Electoral bonds Scheme: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को समय बढ़ाने की मांग करने वाली भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) की याचिका को खारिज कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने बैंक को 12 मार्च को ऑफिस आवर के आखिर तक चुनाव आयोग (Election Commission of India) को चुनावी बांड (Electoral bond) का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग को 15 मार्च की शाम 5 बजे तक बैंक की ओर से उपलब्ध कराए जाने वाली जानकारी को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया है. इस केस की सुनवाई में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे.
आदेश नहीं मानने पर कार्रवाई की दी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने SBI के CMD को चुनावी बॉन्ड का ब्योरा जारी कर हलफनामा दाखिल करने को कहा है. सर्वोच्च अदालत ने फिलहाल SBI के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने से इंकार किया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को चेतावनी दी कि यदि एसबीआई इस आदेश में बताई गई समय सीमा के भीतर निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो यह न्यायालय जानबूझकर अवज्ञा मानते हुए बैंक के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
'डाटा उपलब्ध कराएं, मिलान के लिए किसने कहा'
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का काफी सख्त रुख देखने को मिला. SBI पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सीजेआई ने कहा कि आप आदेश का पालन कीजिए. हमने आपको डेटा मिलान के लिए नहीं कहा था, आप बस डेटा उपलब्ध कराइए. वहीं, जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि आपको सिर्फ डेटा सील कवर से निकालना है और भेजना है. इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने SBI से ये भी पूछा कि आपने पिछले 26 दिनों में क्या काम किया है. अब तक आपने कितना डेटा मिलान किया है. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि डाटा मिलान के लिए समय की मांग करना बिल्कुल गलत है. हमने आपको ऐसा करने का निर्देश कभी नहीं दिया था. कोर्ट ने कहा कि जब सारा ब्यौरा मुंबई मुख्य शाखा में भेजा जा चुका है, लेकिन आपने अर्जी में कहा है कि एक साइलो से दूसरे साइलो में जानकारी का मिलान समय लेने वाली प्रक्रिया है.
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जानिए- कहां बिके, कितने बॉन्ड?
SBI के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए जो राजनीतिक फंडिंग (Political Funding) हुई थी. वह 2018 में इन राज्यों में हुए पिछले चुनावों की तुलना में 400% से अधिक रही. एसबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 6 नवंबर से 20 नवंबर 2023 तक हुई सबसे ताजा बिक्री में एक हजार 6.03 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए और भुनाए गए. इस दौरान कुल राशि का 99 प्रतिशत हिस्सा यानी एक करोड़ रुपये मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से जुटाया गया था.
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