Former Delhi Congress President Arvinder Singh Lovely: कांग्रेस पार्टी (Congress Party) देशभर की विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) को मात देने की रणनीति पर काम कर रही है, लेकिन खुद उनकी पार्टी ही बिखरती जा रही है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला अभी रुका भी नहीं है कि दिल्ली कांग्रेस प्रमुख अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
आप से गठबंधन को बताया इस्तीफे की वजह
उनका ये इस्तीफा ऐसे वक्त में आया है, जब राष्ट्रीय राजधानी की सात संसदीय सीटों पर मतदान होने में एक महीने से भी कम समय बचा है. दिल्ली कांग्रेस प्रमुख अरविंदर सिंह लवली ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन का हवाला देकर रविवार को अपने पद से इस्तीफे की घोषणा की, जिससे कांग्रेस राज्य इकाई के भीतर दरार को उजागर कर दिया है.
टिकट बंटवारे पर भी उठाए सवाल
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को दिए अपने इस्तीफे में चार बार के विधायक लवली ने उत्तर में उदित राज की उम्मीदवारी का जिक्र करते हुए कहा कि पार्टी आलाकमान ने उन उम्मीदवारों को लोकसभा टिकट दिए हैं, जो दिल्ली कांग्रेस और पार्टी की नीतियों के लिए "पूरी तरह से अजनबी" हैं. इसमें उन्होंने पश्चिमी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार को दिए गए टिकट का खास तौर से जिक्र किया है.
आप से गठबंधन का किया विरोध
लवली ने दिल्ली में आप और कांग्रेस के गठबंधन का विरोध करते हुए लिखा है कि दिल्ली कांग्रेस इकाई उस पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थी, जो कांग्रेस पार्टी के खिलाफ झूठे, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के सबसे बड़े मुजरिम है. उन्होंने पत्र में कहा है कि दिल्ली इकाई के विरोध के बावजूद पार्टी ने दिल्ली में AAP के साथ गठबंधन करने का फैसला किया.
3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है कांग्रेस
आपको बता दें कि AAP के साथ सीट-बंटवारे के समझौते के मुताबिक कांग्रेस दिल्ली में तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस उत्तर-पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिमी दिल्ली और चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़ रही है. दरअसल, चांदनी चौक को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यहां से पार्टी ने वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल को मैदान में उतारा है, जिन्होंने 1984, 1989 और 1996 में तीन बार सीट इसस सीट से जीत हासिल की थी. वहीं, AAP राष्ट्रीय राजधानी में चार निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ रही है. गौरतलब है कि इससे पहले 2014 और 2019 में भाजपा ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर जीत हासिल की थी.
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उपेक्षा का लगाया आरोप
लवली ने कहा कि कांग्रेस को दी गई 3 सीटों में से उत्तर-पश्चिम दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली संसदीय सीटें 2 ऐसे उम्मीदवारों को दी गई, जो दिल्ली कांग्रेस के लिए पूरी तरह से अजनबी थे. इसके साथ उन्होंने कहा है कि पार्टी उम्मीदवारों पर अंतिम निर्णय लेना हाईकमान का विशेषाधिकार है. हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि एक बार जब हाईकमान ने उपरोक्त दो उम्मीदवारों के संबंध में निर्णय ले लिया, तो औपचारिक घोषणा से पहले पीसीसी को सूचित भी नहीं किया गया.
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