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छ्तीसगढ़ की सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल, यहां शिक्षक लेते हैं वामन अवतार, एक शिक्षक के भरोसे हैं प्रदेश के 5840 स्कूल

Chhattisgarh Schools: छत्तीसगढ़ के एक शिक्षक वाले स्कूलों की तादाद बहुत ज्यादा है, जिससे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन अभी भी शिक्षा विभाग की आंखें नहीं खुल रही हैं. दिलचस्प यह है कि एक शिक्षक वाले स्कूल के टीचर पढ़ाने के अलावा बाकी सब काम करते हैं, क्योंकि उनके ऊपर अन्य 100 जिम्मेदारियों का बोझ है.

छ्तीसगढ़ की सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल, यहां शिक्षक लेते हैं वामन अवतार, एक शिक्षक के भरोसे हैं प्रदेश के 5840 स्कूल
Chhattisgarh Education system

Single Teacher Schooling: छ्त्तीसगढ़ में स्कूलों में बच्चों की शिक्षा राम भरोसे हैं, जहां तैनात प्रत्येक स्कूल में शिक्षक तैनात है और उसके सिर पर 100 से अधिक जिम्मेदारियां होती है. यह नजारा एक स्कूल का नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के 5840 स्कूलों का है, जहां प्रत्येक स्कूल में महज एक शिक्षक तैनात है, जो स्कूल प्राध्यापक से लेकर चपरासी तक की भूमिका अदा करता है. कह सकते हैं कि छत्तीसगढ़ स्कूलों के शिक्षक वामन अवतार लेकर अकेले न केवल सैकड़ों बच्चों को पढ़ाते हैं, बल्कि पूरा स्कूल संभालते हैं.

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सोचिए, अगर एक डॉक्टर पूरे अस्पताल को अकेले चलाए, तो क्या होगा? ऐसा ही हाल छत्तीसगढ़ के स्कूलों का है.यहां सिर्फ एक शिक्षक ही पूरे स्कूल को संभाल रहा है.एक अकेला शिक्षक स्कूल में बच्चों को पढ़ाता है और स्कूल की बाकी जिम्मेदारियों को भी संभालता है. गरियाबंद जिले के कोकड़ी प्राथमिक शाला इसकी बानगी है, जहां पहली से पांचवी क्लास के 78 बच्चे पंजीकृत हैं, लेकिन महज एक ही शिक्षक तैनात है.

 शिक्षक सिर्फ पढ़ाता नहीं, मिड-डे मील और प्रशासनिक काम भी करता है

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का कोकड़ी प्राथमिक शाला महज बानगी है. ऐसी ही दशा छत्तीसगढ़ में 5840 सरकारी स्कूलों का हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक तैनाता है, जिसके भरोसे पूरे स्कूल की जिम्मेदारी होती है, वह बच्चों को स्कूल टाइम में पढ़ाने के साथ-साथ उनके लिए मिड डे मील भी तैयार करता है और दूसरे प्रशासनिक कार्य भी निपटाता है, जिससे सरकारी स्कूलों से लोगों का मोहभंग होता है और एक शिक्षक वाले स्कूलों से अभिभावकों बच्चों को निकाल लेते हैं.

कांकेर जिले में एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं 172 सरकारी स्कूल

कुछ ऐसा ही नजारा कांकेर जिले के स्कूलों में देखा गया, जहां एक शिक्षक के भरोसे स्कूल में बच्चों की शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है. नक्सल प्रभावित कांकेर जिले में स्थित 172 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे है. इनमें सर्वाधिक कोयलीबेड़ा इलाके के स्कूल है.यहां के अधिकांश स्कूलों में एकल शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ स्कूल की अन्य जिम्मेदारियां निभा रहे है.इसका असर बच्चों के भविष्य पर पड़ना स्वाभाविक है.

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छत्तीसगढ़ के एक शिक्षक वाले स्कूलों की तादाद बहुत ज्यादा है, जिससे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन अभी भी शिक्षा विभाग की आंखें नहीं खुल रही हैं. दिलचस्प यह है कि एक शिक्षक वाले स्कूल के टीचर पढ़ाने के अलावा बाकी सब काम करते हैं, क्योंकि उनके ऊपर अन्य 100 जिम्मेदारियों का बोझ है.

प्राथमिक शाला शितलापारा में पंजीकृत 17 बच्चों कों संभालता है एक शिक्षक

रिपोर्ट के मुताबिक कांकेर जिले में 1051 प्राथमिक स्कूल है.इन स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं, लेकिन इन 1051 स्कूलों में से 172 स्कूलों में एकल शिक्षक मौजूद है, जो रोजाना बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूर चारामा ब्लॉक के ग्राम जेपरा स्थित शासकीय प्राथमिक शाला शितलापारा में 17 बच्चे पंजीकृत हैं, लेकिन स्कूल में केवल एक शिक्षक है. 

पूरे स्कूल को अकेले संभालते गरियाबंद जिले में तैनात शिक्षक

पूरे स्कूल को अकेले संभालते गरियाबंद जिले में तैनात शिक्षक

एक क्लास के बच्चों को काम देकर अन्य क्लास के बच्चो पढ़ाते हैं शिक्षक

पिछल पांच सालों से जेपरा शासकीय प्राथमकि शाला में तैनात शिक्षक कमलेश ठाकुर ने बताया कि स्कूल में बच्चों की संख्या भले कम है, लेकिन शिक्षकों की कमी से पूरे स्कूल टाइम में एक से पांचवी क्लास के बच्चों पढ़ाने में असुविधा होती है. एक क्लास के बच्चों को काम देकर अन्य क्लास के बच्चो पढ़ाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में उच्चाधिकारियो को भी कई बार अवगत कराया जा चुका है, लेकिन हालात नहीं बदले.

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जेपरा शासकीय प्राथमकि शाला में तैनात शिक्षक कमलेश ठाकुर ने बताया कि स्कूल में बच्चों की संख्या भले कम है, लेकिन शिक्षकों की कमी से पूरे स्कूल टाइम में एक से पांचवी क्लास के बच्चों पढ़ाने में असुविधा होती है. एक क्लास के बच्चों को काम देकर अन्य क्लास के बच्चो पढ़ाना पड़ता है

शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए अतिथि टीचर्स की होगी भर्ती  

हालांकि कांकेर जिला शिक्षा अधिकारी अशोक पटेल ने स्वीकार किया कि जिले के 172 स्कूलों में एकल शिक्षक के बदौलत बच्चों की पढ़ाई चल रही है. उन्होंने कहा कि एकल शिक्षक वाले 172 स्कूलों में जल्द शिक्षकों की तैनाती होगी. उन्होंने बताया कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए अतिथि शिक्षकों की भर्ती की योजना तैयार की गई है और आने वाले समय में यह धरातल पर दिखेगा भी. 

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