दिवाली का त्योहार मनाए हुए लगभग एक महीने से ज्यादा वक्त गुजर चुका है, लेकिन बैतूल में दिवाली की धूम अब भी देखने मिल रही है. दरअसल, जिले के आदिवासियों ने मिलकर जनजातीय सभ्यता, संस्कृति और लोक कलाओं को सहेजने के लिए भव्य तरीके से नाग दिवाली (Naag Diwali 2023) का आयोजन किया, जिसमें आदिवासी लोक कलाओं के कई रंग देखने मिले. इस अनूठे आयोजन में बैतूल (Betul) की घोड़ाडोंगरी विधायक गंगा उइके (Ganga Sajjansingh Uikey) ने भी गोंडी भाषा मे लोकगीत गाए.
संस्कृति को सहेजने के लिए आगे आए आदिवासी समाज
आधुनिकता के इस दौर में आदिवासी समाज ने एक होकर अपनी संस्कृति को सहेजने का प्रयास किया है. बैतूल जिले में आदिवासी सभ्यता संस्कृति का गौरवशाली इतिहास रहा है. जिले की प्रमुख जनजातियों में गोंड़ और कोरकू प्रमुख हैं जो आदिवासी हैं, लेकिन इनके रीति रिवाज और धार्मिक मान्यताएं अलग अलग हैं.
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समय के साथ बैतूल की जनजातीय संस्कृति, लोक कलाएं, वेशभूषा लुप्त होती जा रही है, जिन्हें सहेजने के लिए जिले के सभी युवा आदिवासी संगठनों ने एक अनूठी पहल की है. जिसका नाम है नाग दिवाली. इस आयोजन में सभी आदिवासी समुदाय इकट्ठे होकर पारम्परिक नृत्य, लोकगीत गाकर दिवाली मना रहे हैं और अपनी गौरवशाली संस्कृति का जश्न मना रहे हैं.
लुप्त होते परंपराओं का नजारा देखने को मिला
आदिवासी समुदाय का ऐसा दुर्लभ आयोजन अब कम ही देखने मिलता है. यहां लुप्त होते हुए लोक नृत्य, लोकगीत, पारम्परिक परिधान और अनुष्ठान देखने मिले.
ये सब कुछ बैतूल के इस अनूठे आयोजन नाग दिवाली में देखने मिला,जिसे देख घोड़ाडोंगरी विधानसभा की आदिवासी भाजपा विधायक गंगा उइके भी खुद को रोक नहीं पाई और गोंडी भाषा में लोकगीत गाकर नाग दिवाली का जश्न मनाया. विधायक गंगा उइके ने वादा किया कि वो जनजातीय संस्कृति को सहेजने का पूरा प्रयास करेंगी.
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