Narmada Jayanti 2025: मां नर्मदा जयंती (Narmada Jayanti) के अवसर पर “निर्झरणी महोत्सव” (Nirjharani Mahotsav) 4 फरवरी, 2025 को आयोजित किया जाएगा. इस महोत्सव का आयोजन मध्यप्रदेश के विभिन्न स्थलों पर होगा, जिसमें नर्मदा से जुड़ी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, नृत्य, लोकगायन और भक्ति गायन की आकर्षक परंपराएं प्रस्तुत की जाएंगी. यह कार्यक्रम संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है. वहीं नर्मदा जयंती महोत्सव (Narmada Jayanti Mahotsav) के दौरान मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में प्रसिद्ध गायक हंसराज रघुवंशी (Hanshraj Raghuvanshi) द्वारा भजनों की प्रस्तुति होगी.
नमामि देवी नर्मदे#नर्मदा_जयंती के पावन अवसर पर #जबलपुर, #नरसिंहपुर, #नर्मदापुरम, #खण्डवा, #बड़वानी, #धार, #खरगोन और #देवास में "निर्झरणी महोत्सव" का आयोजन
— Culture Department, MP (@minculturemp) February 3, 2025
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क्या है महत्व?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयंती प्रतिवर्ष मनाई जाती है. इस वर्ष नर्मदा जयंती 4 फरवरी 2025 मंगलवार को मनाई जाएगी. इस दिन भक्त नर्मदा नदी की पूजा करते हैं जो उनके जीवन में शांति और समृद्धि लाती है. मध्य प्रदेश में अमरकंटक, नर्मदा नदी का उद्गम स्थल, नर्मदा जयंती की पूजा करने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है. नर्मदा जयंती के मौके पर हर साल पूरा शोभायात्रा के दौरान मां नर्मदा का सुंदर चित्रण होता है. इस दौरान, हजारों भक्त शहर के विभिन्न विभिन्न घाटों पर भजन और देवी के गीत गाते हैं. हर साल शाम को संत और भक्त बनारस के प्रसिद्ध गंगा घाटों पर की जाने वाली आरती की तर्ज पर देवी नर्मदा की भव्य आरती करते हैं.
नर्मदा जयंती महोत्सव
— Religious Trusts & Endowments Department, MP (@TrustsReligious) February 1, 2025
माँ नर्मदा के उद्गम स्थल #अमरकंटक में प्रसिद्ध गायक श्री हंसराज रघुवंशी द्वारा भजनों की सुमधुर प्रस्तुति
🗓️4 फरवरी 2025
🕖शाम 7:00 बजे@DrMohanYadav51 @CMMadhyaPradesh @JansamparkMP @DharmendrLodhii @minculturemp @proanuppur#NarmdaJayanti #JansamparkMP pic.twitter.com/3he3q9tkKr
ऐसी है MP की जीवनदायनी नर्मदा नदी
नर्मदा नदी, मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है. इसे जीवनदायिनी नदी कहा जाता है. यह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और गुजरात राज्यों से होकर बहती है. नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अनूपपुर ज़िले के अमरकंटक पठार से होता है. यह नदी विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बहती है. यह पश्चिम दिशा में बहने वाली सबसे लंबी नदी है. इसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है. नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर और महेश्वर बांध बने हैं.
धार्मिक ग्रंथों में नर्मदा के दर्शन मात्र से पाप नष्ट होने की. मान्यता है, जबकि गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य बताया गया है. नर्मदा नदी के स्तोत्र में 'त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे' मंत्र का जाप किया जाता है. दुर्गम पहाड़ों से झरनों की तरह लहराती बलखाती निर्जन जंगलों में स्वच्छन्द रमण करने वाली पवित्र नर्मदा जी के तट को हमारे सन्तों व ऋषियों ने तप साधना हेतु उत्तम माना है. नर्मदा के किनारों पर स्थित अनेक ऋषियों के तप स्थान इसका प्रमाण हैं. नर्मदा का जल घर में रखना शुभ माना जाता है. इसका उपयोग अभिषेक, हवन और अन्य धार्मिक कार्यों में किया जाता है. नर्मदा की परिक्रमा करना एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है. बहुत से श्रद्धालु मां नर्मदा की पद यात्रा करते हैं, जो कई महीनों में पूरी होती है. इसे करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पूजा विधि व मंत्र
नर्मदा जल लेकर भगवान शिव या किसी देवी-देवता पर अर्पण करें. स्नान करते समय “ॐ नमः शिवाय” या “नर्मदे हर” मंत्र का जाप करें.
