
कवर्धा जिला के पंडरिया विधानसभा का एक प्राथमिक स्कूल 1997 से संचालित हो रहा है. यह स्कूल छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पहले का बना हुआ है, उस समय छत्तीसगढ़ राज्य मध्य प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था. इस स्कूल को बने 28 साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अभी स्कूल का भवन नहीं बन पाया है. इतने वर्षों में सरकारें बदली, कई विधायक, मंत्री, जनप्रतिनिधि और दर्जनों अफसर बदले, लेकिन किसी ने विद्यालय की सूरत नहीं बदली.
सिर्फ एक कमरे में होती है पढ़ाई
यह स्कूल पंडरिया के बदना चुवा का प्राथमिक स्कूल है. यहां बैगा समाज के 30 बच्चे मिट्टी के कच्चे भवन में 10/15 के एक कमरे में बैठकर पढ़ाई करते हैं. स्कूल भवन की हालत काफी जर्जर है. बारिश होते ही लकड़ी और खपरे के छत से कमरे में पानी भर जाता है. पुरानी मिट्टी की दीवार ढहने लगती है. इन हालात में बच्चों को छुट्टी देनी पड़ती है और कई दिनों तक स्कूल बंद रहता है. स्कूल में पानी और शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है. वहीं, स्कूल में मात्र दो शिक्षक तैनात हैं और वे भी कई दिन स्कूल नहीं आते.
एमपी और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्कूल
स्कूल मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से लगा हुआ है. इसमें पढ़ने वाले सभी छात्र विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समाज के हैं. गांव में लगभग 30 बैगा परिवार रहते हैं, जिनके बच्चे प्राथमिक शिक्षा इसी विद्यालय में लेते हैं. 1997 से गांव में संचालित प्राथमिक शाला के लिए कई बार छात्र समेत शिक्षक नए भवन की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.
खाना बनाने वाली रसोईया रामकली ने बताया कि स्कूल भवन की मांग को लेकर वे मंत्री तक से मिलीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. वो आज तक स्कूल की मांग के लिए सरकार से लड़ रही हैं.
इस पर ब्लॉक के शिक्षा अधिकारी ने बताया कि कहा चार वर्ष पहले स्कूल भवन स्वीकृत हुआ है, लेकिन आदेश में विकासखंड का नाम गलत लिखने की वजह से संशोधन करने को दिया है.
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