What is Green Crackers : दिवाली का मौका हो और पटाखे ना जलाए जाएं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता.चाहे बच्चे हों या फिर बड़े, हर किसी को पटाखे जलाना काफी अच्छा लगता है. हालांकि, पटाखे जलाना कई मायनों में बहुत अधिक नुकसानदायक माना जाता है. मसलन, इससे एयर पॉल्यूशन व नॉइस पॉल्यूशन होता है. साथ ही, पटाखे बनाते समय कई तरह के केमिकल कंटेंट का इस्तेमाल किया जाता है, जो सेहत और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में यह सलाह दी जाती है कि नॉर्मल पटाखों की जगह ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जाए. इन पटाखों को जलाकर आप दिवाली को भी पूरी तरह से एन्जॉय कर सकते हैं और इससे एनवायरमेंट पर भी नेगेटिव इफेक्ट नहीं पड़ेगा. तो चलिए आज हम आपको नॉर्मल पटाखों की जगह ग्रीन पटाखे जलाने के कुछ बेमिसाल फायदों के बारे में बता रहे हैं.
कम होता है पॉल्यूशन
ग्रीन पटाखे जलाने का एक सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इससे एयर और नॉइस पॉल्यूशन काफी कम होता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ग्रीन पटाखों को इस तरह बनाया जाता है, जिससे सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर जैसे प्रदूषक का उत्पादन कम होता है. इतना ही नहीं, जब आप ग्रीन पटाखों को जलाते हैं तो उनसे शोर कम होता है, जिससे लोगों को कम परेशानी होती है.
नेगेटिव इफ़ेक्ट कम होता है
आमतौर पर जो पटाखे बनाए जाते हैं, उनमें पोटेशियम नाइट्रेट, चारकोल और सल्फर जैसे हानिकारक केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. जिसके कारण इन्हें जलाना काफी नुकसानदायक माना जाता है. वहीं, ग्रीन पटाखे बनाते समय उसमें ऐसे फॉर्मूलेशन का उपयोग किया जाता है, जो ऐसे रसायनों के उपयोग को कम करते हैं. जिससे पर्यावरण पर भी नेगेटिव इफेक्ट कम पड़ता है.
ग्रीन पटाखे होते हैं ईको-फ्रेंडली
पर्यावरण का ध्यान रखते हुए पटाखे ना जलाने की सलाह दी जाती है, लेकिन ग्रीन पटाखे ईको-फ्रेंडली माने जाते हैं. इन्हें बनाते समय ईको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल इंग्रीडिएंट्स का इस्तेमाल किया जाता है. जिसके कारण एनवायरमेंटल इंपैक्ट कम होता है और ईको-सिस्टम पर बहुत बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है.
हेल्थ रिस्क होते हैं कम
पटाखों से जुड़े हेल्थ रिस्क किसी से छिपे नहीं हैं. जो लोग पटाखे जलाते है उन्हें कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन ग्रीन पटाखे इस तरह डिजाइन किए जाते हैं, जो हेल्थ रिस्क को काफी कम करते हैं. चूंकि इनसे धुआं कम निकलता है और शोर भी कम होता है. साथ ही साथ, इसमें केमिकल कंटेंट भी काफी कम होता है, जिसके कारण हेल्थ रिस्क काफी कम हो जाता है.
अस्थमा और एलर्जी वाले लोग नहीं होते परेशान
यह देखने में आता है कि दिवाली के करीब आते ही अस्थमा और एलर्जी वाले लोगों को बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है. यहां तक कि उन्हें सांस लेने में भी कठिनाई होती है. ऐसे में ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करना यकीनन काफी अच्छा रहता है. ग्रीन पटाखों से कम उत्सर्जन होता है, जिससे अस्थमा और एलर्जी जैसी रेस्पिरेटरी कंडीशन वाले व्यक्तियों को कम परेशानी होती है. ग्रीन पटाखे हवा में कम जलन पैदा करते हैं.
सस्टेनेबल सेलिब्रेशन को मिलता है बढ़ावा
अमूमन हम कई खास अवसर पर पटाखे जलाते हैं. लेकिन, जब ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है तो इससे आप सस्टेनेबल सेलिब्रेशन को बढ़ावा देते हैं. इससे लोग बेहतर तरीके से त्योहारों को मनाना सीख जाते हैं और लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलती है.
नेचुरल रिसोर्स पर कम पड़ता है दबाव
ग्रीन पटाखे बनाते समय कम नेचुरल रिसोर्स का इस्तेमाल किया जाता है. चूंकि इसमें पारंपरिक आतिशबाजी की तुलना में कम संसाधन की खपत होती है. जिससे कच्चे माल और एनर्जी रिसोर्स पर दबाव कम करने में मदद मिल सकती है और ऐसे में एनवायरमेंटल इंपेक्ट को कम करने में मदद मिलती है.
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