
Anti Naxal Operation: सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित गांवों की दशा सुधरने लगी है. इसकी बानगी है कि जहां पहले नक्सलियों के दहशत से साप्ताहिक बाजार तक बंद हो गए थे, वहां बाजार फिर बार फिर गुलजार हो गए हैं, इससे ग्रामीणों के हालात ही नहीं बदले हैं, बल्कि ग्रामीणों में नक्सलवाद के आंतक से मुक्ति पाने का भरोसा तेजी बढ़ा है.
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कब्जे वाले केरलापाल के बोदागुड़ा से बगड़ेगुड़ा के बीच 20 किमी में बदले हालात
गौरतलब है जिले के केरलापाल के बोदागुड़ा से बगड़ेगुड़ा के बीच 20 किमी का इलाका नक्सलियों के कब्जे में था. यहां तक पहुंच पाना किसी जंग लड़ने से कम नहीं था. यही वजह था कि नक्सल दहशत के चलते इलाके में लगने वाला साप्ताहिक बाजार भी बंद हो गया, लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल गए हैं.
परिया गांव में पुलिस का नया सुरक्षा कैंप खुलने के बाद से बदल गई है तस्वीर
रिपोर्ट कहती है कि एक साल पहले सुकमा पुलिस और जिला प्रशासन के प्रयासों से परिया गांव में नया सुरक्षा कैंप खोला गया. कैंप खुलने के बाद से इलाके की तस्वीर बदल गई है. सुरक्षा कैंप के खुलने से नक्सलियों की गतिविधियों में कमी ही नहीं आई, बल्कि विकास कार्यों को गति भी मिली है.
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परिया और सामसट्टी के बीच के पहाड़ को काटकर शुरू हुआ सड़क निर्माण
नक्सल गांवों की विकास में बाधा बन रहे परिया और सामसट्टी के बीच के करीब 600 मीटर लंबी पहाड़ी काटकर सड़कों का निर्माण जारी है. सड़क निर्माण में मिट्टी-मुरूम का काम पूरा हो गया है. इससे सालों से पगडंडी व पथरीले रास्तों से होकर गुजरने वाले ग्रामीणों में खुशी का माहौल है, जहां साइकिल चलना मुश्किल था, वहां 4 पहिया वाहन दौड़ रहे हैं.
पहले राशन के लिए सामसट्टी पर निर्भर थे गोगुंडा, बगड़ेगुड़ा व परिया के ग्रामीण
उल्लेखनीय है पहले गोगुंडा, बगड़ेगुड़ा व परिया के ग्रामीणों को राशन के लिए सामसट्टी पर निर्भर थे. ग्रामीणों राशन के लिए करीब 12-13 किमी दूर चलना पड़ता था. है, क्योंकि पहुंचविहीन इलाके तीनों गांव का राशन सामसट्टी में उतारा जाता था. इससे उन्हें हर महीने मीलों सफर तय कर सामसट्टी पहुंचना पड़ता थे, लेकिन अब हालात बदल गए हैं.
नियद नेल्लानार योजना के तहत गांव में राशन दुकान के लिए बनाए गए भवन
रिपोर्ट के मुताबिक नक्सल प्रभावित परिया समेत तीन गांवों में सामसट्टी से राशन घर तक पहुंचने में पूरा दिन लग जाता था, कभी-कभी तो ग्रामीण दूसरे दिन घर पहुंचते थे, लेकिन सड़क बन जाने से अब परिया में राशन उतारा जा रहा है. नियद नेल्लानार योजना के तहत परिया में हाल ही में राशन दुकान के लिए भवन बनाए गए, इससे गोगुंडा, बगड़ेगुड़ा व परिया के ग्रामीण नए राशन दुकान से हर महीने चावल व अन्य दैनिक उपयोगी खाद्य सामग्री उठा रहे हैं.
नक्सल दहशत से बंद हुआ एकमात्र साप्ताहिक बाजार फिर हुआ गुलजार
नक्सल दहशत के चलते इलाके मे लगने वाला एकमात्र साप्ताहिक बाजार बंद हो गया था, लेकिन नया कैंप खुलने के बाद से परिया में बाजार गुलजार होने लगा है. केरलापाल व चिकपाल से व्यापारी पिकअप वाहनों से खाद्य सामग्री व हरी सब्जियों को बेचने परिया आ रहे हैं. व्यापारियो ने बताया कि 13 साल से परिया व बगड़ेगुड़ा इलाके में व्यापार कर रहे हैं. पहले परिया तक पहुंचना बेहद मुश्किल था,लेकिन सड़क बनने से सहूलियत बढ़ी है, इससे ग्रामीणों में विश्वास बढ़ा है.
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