नर्मदा जी की आरती
ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनन्द कन्दी।
ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा, शिव हरि शंकर रुद्री पालन्ती
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी।
देवी नारद शारद तुम वरदायक, अभिनव पदचण्डी।
सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि शारद पदवन्ती
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी।
देवी धूमक वाहन, राजत वीणा वादयन्ती।
झूमकत झूमकत झूमकत, झननन झननन रमती राजन्ती
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी।
देवी बाजत ताल मृदंगा, सुर मण्डल रमती।
तोड़ीतान तोड़ीतान तोड़ीतान, तुरड़ड़ तुरड़ड़ तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी।
देती सकल भुवन पर आप विराजत, निश दिन आनन्दी।
गावत गंगा शंकर सेवत रेवा शंकर, तुम भव मेटन्ती
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी।
मैया जी को कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
अमरकंठ में विराजत, घाटनघाट कोटी रतन ज्योति॥ ॐ जय जय जगदानन्दी।
मैया जी की आरती निशदिन पढ़ि गावें, हो रेवा जुग-जुग नर गावें।
भजत शिवानन्द स्वामी जपत हरि, मनवांछित फल पावें॥
ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनन्द कन्दी।
ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा, शिव हरि शंकर रुद्री पालन्ती
॥ ॐ जय जय जगदानन्दी।
"हर हर नर्मदे"
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) February 16, 2024
नर्मदापुरम में आयोजित 'मां नर्मदा जयंती महोत्सव' एवं 'गौरव दिवस कार्यक्रम' की झलकियां...@DrMohanYadav51 pic.twitter.com/EaAyPhvEIT
श्री नर्मदा अष्टकम
सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम
द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम
कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥1॥
त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकम
कलौ मलौघ भारहारि सर्वतीर्थ नायकं
सुमस्त्य कच्छ नक्र चक्र चक्रवाक् शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥2॥
महागभीर नीर पुर पापधुत भूतलं
ध्वनत समस्त पातकारि दरितापदाचलम
जगल्ल्ये महाभये मृकुंडूसूनु हर्म्यदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥3॥
गतं तदैव में भयं त्वदम्बु वीक्षितम यदा
मृकुंडूसूनु शौनका सुरारी सेवी सर्वदा
पुनर्भवाब्धि जन्मजं भवाब्धि दुःख वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥4॥
अलक्षलक्ष किन्न रामरासुरादी पूजितं
सुलक्ष नीर तीर धीर पक्षीलक्ष कुजितम
वशिष्ठशिष्ट पिप्पलाद कर्दमादि शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥5॥
सनत्कुमार नाचिकेत कश्यपात्रि षटपदै
धृतम स्वकीय मानषेशु नारदादि षटपदै:
रविन्दु रन्ति देवदेव राजकर्म शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥6॥
अलक्षलक्ष लक्षपाप लक्ष सार सायुधं
ततस्तु जीवजंतु तंतु भुक्तिमुक्ति दायकं
विरन्ची विष्णु शंकरं स्वकीयधाम वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥7॥
अहोमृतम श्रुवन श्रुतम महेषकेश जातटे
किरात सूत वाड़वेषु पण्डिते शठे नटे
दुरंत पाप ताप हारि सर्वजंतु शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥8॥
इदन्तु नर्मदाष्टकम त्रिकलामेव ये सदा
पठन्ति ते निरंतरम न यान्ति दुर्गतिम कदा
सुलभ्य देव दुर्लभं महेशधाम गौरवम
पुनर्भवा नरा न वै त्रिलोकयंती रौरवम ॥9॥
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे
नमामि देवी नर्मदे, नमामि देवी नर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे
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