विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Nov 25, 2023

Dev Diwali 2023: शिव की नगरी काशी से शुरू हुआ था देव दिवाली, जानें इस साल कब है?

कहा जाता है हर साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर देव दीपावली मनाई जाती है.शास्त्रों में बताया है कि कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर देवता पृथ्वी पर आते हैं और दीए जलाकर दीपावली मनाते हैं .

Dev Diwali 2023: शिव की नगरी काशी से शुरू हुआ था देव दिवाली, जानें इस साल कब है?

Dev Diwali 2023: हिंदू कैलेंडर (Hindu Calender) के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह (Kartik Maah) की अमावस्या के दिन दीपावली (Dipawali) का त्योहार मनाया जाता है. दीपावली के पूरे 15 दिनों के बाद देव दिवाली (Dev Diwali) का पर्व आता है. इस त्योहार के अवसर पर कार्तिक मास की पूर्णिमा की तिथि होती है, इसलिए इसे कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि हर साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर देव दीपावली मनाई जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर देवता पृथ्वी पर आते हैं और दीए जलाकर दीपावली मनाते हैं. इस दिन काशी में विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है. बड़ी संख्या में सभी भक्त देव दीपावली का यह त्योहार देखने काशी आते हैं. तो आइए जानते हैं देव दीपावली क्यों मनाई जाती है?

देव दिवाली 2023 मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा तिथि शुरू - 26 नवंबर 2023 ,दोपहर 3 बजकर 53 मिनट 
कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त - 27नवंबर 2023 , दोपहर  2 बजकर 39 मिनट 

ये भी पढ़े : Bridal Rituals: हर लड़की को पसंद होता है चूड़ा पहनना, जानिए इससे जुड़ी ख़ास रस्मों के बारे में

देव दिवाली की यह है कथा
ज्योतिषाचार्य राकेश जी के मुताबिक, त्रिपुरासुर (Tripurasur) नाम के एक राक्षस ने धरती वासियों को परेशान कर रखा था. त्रिपुरासुर असुर तारकासुर के बेटे थे. यह एक नहीं बल्कि तीन थे. तीनों ने देवताओं को परास्त करने का प्रण लिया था. लंबे समय तक तीनों ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या की थी. त्रिपुरासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने तीनों को देवताओं से परास्त न होने का वरदान दिया था और वरदान पाकर तीनों अति शक्तिशाली हो गए थे. उसके बाद त्रिपुरासुर ने स्वर्ग में और धरती में आतंक मचा दिया था, जिससे त्रस्त होकर सभी देवता गण भगवान शिव के पास पहुंचे थे. भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. उससे मुक्ति मिलने के बाद देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे और वहां दीप प्रज्वलित कर खुशी मनाई. तब से लेकर आज तक यह त्योहार मनाया जाता है. इस दिन मान्यता है कि सुबह उठकर गंगा स्नान करना चाहिए और शाम को घाट पर जाकर दीप दान करना चाहिए. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है.

दीपदान करने की प्रक्रिया
अगर आप दीपदान करना चाहते हैं तो देव दीपावली पर शाम के समय प्रदोष काल में 11, 21, 51 या 108 आटे के बने दिए जिसमें तेल या घी डालकर किसी भी नदी के किनारे, अपने देवी - देवताओं ,ईस्ट देवों का स्मरण करें .फिर उसमें दीपक की कुमकुम ,अक्षत, हल्दी और फूल से पूजा करके फिर उसे प्रज्वलित करके नदी में विसर्जित कर सकते हैं.

ये भी पढ़े : Gurunanak Jayanti 2023 : कौन थे खालसा पंथ के 'पंज प्यारे'? जानिए इनकी कहानी

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
Monsoon Trips: पचमढ़ी में इन जगहों का जरूर लें मज़ा, मॉनसून है घूमने का परफेक्ट समय
Dev Diwali 2023: शिव की नगरी काशी से शुरू हुआ था देव दिवाली, जानें इस साल कब है?
bottled water harmful side effects plastic bottles water generates these serious diseases.
Next Article
Bottled Water Harmful Effects: क्या आप भी पीते हैं प्लास्टिक की बॉटल्स में पानी? तो इन गंभीर बीमारियों के हो सकते हैं शिकार
Close
;