
Bharat Rang Mahotsav 2025: भारत रंग महोत्सव के 25वें संस्करण के अंतर्गत भोपाल के भारत भवन में शुरू हुए 5 दिवसीय समारोह का पहला नाटक 'अग्निसुता द्रौपदी' अपनी अनोखी प्रस्तुति के लिए खास रहा. मोहन जोशी द्वारा लिखित और जॉय मैस्नम के निर्देशन में प्रस्तुत यह नाटक महाभारत की कहानी को द्रौपदी के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है. 95 मिनट के इस नाटक ने अंतरंग में दर्शकों को भावुक और मंत्रमुग्ध कर दिया. यह नाटक द्रौपदी के संघर्ष, उनके दर्द और समाज द्वारा उनके साथ हुए अन्याय को केंद्र में रखकर महाभारत को नए सिरे से परिभाषित करता है. संवादों के माध्यम से द्रौपदी ने अपनी पीड़ा को व्यक्त किया, जो हर किसी को झकझोरने में सफल रहा.
On the first day, an enchanting play of Agnisuta Draupadi was enacted, showcasing brilliant acting and thought-provoking storytelling. The artists graced the stage with a mesmerizsng performance that made the audience to deeply feel the emotions of the play, keeping them hooked… pic.twitter.com/t2Tdjd7YJ5
— Culture Department Madhya Pradesh (@culturempbpl) February 5, 2025
जब वो कहती हैं दोषी कौन है मैं या धर्मराज!
"मेरी हंसी... एक भाभी वाली देवर के प्रति ठिठोली मात्र थी, जिसके बदले मुझे चीरहरण मिला. माया महल में दुर्योधन से परिहास में, वह एक भाभी की देवर के प्रति होने वाली ठिठोली मात्र थी, क्या यह मेरा दोष था? एक स्त्री की हंसी को दुर्योधन का अहम स्वीकार नहीं कर पाया. जब दुर्योधन ने कृष्ण को बंदी बनाया तो युद्ध होना सुनिश्चित हो चुका था. क्या कृष्ण के अहम पर भी चोट मैंने ही की थी? धर्मराज युधिष्ठर ने अपना गौरव बचाने के लिये मुझे दांव पर लगा दिया. क्या पत्नी को जुए में हारना अधर्म नहीं है? यदी हां तो दोषी कौन है मैं या धर्मराज!"

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में अग्निसुता द्रौपदी के मंचन का दृश्य
यह संवाद दर्शकों के दिलों को छू गया, जिसमें समाज की उस मानसिकता को उजागर किया गया, जो एक साधारण हंसी को चरित्र पर सवाल उठाने का माध्यम बना देती है.

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में अग्निसुता द्रौपदी के मंचन का दृश्य
तकनीकी उत्कृष्टता
इस नाटक की सबसे बड़ी खासियत थी इसका मार्शल आर्ट और शारीरिक अभिनय का शानदार उपयोग. चक्रव्यूह रचना और मायामहल का निर्माण बांस और रस्सी के माध्यम से किया गया, जो दृश्य रूप से अद्भुत और रचनात्मकता की उत्कृष्ट मिसाल था. इन तत्वों ने न केवल कहानी को गहराई दी बल्कि नाटक की दृश्यात्मक अपील को भी कई गुना बढ़ा दिया.
संगीत और प्रकाश संयोजन ने कहानी को प्रभावी ढंग से समर्थन दिया. हालांकि, इन दोनों में और सुधार की संभावना है. बेहतर संगीत और प्रकाश प्रभाव भावनात्मक दृश्यों को और भी प्रभावशाली बना सकते थे.

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में अग्निसुता द्रौपदी के मंचन का दृश्य
अभिनय और संवाद
कलाकारों ने अपने अभिनय से द्रौपदी के संघर्ष और वेदना को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया. नाटक में द्रौपदी अपने अंतर्मन से बात करती हैं, द्वंद करती हैं ... जिसमें साजिदा और अदिति शानदार नज़र आईं ... लेकिन कुछ कलाकारों के संवादों में परिपक्वता की कमी महसूस हुई. इससे महाकाव्य के कुछ महत्वपूर्ण संवादों का प्रभाव थोड़ा कम हो गया.
दर्शकों की प्रतिक्रिया

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में अग्निसुता द्रौपदी के मंचन का दृश्य

Bharat Rang Mahotsav: भारत भवन भोपाल में अग्निसुता द्रौपदी नाटक की टीम
नाटक के अंत में दर्शकों ने जोरदार तालियों से इसे सराहा. कई दर्शकों ने कहा कि यह नाटक केवल द्रौपदी की व्यक्तिगत त्रासदी नहीं थी, बल्कि समाज की मानसिकता का प्रतिबिंब था. यह नाटक दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर गया कि द्रौपदी की कहानी आज भी कितनी प्रासंगिक है.
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