
Chhattisgarh News: धरमजयगढ़ विकासखंड का लामीखार गांव बहुत पिछड़ा हुआ है. ये जिले के अंतिम छोर पर जंगलों के बीच बसा हुआ है. पहले लोग इसे जानते भी नहीं थे. लेकिन अब प्राथमिक विद्यालय (Primary School) बनने के बाद इसकी एक नई पहचान बनी है. स्वच्छ वातावरण होने के कारण अब लोग इसमें अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए भेजते हैं. बल्कि कई ऐसे लोग भी हैं जो दूर-दराज के इलाके से इस गांव में रहकर अपने बच्चे को पढ़ा रहे है.
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छाल के तहसीलदार हुए प्रेरित
बीते 26 जनवरी को छाल के तहसीलदार महेंद्र लहरे के साथ समस्त छाल राजस्व स्टॉफ ने इस प्रथमिक स्कूल में आकर बच्चों से मुलाकात की. लामीखार का नजारा देखकर उन्हें बहुत अच्छा लगा. इस माहौल से प्रभावित होकर आज महेंद्र लहरे और उनके राजस्व स्टॉफ ने स्कूल आकार सभी बच्चों को स्कूल ड्रेस, ब्लेजर, टाई, जूता, बैग और स्कूल प्रांगण के लिए सैकड़ों पौधों का सहयोग दिया.
मुझसे जो बनेगा मैं जरूर करूंगा...
महेंद्र लहरे ने इस मौके पर कहा कि सरकारी स्कूल होने के बाद भी इसमें अच्छी शिक्षा है. निजी स्कूलों की तुलना में ये स्कूल किसी से कम नहीं है. मैंने तो अभी शुरुआत की है. आगे बच्चों के लिए मुझसे जो बनेगा मैं जरूर करूंगा.
शिक्षा के साथ वातावरण भी अच्छा
इस प्राथमिक स्कूल परिसर की प्राकृतिक वातावरण देखकर एक पॉजिटिव ऊर्जा उत्पन्न होती है. जिससे बच्चों को पढ़ने और शिक्षकों को पढ़ाने में एक अलग उत्साह आता है. यहां स्कूल परिसर में खुले में घूमते हुए खरगोश, सफेद चूहा, बत्तख, टर्की और विभिन्न प्रजाति के कबूतर स्कूल की शोभा बढ़ाते हैं.
दूसरे जिले से भी आते हैं लोग
स्कूल में बच्चों की पढ़ाई और रिजल्ट देखकर आसपास के क्षेत्र के साथ-साथ अब अन्य जिलों के पैरेंट्स भी अपने बच्चों को लामीखार गांव में रहकर अच्छी शिक्षा दिलवा रहे हैं. बाहरी बच्चों की इतनी संख्या हो गई है कि लामीखार गांव में अब कोई घर खाली नहीं बचा है.
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