Vijaya Ekadashi Bhog: विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च 2024 को रखा जाएगा, पुराणों के मुताबिक विजय प्राप्त की कामना के लिए विजया एकादशी रखा जाता है. त्रेतायुग में श्री राम ने यह व्रत रखा था और उन्होंने रावण से विजय प्राप्त की थी, अधर्म पर धर्म की जीत का यह त्योहार हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है. ये तिथि श्रीहरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) को समर्पित है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ पाठ किया जाता है और एक विशेष प्रकार से भोग लगाया जाता है. कहते हैं कि विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2024) के दिन विष्णु जी को उनके प्रिय भोग (Shri Hari Vishnu Bhog) लगाने से समस्त पाप कट जाते हैं और आर्थिक संकट से भी मुक्ति मिलती है, लेकिन क्या आप जानते हैं विष्णु जी इस पत्ती के बिना भोग स्वीकार नहीं करते हैं, पंडित दुर्गेश ने इसके बारे में क्या बताया है. चलिए जानते हैं...
तुलसी के बिना नहीं होती है पूजा पूरी
विजया एकादशी पर विष्णु जी की पूजा में जिस भी मिष्ठान का भोग लगाएं, उसमें तुलसी दल जरूर डालें. कहा जाता है कि बिना तुलसी की पत्ती के श्री हरी भोग ग्रहण नहीं करते हैं और पूजा अधूरी रह जाती है.
इन चीजों का लगाएं भोग
चावल का न करें प्रयोग
विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पूजा में दूध, मखाने, केसर, सूखे मेवे से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए, इससे देवी लक्ष्मी साधक पर कृपा बरसाती हैं, घर में धन की बरकत होती है और दरिद्रता का नाश होता है लेकिन इस बात का खास ख्याल रखें कि एकादशी के दिन चावल खाना और बनाना वर्जित होता है इसीलिए खीर में चावल का प्रयोग न करें.
पंचामृत का भोग
विजया एकादशी पर विष्णु जी को दूध, दही, शहद, घी, शक्कर मिलाकर पंचामृत का भोग लगाना चाहिए, पंचामृत का भोग लगाने से घर में सुख समृद्धि आती है और लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है.
केला
श्रीहरि को सभी तरह के फल चढ़ाए जाते हैं लेकिन सबसे प्रिय उन्हें केला है, विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु को कहने का भोग लगाने से कुंडली में गुरु दोष ख़त्म होता है और विवाह में आ रही अड़चनें भी दूर हो जाती है, यदि किसी का लंबे समय से विवाह नहीं हो पा रहा है तो वो इस दिन श्री हरि को केला का भोग लगाएं, ऐसा करने से विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जायेगीं.
गुड़ चने की दाल
मोक्ष की प्राप्ति के लिए विजया एकादशी की विशेष रूप से पूजा की जाती है. विष्णु जी को चने की दाल का भोग लगाएं, ऐसा करने से जीवन में चल रही परेशानियों का अंत होता है, भगवान विष्णु और महालक्ष्मी के आशीर्वाद से मृत्यु के बाद व्यक्ति को नर्क नहीं जाना पड़ता है. गुड़ चने के साथ तुलसी की पत्ती भी जरूर डालें.
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