
Health services in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले (Kanker District) से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने न सिर्फ मानवता को शर्मसार कर दिया है, बल्कि सिस्टम के नकारेपन की भी पोल खोल दी है. दरअसल, कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड के गांव पंडरीपानी से गुमड़ीपारा तक जाने वाली सड़क की हालत इतनी खराब है कि एंबुलेंस ड्राइवर ने वहां से जाने इनकार कर दिया. इसके बाद चार किमी पैदल चलने के बाद एंबुलेंस की सुविधा मिली.
राज्य सरकार भले ही प्रदेश में विकास की बयार बहाने के दावे कर रही हो, लेकिन हकीकत ये है कि बारिश के दिनों में कांकेर जिले के अंदरूनी इलाकों से लगातार शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आती रहती हैं. इसी कड़ी में एक गर्भवती महिला का कीचड़ से भरी सड़क पर पैदल चल कर अस्पताल जाने का वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि खस्ताहाल सड़क की वजह से ग्रामीण गर्भवती महिला को पैदल लेकर जा रहे हैं, जिसे 4 किलोमीटर पैदल चलने के बाद एम्बुलेंस की सुविधा मिली.
कांकेर में जर्जर सड़क बनी बाधा, गर्भवती को 4 किलोमीटर पैदल ले गए ग्रामीण #Chhattisgarh | #Kanker pic.twitter.com/6tytsasSrj
— NDTV MP Chhattisgarh (@NDTVMPCG) July 16, 2025
सोशल मीडिया पर वीडियो हुआ वायरल
इस मामले से संबंधित सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. यह वीडियो कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड के गांव पंडरीपानी से गुमड़ीपारा जाने वाली सड़क का बताया जा रहा है. इस सड़क की हालत बेहद खराब है. इसी सड़क से एक परिवार सुनीता कोमरा नामक गर्भवती महिला को लेकर अस्पताल जाते हुए दिख रहा है. दरअसल गांव तक पहुंचने वाली सड़क की हालत बेहद खराब है. लिहाजा, एंबुलेंस ड्राइवर ने यहां तक जाने से मना कर दिया. लिहाजा, ग्रामीण महिला को पैदल लेकर जा रहे हैं.
चार किमी पदल चलने के बाद मिली एंबुलेंस
बताया जा रहा है कि सड़क की हालत इतनी खराब है कि यहां से दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहन तक का चलना नामुमकिन हो जेसा हो चुका है. पूरी सड़क कीचड़ और गड्ढों से भरी पड़ी है. हालात ये है कि लोग पैदल चलने से कतराने लगे है. इसके बावजूद गर्भवती महिला को इस सड़क पर चार किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, तब जाकर परतापुर में एम्बुलेंस मिली. इसके बाद महिला को पखांजूर सिविल अस्पताल ले जाया गया.
ग्राम पटेल देवनिधि नरवास ने बताया कि सरपंच को कई बार इस समस्या से अवगत कराया गया है, लेकिन उन्होंने इस सड़क को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया. सरपंच और सचिव इस समस्या को नजरअंदाज करते आ रहे हैं. ग्रामीणों ने शासन से मांग की है कि पंचायत के कार्यों की जांच हो, साथ ही इस सड़क को जल्द से जल्द सुधारा जाए.
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परतापुर की यह घटना इस बात का प्रमाण है कि सड़क की खराब हालत की वजह से ग्रामीणों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं हैं.
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