MP News in Hindi : मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में बसा हुआ एक गांव - मेंहदीपुर ... यहां रहने वाले आदिवासी परिवारों की जिंदगी पर अचानक संकट खड़ा हो गया है. यहां के 40 से ज्यादा परिवार पीढ़ियों से जिस जमीन पर खेती कर रहे थे, उस पर अब वन विभाग ने अपना दावा ठोक दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि बिना किसी पूर्व सूचना के उनकी फसलें बर्बाद कर दी गईं. वहीं, प्रशासन इसे रोजगार का अवसर बता रहा है. गांव के आदिवासी परिवार कई सालों से इस जमीन पर खेती करके अपना जीवन चला रहे हैं. उनका आरोप है कि वन विभाग ने इस जमीन को अपने प्लांटेशन प्रोजेक्ट के लिए चुना है. ट्रैक्टरों से उनकी फसल को रौंद दिया गया. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी मेहनत और कर्ज, दोनों मिट्टी में मिल गए. ग्रामीण खिलान सहरिया कहते हैं,
क्या चाहते हैं आदिवासी ?
ग्रामीणों ने साफ कहा है कि वे अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं. ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि वे अपनी जमीन बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के छोड़ने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि यदि सरकार प्लांटेशन करना चाहती है, तो पहले उन्हें दूसरी जगह जमीन मुहैया कराई जाए.
प्रशासन का क्या है कहना ?
इधर, मामले में प्रशासन ने दावा किया है कि प्लांटेशन प्रोजेक्ट से आदिवासियों को नुकसान नहीं होगा, बल्कि उन्हें रोजगार मिलेगा. SDM क्षितिज शर्मा का कहना है कि ये प्रोजेक्ट गांव में रोजगार के नए अवसर लाएगा. आदिवासी अब बाहर काम की तलाश में नहीं जाएंगे. "
विपक्ष ने इसे बताया अन्याय
कांग्रेस ने इसे आदिवासियों के साथ अन्याय बताया है. कांग्रेस के प्रवक्ता अरुण अवस्थी ने कहा कि अगर आदिवासियों की मांग नहीं मानी गई, तो पार्टी उग्र आंदोलन करेगी. कांग्रेस प्रवक्ता अरुण अवस्थी का कहना है कि प्लांटेशन के लिए आदिवासियों की जमीन क्यों छीनी जा रही है ? अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं... तो कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरेगी.
मेंहदीपुर के आदिवासी जमीन और रोजी-रोटी की लड़ाई लड़ रहे हैं. सवाल ये उठता है कि क्या रोजगार के नाम पर उनकी जमीन छीनना सही है ? क्या प्रशासन और आदिवासियों के बीच कोई हल निकलेगा ? ये देखना बाकी है.
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