
Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act: ग्रामीण मजदूरों को गरीबी से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाने वाली 'मनरेगा' यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के मध्य प्रदेश में हाल बेहाल है. मध्य प्रदेश के मजदूरों को पिछले कई महीने से मजदूरी का पैसा नहीं मिला है. अपने मेहनताने यानी मेहनत की मजदूरी के लिए मजदूर दर-दर भटकने को मजबूर हो रहे हैं. यह योजना केंद्र सरकार के फंड से चलने वाली है, लिहाजा विभाग को केंद्र से पैसा आने का इंतजार है. प्रदेश मे 2 लाख से ज्यादा मनरेगा मजदूरों को पिछले दो महीने से मजदूरी का पैसा नहीं मिला है. मजदूर अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं. एक तो मजदूरी की और अब मजदूरी के पैसे के लिए पंचायत से लेकर जनपद के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

MP News: मध्य प्रदेश में मजदूरी के लिए मजबूर मनरेगा मजदूर
पहले जानिए क्या है मनरेगा योजना?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) अगस्त 2005 में भारतीय संसद ने पारित हुआ. 2 फरवरी 2006 को यह योजना लागू की गई. ग्रामीणों को उनके जीवन स्तर को सुधाराने के लिए कानूनी रूप से कम से कम 100 दिनों का रोजगार दिया जाता है. इस योजना से देश के कई लाख ग्रामीणों को गरीबी से बाहर निकाला जा चुका है. मध्य प्रदेश मे कुल 1 करोड़ 7 लाख 46 हज़ार 359 एक्टिव मज़दूर हैं. एमपी मे एक दिन की मजदूरी के एवज़ मे 221 रुपये दिये जाते हैं. कोरोना काल मे मनरेगा स्कीम लोगों के लिए रोजगार का सहारा बनी थी. मनरेगा में 60% मजदूरी और 40% सामग्री का काम लिया जाता है.
काम करवा लिया लेकिन पैसे नहीं दिए : मजदूर
भोपाल की ईंट खेड़ी ग्राम पंचायत के मनरेगा मजदूर बृजेश का कहना है कि रोजगार सहायक ने काम करवा लिया, लेकिन दो महीने की मजदूरी के अब तक पैसे नहीं दे रहे हैं. बृजेश ने बताया कि मजदूरी का पैसा नहीं मिलने से बड़ी समस्या पैदा हो रही है, घर चलना मुश्किल हो रहा है.

MP News : मनरेगा रिपोर्ट कार्ड एमपी
बजट की वजह से पेमेंट अटका
ग्राम रोजगार सहायक संगठन के प्रदेश प्रवक्ता शैलेंद्र चौकसे का कहना है कि रोजगार सहायक को मस्टर रोल में 6 दिन तक एंट्री करना होती है और फिर हम उसको 6 दिन के बाद पेमेंट के लिए आगे बढ़ा देते हैं. लेकिन अब जब मजदूरों को पेमेंट नहीं मिल रही है, तो वह जगह-जगह रोजगार सहायकों को परेशान कर रहे हैं, उनको लग रहा है कि हमसे मजदूरी करवा ली और अब पेमेंट नहीं कर रहे हैं. हमने अपने स्तर पर अधिकारियों से शिकायत की तो जानकारी मिली के बजट की वजह से पेमेंट अटका हुआ है.
कमिश्नर बोले लेटरबाजी जारी, जल्द भुगतान का मिला आश्वासन
वहीं इस मामले में विभाग का कहना है कि मनरेगा योजना में केंद्र से मजदूरी का पैसा मिलता है. पत्राचार जारी है. हमें केंद्र द्वारा आश्वस्त किया गया है कि जल्द ही पैसा मिल जाएगा. मनरेगा योजना, मध्य प्रदेश के कमिश्नर एस कृष्ण चैतन्य ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि 30 नवंबर तक जितनी मजदूरी का डाटा भेजा गया था उनका भुगतान हो चुका है. जैसा कि आप जानते हैं मनरेगा केंद्र प्रवर्तित योजना है और इसमें शत प्रतिशत मजदूरी का पैसा भारत सरकार द्वारा दिया जाता है.
उन्होंने कहा कि जितने लोगों ने जितने दिन काम किया होगा उसके हिसाब से पैसा मिलता है. हमारे जितने जिले हैं उन जिलों में हमेशा काम होता रहता है. मस्टर्स के नंबर पर निर्भर करता है. दिसंबर 1 से लेकर 30 जनवरी तक का पेमेंट बकाया है. हमको 15 दिन की मजदूरी के हिसाब से पेमेंट करना होता है. राज्य शासन लगातार केंद्र सरकार को पत्राचार कर अवगत करा रहा है. हमें आश्वासन दिया गया है कि बहुत जल्दी पेमेंट हो जाएगा. 3 लाख मजदूरी दिवस का भुगतान बाकी है जो की 600 करोड रुपए होता है.
जल्द मिलेगी मजदूरी
मध्य प्रदेश के मनरेगा मजदूरों को मजदूरी का पैसा नहीं मिलने के पीछे बजट वजह बताई जा रही है. हालांकि अब केंद्र सरकार ने अपने बजट में मनरेगा के लिए 86 हजार करोड का आवंटन किया है तो उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इन मजदूरों को उनका पैसा मिल जाएगा.
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