Crypto Fraud: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को इतिहास में पहली बार लद्दाख (Ladakh) में छापेमारी की और एक फर्जी क्रिप्टोकरेंसी (Fake Crypto Currency) निवेश योजना की जांच के लिए पांच अन्य स्थानों पर भी छापेमारी (Raid) की. इसमें कुल 2,508 से अधिक निवेशकों से सात करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का खुलासा हुआ. लेह, जम्मू (Jammu) जिलों और हरियाणा (Haryana) के सोनीपत (Sonipat) में सुबह-सुबह छापेमारी शुरू हुई. लेह के निवासियों एआर मीर और अजय कुमार चौधरी से जुड़े इमारतों में, जो एक क्रिप्टोकरेंसी सिंडिकेट (Crypto Currency Syndicate) चलाते थे, जो निवेशकों के पैसे को दोगुना करने या 10 महीने की लॉक-इन अवधि पर सहमत होने पर 40% का आश्वासन वापस करने का वादा करता था.
इन मामलों में हुई छापेमारी
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच मार्च 2020 में लद्दाख पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामलों के संबंध में की. जांच में पाया गया कि मीर और चौधरी “इमोलिएंट कॉइन लिमिटेड” के नाम से एक फर्जी क्रिप्टोकरेंसी व्यवसाय चला रहे थे, जिसमें कुल 7.36 करोड़ रुपये की राशि हड़पी गई थी. अधिक पैसा खींचने के लिए मीर और उनके सहयोगी निवेशकों को अधिक से अधिक लोगों को योजना का संदर्भ देकर 7 प्रतिशत तक का कमीशन कमाने के लिए प्रोत्साहित करते थे.
ऐसे मारा छापा
एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि पिछले साल ED को एक शिकायत की थी. मामले में FIR दर्ज की गई थी और जांचकर्ताओं ने अब तक यह आकलन किया है कि मीर और चौधरी ने निवेशकों को नकली क्रिप्टो बेचते हुए नकदी, मनी ट्रांसफर या बिटकॉइन के आदान-प्रदान के रूप में धन जमा किया था.
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कई स्तरों पर बांटा गया था कमीशन
एजेंसी के एक सूत्र ने बताया कि कमीशन को अलग-अलग स्तरों पर वितरित किया गया था, जिसमें पहले स्तर के रेफरल पर 7 प्रतिशत, दूसरे स्तर पर 3 प्रतिशत, तीसरे स्तर पर 1 प्रतिशत और इसी तरह आगे भी कमीशन दिया जाता था. 10वें रेफरल स्तर तक कमीशन का आश्वासन दिया गया था. एक अन्य सूत्र ने बताया कि जांच में पाया गया कि मीर और चौधरी ने न तो आश्वासन दिया गया पैसा और न ही क्रिप्टोकरेंसी वापस की और इसके बजाय उन्होंने रियल एस्टेट का कारोबार शुरू कर दिया और जम्मू में जमीन के टुकड़े खरीद लिए.
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