण ही दे सकते हैं.  

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में पुनश्च कृष्ण नाटक का मंचन

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प्रकाश व संगीत का अद्वितीय प्रयोग, अभिनय में दिखी शक्ति और आत्मा की खोज

नाटक में प्रकाश व्यवस्था ने कथा को जीवंत बनाया. 16 कलाओं को चित्रित करते समय प्रकाश की भूमिका अभूतपूर्व रही. मंच पर हर दृश्य में प्रकाश ने मानो कृष्ण के विभिन्न रूपों को रेखांकित किया.  

हालांकि, संगीत के संदर्भ में कुछ असंतुलन दिखा. लाइव संगीत जहां प्रभावी था, वहीं रिकॉर्डेड संगीत का प्रवाह कहीं-कहीं बाधित हुआ. चूंकि यह नाटक मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय जैसे संस्थान से था, पूरा नाटक लाइव संगीत के साथ और बेहतर हो सकता था.  
Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में पुनश्च कृष्ण नाटक का मंचन

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कलाकारों ने अपने पात्रों में गहराई लाने का प्रयास किया, लेकिन कुछ स्थानों पर ऊर्जा की कमी साफ झलकती थी. संवाद अदायगी में समानता का अभाव दिखा, और नाटक में ऐसा लगा कुछ संवाद सीधे अंधा युग से हैं, कहीं पांडवानी शैली में नाटक आगे बढ़ा, प्रयोग के तौर पर ये ठीक हो सकता है लेकिन थोड़ा एकरूपता में खटका.

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में पुनश्च कृष्ण नाटक का मंचन

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मंच और दृश्य संरचना

मंच का डिजाइन प्रभावी और प्रतीकात्मक था, लेकिन भारत-भवन में अंतरंग की आंतरिक संरचना के कारण पीछे बैठे दर्शकों को दृश्यता में कठिनाई हुई. मंच का उपयोग अधिक गतिशील और खुला हो सकता था, जिससे दर्शकों के साथ जुड़ाव और प्रभावी हो पाता.

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