PM Modi on Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2018 में अधिसूचित चुनावी बांड योजना को 15 फरवरी को असंवैधानिक करार देने के बाद पीएम मोदी इस पर पहली बार सार्वजनिक तौर पर रविवार को बोले. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि चुनावी बॉन्ड के उपयोग की आलोचना करने वालों को "जल्द ही पछतावा होगा", क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से समाप्त की गई ये योजना राजनीतिक दलों को धन के स्रोत के बारे में विवरण प्रदान करती थी.
उन्होंने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं, क्या कोई एजेंसी हमें बता सकती है कि 2014 से पहले चुनावों में कितना पैसा खर्च किया गया था. मोदी चुनावी बांड लेकर आए, यही कारण है कि आप जानते हैं कि कौन, किसने और कितना पैसा दिया. पीएम ने कहा कि इस योजना में कमियां हो सकती हैं और उन्हें ठीक भी किया जा सकता है. इसके साथ ही मोदी ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि चुनावी बांड के मुद्दे से उनकी सरकार को झटका लगा है. प्रधानमंत्री ने थांथी टीवी को दिए साक्षात्कार के दौरान सवालिया लहजे में कहा कि मुझे बताएं कि हमने ऐसा क्या किया है कि मैं इसे एक झटके के रूप में देखूं? मेरा दृढ़ विश्वास है कि जो लोग चुनावी बॉन्ड के डाटा को आधार बनाकर आज नाच रहे हैं, वे कल पश्चाताप करेंगे.
चुनावी बॉन्ड को बताया पारदर्शी
उन्होंने इसे पारदर्शी बताते हुए कहा कि चुनावी बांड प्रणाली के माध्यम से राजनीतिक फंडिंग के स्रोतों और लाभार्थियों का पता लगाया जा सका है. आगे प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि आज यदि कोई डाटा मौजूद है तो यह चुनावी बांड की वजह से है. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने आगे पूछा कि क्या कोई बता सकता है कि 2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने से पहले इन कंपनियों ने राजनीतिक दलों को कितना भुगतान किया था. "क्या कोई मुझे बता सकता है कि 2014 से पहले इन कंपनियों ने राजनीतिक दलों को कितना भुगतान किया था? कुछ भी सही नहीं है, कमियां हो सकती हैं, उसे संशोधित भी किया जा सकता है.
चुनावी बॉन्ड पर कांग्रेस का बीजेपी पर हमला
इस बीच, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने बंद हो चुकी चुनावी फंडिंग की व्यवस्था को लेकर पीएम मोदी पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि इसे "वैध जबरन वसूली" बताते हुए कहा कि इस योजना में रिश्वत को औपचारिक रूप दिया गया है और इसे प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा नोटबंदी की तरह डिजाइन किया गया था.
गोगोई ने यह भी दावा किया कि मोदी का संभवत: कोई बड़ा कॉरपोरेट सहयोगी है, जो उन्हें गलत सलाह दे रहा है. उन्होंने आगे कहा कि वरिष्ठ नौकरशाह भी अपने मन की बात कहने से डरते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत निरंकुश बनने की राह पर है.
कोर्ट कोर्ट ने योजना को करार दिया था असंवैधानिक
दरअसल, 15 फरवरी को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र की चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था, जिसने गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की अनुमति दी थी. इसके साथ ही चुनाव आयोग को दानदाताओं के डेटा, उनके द्वारा दान की गई राशि का खुलासा करने का आदेश दिया था.
क्या था चुनावी बॉन्ड (What is Electoral Bond)
चुनावी बांड एक वचन पत्र के समान एक धन साधन था, जो धारक को मांग पर और बिना ब्याज के देय होता है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक भारतीय नागरिक या एक कॉर्पोरेट इकाई एक राजनीतिक दल को फंड दे सकती है, जिसे बाद में भुनाया जा सकता है. सरकार ने 2018 में चुनावी बांड योजना को लागू किया था. इसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2 जनवरी, 2018 के राजपत्र अधिसूचना संख्या 20 में "देश में राजनीतिक फंडिंग की प्रणाली को साफ करने" के नाम पर पेश किया था.
कोर्ट के फैसले की नागरिक समाज ने की थी सराहना
चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लोकसभा चुनाव से पहले आया था. इस फैसले का विपक्षी दलों और नागरिक समाज कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया था. आपको बता दें कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से सबसे अधिक भाजपा को साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए के करीब चंदा मिला था.
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चुनावी बांड के अलावा, मोदी ने तमिलनाडु में भाजपा और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के बीच गठबंधन टूटने पर भी निराशा जाहिर की. पीएम मोदी मने कहा कि हमारी दोस्ती मजबूत थी. उन्होंने कहा कि उन लोगों को पछताना चाहिए, जो अम्मा (एआईएडीएमके प्रमुख दिवंगत जे जयललिता) के सपनों को नष्ट करके पाप कर रहे हैं, हमें नहीं.