Chhattisgarh Lok Sabha Elections 2024: छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र के दौरान 23 फरवरी को एक बड़ी घटना हुई. सदन के भीतर ही गर्भ गृह में विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक (Congress MLA) धरने पर बैठ गए और जमकर नारेबाजी की और भजन भी गाये. इससे एक दिन पहले 22 फरवरी को भी सदन में विपक्षी विधायकों ने जमकर नारेबाजी की और हंगामा भी किया था. माननियों ने सदन में हंगामा, नारेबाजी और धरना दिया तो सड़क पर रैली भी निकाली. दरअसल जनवरी 2024 में कबीरधाम जिले में हुई हत्या के 2 मामलों में कांग्रेस सत्ताधारी दल बीजेपी से इंसाफ दिलाने की मांग कर रही है. हत्या के इन मामलों में हंगामा क्यों किया जा रहा है इसको जानने से पहले, जान लेते हैं कि आखिर वह मामले हैं कौन से?
कबीरधाम: बैगा आदिवासी समुदाय के तीन की हत्या पर सियासत
सबसे पहले बात कबीरधाम जिले के पंडरिया विधानसभा क्षेत्र के नागडबरा गांव की. यहां 14 जनवरी को एक ही परिवार के तीन बैगा आदिवासियों हिरमती, उनके पति बुधराम और बेटे जोनहु बैगा का शव जली अवस्था में मिला. घर में कई सामान भी जले मिले. पुलिस ने प्रथम दृष्टया आगजनी का मामला माना. मामला दर्ज कर शवों का अंतिम संस्कार भी करवा दिया गया. हद ये है कि परिवार को प्राकृतिक आपदा की घटना की धाराओं के तहत मुआवजा भी बांट दिया गया. हालांकि वारदात के 37 दिनों बाद पुलिस ने ही मामले में बड़ा खुलासा किया. खुद कबीरधाम के एसपी अभिषेक पल्लव के मुताबिक ये मामला प्रॉपर्टी का डिस्प्यूट का था और इन तीनों लोगों को जिंदा ही आग में जलाकर मार डाला गया था. आरोपियों ने साक्ष्य को छुपाने की कोशिश की लेकिन पकड़े गए. इस मामले में एक नाबालिग सहित अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
बैगा आदिवासियों पर कांग्रेस उग्र
जब मामले का खुलासा हुआ तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत 30 कांग्रेसी विधायकों ने सदन में ध्यानाकर्षण की सूचना दी और 23 फरवरी को स्थगन का प्रस्ताव भी लाया. कांग्रेस ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं और गंभीर आरोप भी लगाए हैं. भूपेश बघेल ने कहा कि पुलिस ने बैगा आदिवासियों की परंपरा के विपरित इन तीनों का अंतिम संस्कार किया. शवों पर खून के निशान थे फिर भी उसे दबाने की कोशिश की गई . उन्होंने कहा कि एक तरफ आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, दूसरी ओर ये उपमुख्यमंत्री का गृह जिला है. इसके बावजूद वहां राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों की हत्या को दबाने की कोशिश जा रही है, बेहद दुर्भाग्य जनक है
भूपेश बघेल
कबीरधाम: यादव समाज का मुद्दा कांग्रेस ने उठाया
दूसरा मामला भी कबीरधाम जिले के ही लालपुर कला गांव का है. यहां 20 जनवरी की रात 50 वर्षीय साधुराम यादव की बेरहमी से हत्या कर दी गई. पुलिस का दावा है कि पेशे से चरवाहे साधराम गोशाला से वापस लौट रहे थे, उसी दौरान रास्ते में विशेष समुदाय के कुछ लोगों से उनका विवाद हुआ और धारदार हथियार से हत्या कर दी गई. पुलिस ने मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया और एक नाबालिग को भी पकड़ा.
वारदात के 28 दिन बाद पुलिस ने आरोपियों के संबंध आतंकी संगठन से होने का दावा किया है.पुलिस ने आतंकवादी गतिविधियों के रोकथाम के लिए उपयोग की जाने वाली धारा यूएपीए भी लगा दी है लेकिन कांग्रेस का कहना है कि पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला. इस मामले में कांग्रेस के विधायक देवेन्द्र यादव के मुताबिक पीड़ित परिवार को पांच लाख की मुआवजा राशि दी गई जिसे उसने अस्वीकार कर दिया. सरकारी नौकरी का वादा किया गया, लेकिन शुगर कारखाने में ठेका श्रमिक की नौकरी दी जा रही थी. सरकार के इस रवैये से पूरा यादव समाज गुस्से में हैं. उन्होंने कहा कि यादव समाज को ठगा जा रहा है, कांग्रेस परिवार शुरू से दलित, आदिवासी समाज की मांग उठाती रही है...पूरा यादव समाज आक्रोशित है हम सरकार को झुका कर रहेंगे.
विधानसभा में उठता रहा है मुद्दा
दरअसल आगामी महीनों में आगामी महीनों में लोकसभा के चुनाव होने हैं और इससे पहले यादव और बैगा परिवार में मौतों को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस आक्रामक है. गौरतलब ये है कि इससे पहले नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भी ऐसे ही 2 मौतों पर तब विपक्षी दल बीजेपी का आक्रामक रवैया देखने को मिला था. 8 अप्रैल 2023 को बेमेतरा के बिरनपुर में सांप्रदायिक विवाद में साहू परिवार के 22 वर्षीय युवक भूवनेश्वर साहू की हत्या कर दी गई....बीजेपी व कुछ हिंदुवादी संगठनों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. 10 अप्रैल को छत्तीसगढ़ बंद का आह्वाहन किया गया था. इस दौरान एक समुदाय विशेष के घरों में खूब तोड़फोड़ भी मची थी.बिरनपुर कांड विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा बना. अब नई सरकार इस पूरे मामले की CBI जांच करा रही है.
भिलाई में मलकीत की हत्या को बीजेपी ने उठाया
ऐसा ही मामला 16 सितंबर 2023 को दुर्ग जिले के भिलाई नगर विधानसभा क्षेत्र में भी सामने आया था. जिसमें खुर्सीपार गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान कुलवंत सिंह के बेटे मलकीत सिंह की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद आक्रोशित सिख समुदाय के लोगों ने थाने में धरना प्रदर्शन किया था. इस मुद्दे पर बीजेपी के स्थानीय और राज्य स्तर के नेताओं ने इसका खुलकर समर्थन किया. तत्कालीन सरकार पर दबाव बनाकर 10 लाख रुपये का मुआवजा पीड़ित परिवार को दिलवाया गया था.
दरअसल, छत्तीसगढ़ में कुछ मौतों पर सड़क से सदन तक हंगामा कर माननियों की मंशा भले ही पीड़ितों को न्याय दिलाना हो...लेकिन इसके पीछे की पॉलीटिकल क्रोनोलॉजी को भी नकारा नहीं जा सकता. ऐसे में सवाल उठता है कि छत्तीसगढ़ में मौतों पर सदन से लेकर सड़क तक चल रही राजनीति का लाभ क्या सच में पीड़ितों को मिलेगा या फिर राजनीति की रोटियां सेंकने वालों का ही इससे पेट भरेगा.
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