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National Civil Services Day 2025: सुशासन की रीढ़, राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा है सिविल सेवा- CM साय

National Civil Services Day 2025: एक सच्चे सिविल सेवक में सिर्फ अनुशासन ही नहीं, बल्कि टीम भावना, सार्वजनिक उत्तरदायित्व, पारदर्शिता और नीतिगत प्रतिबद्धता भी आवश्यक होती है. वह न केवल नीतियों को लागू करता है, बल्कि शासन की दिशा और विकास की गति को भी तय करता है.

National Civil Services Day 2025: सुशासन की रीढ़, राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा है सिविल सेवा- CM साय
National Civil Services Day 2025: सिविल सेवा दिवस

National Civil Services Day 2025: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस (21 अप्रैल) के अवसर पर देश सेवा में समर्पित सभी सिविल सेवकों एवं उनके परिवारजनों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं. मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह दिन न केवल सिविल सेवकों के अमूल्य योगदान को स्मरण करने का अवसर है, बल्कि यह भविष्य की चुनौतियों के संदर्भ में आत्ममंथन और नवचिंतन का भी दिवस है. यह अवसर हमें याद दिलाता है कि प्रशासनिक तंत्र राष्ट्र के विकास पथ का मूल आधार है, और सिविल सेवकों की दक्षता, निष्ठा और दूरदृष्टि ही नीतियों को ज़मीन तक पहुँचाने में सहायक होती है.

सुशासन के पथ पर प्रदेश : साय

मुख्यमंत्री ने कहा कि सिविल सेवक वह कड़ी हैं जो सरकार की योजनाओं और जनता की अपेक्षाओं के बीच सेतु का कार्य करते हैं. उन्होंने कहा सिविल सेवकों की प्रतिबद्धता और परिश्रम से ही देश और प्रदेश सुशासन के पथ पर अग्रसर होता है. उन्होंने सिविल सेवकों को निष्ठापूर्वक अपने कर्तव्यों का वहन करते हुए देश और प्रदेश की उन्नति में अपना बहुमूल्य योगदान देने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि आपकी प्रतिबद्धता एवं कर्मठता ही भारत को एक समर्थ, समावेशी और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की नींव है.

क्याें और कब से मनाया जा रहा है यह दिवस? Civil Services Day 2025

सिविल सेवा दिवस के रूप में 21 अप्रैल की तारीख इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि 21 अप्रैल, 1947 को स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने दिल्ली के मेटकाॅफ हाउस में प्रशासनिक सेवा के प्रोबेशनरी अधिकारियों को संबोधित करते हुए सिविल सेवकों को 'भारत का स्टील फ्रेम '(Steel Frame of India) कहा था. सिविल सेवा दिवस को पहली बार दिल्ली के विज्ञान भवन में 21 अप्रैल, 2006 को मनाया गया था.

इतिहास Civil Services Day History

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यकाल में “सिविल सेवा” शब्द सामने आया. वॉरेन हेस्टिंग्स ने इसकी नींव रखी और चार्ल्स कॉर्नवालिस द्वारा इसे संरचित किया गया, इसलिए उन्हें “भारत में सिविल सेवा का जनक” कहा जाता है. 1835 में मैकाले की रिपोर्ट के आधार पर मेरिट आधारित प्रणाली की शुरुआत हुई. 1855 से प्रतिस्पर्धी परीक्षाएं लंदन में आयोजित होने लगीं. हालाँकि, 1864 में सत्येन्द्रनाथ टैगोर पहले भारतीय बने जिन्होंने यह परीक्षा पास की.

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2025 के अवसर पर सरकार उन अधिकारियों को सम्मानित करती है जिन्होंने जन प्रशासन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है. इस दिन भारत के प्रधानमंत्री स्वयं उत्कृष्ट सिविल सेवकों को पुरस्कार प्रदान करते हैं, जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन निष्ठा और ईमानदारी से करते हैं.

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