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This Article is From May 20, 2024

Kawardha: तेंदूपत्ते ने ले ली जान... ये है 16 महिलाओं और तीन बच्चों के मौत की इनसाइड स्टोरी

CG News: रविवार को प्रदेश में एक बड़ा सड़क हादसा हुआ जिसमें एक ही गांव के 19 लोगों ने जान गवां दी. घटना से भी कही ज्यादा दुखद इन लोगों का दर्द है...

Kawardha: तेंदूपत्ते ने ले ली जान... ये है 16 महिलाओं और तीन बच्चों के मौत की इनसाइड स्टोरी
पिकअप पलटने से 19 लोगों की हुई दर्दनाक मौत

Kawardha Road Accident: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के अंदरूनी इलाके में बसा एक छोटा सा गांव है सिमराह.. 19 मई की रात को जब ये गांव सोया था, तब यहां की कुल आबादी 163 लोगों की थी, जो 20 मई को घटकर 144 रह गई... 5-6 लोग अब भी मौत से दो-दो हाथ कर रहे हैं... जानते हैं क्यों... क्योंकि गांव के 35 लोग गांव से 25 किलोमीटर दूर पहाड़ की चढ़ाई कर तेंदूपत्ता (Tendu leaves) चुनने गए थे. सुबह 6 बजे जब वे गए तो सभी बड़े खुश थे, लेकिन जब लौटे तो गांव पर गम का पहाड़ टूट पड़ा था... 35 में से 19 की मौत हो चुकी थी और इसमें भी सभी महिलाएं और किशोर थे.. आइए आपको इस घटना के पिछे की कहानी बताते हैं.. कितना कठिन है इस गांव के लोगों का संघर्ष जो हर दिन अपने जान को हथेली पर रखकर बाहर जाते हैं...

लगभग 20 फीट गहरे गड्ढे में गिरा पिकअप

लगभग 20 फीट गहरे गड्ढे में गिरा पिकअप

जान जोखिम में डालकर करते थे अपना जीवन बसर

छत्तीसगढ़ के बैगा जनजाति बाहूल्य जिला कबीरधाम के सिमराह गांव के लोगों के संघर्ष को अगर आपने जान लिया तो दुनिया के सारे संघर्ष छोटे लगने लगेंगे... इस गांव में कुल 163 लोग रहते थे. लेकिन, 20 मई को हुए भयानक सड़क हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद अब यहां की कुल जनसंख्या महज 144 ही रह गई है.. कुकदूर थाना क्षेत्र में एक पिकअप पलटने से सरकार द्वारा संरक्षित बैगा जनजाति के 19 लोगों की मौत हो गई और तीन लोगों का इलाज अस्पताल में चल रहा है. घटना में 16 महिलाओं और तीन बच्चों की जान चली गई.. बच्चों की उम्र महज 15-16 साल की थी. जिन बच्चों ने अभी तक ठीक तरीके से दुनिया भी नहीं देखी, वह अपने परिवार का फर्ज निभाते-निभाते पंचतत्व में विलीन हो गए.. 

3000 मानक बोरा का मिला था लक्ष्य..2205 मानक बोरे की पूर्ति हो चुकी थी पूरी.. एक मानक बोरा में एक हजार गड्डी होती हैं. एक गड्डी में 50 पत्ते होते हैं. 
तेंदूपत्ते और लोग एक ही पिकअप पर थे सवार

तेंदूपत्ते और लोग एक ही पिकअप पर थे सवार

तेंदूपत्ता ने ले ली जान!  

सिमराह गांव की महिलाओं और बच्चों के मौत का असल कारण कही न कही तेंदूपत्ता बना.. दरअसल, इस गांव के लोगों को सरकार ने 3000 बोरा तेंदूपत्ता जमा करने का लक्ष्य दिया था. गांव के लोगों ने अब तक कुल 2205 बोरे पत्ते जमा कर भी लिए थे. इसी काम के लिए हर दिन की तरह सोमवार को भी गांव के 35 लोग एक पिकअप में मैकल पहाड़ी इलाके में गए थे. तेंदूपत्ता जमा करने के बाद पिकअप में अपने साथ लेकर वापस आ रहे थे कि तभी पिकअप 35 फिट गहरे गढ्ढे में ऐसे गिरा कि मौके पर ही 19 महिलाओं और छोटे बच्चों की मौत हो गई.. पिकअप में पुरूष भी थे, लेकिन गढ्ढे में गिरने से पहले ही सभी पिकअप से बाहर कूद गए थे.. 

तेंदूपत्ते जमा करने के लिए गांव के लोग हर दिन पहाड़ के ऊपर 25 किमी जाते हैं और 25 किमी आते हैं. कई लोग पिकअप बुक करके जाते हैं तो कई लोग बाइक से इस काम के लिए जान जोखिम में डालते हैं... 

सालों बाद बढ़ी है प्रति मानक बोरा पर दी जाने वाली कीमत

सरकार तेंदूपत्ता जमा करने वाले लोगों को प्रति मानक बोरा कुछ पैसे देती है, जिससे उनकी आर्थिक मदद हो सके. पहले ये कीमत 2500 रूपए प्रति बोरा थी. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद इसको 4000 रूपए प्रति बोरा कर दी गई थी. इसके बाद सीएम साय की भाजपा सरकार ने इस कीमत को 5500 प्रति मानक बोरा कर दिया गया. लेकिन, आज की महंगाई में एक परिवार के गुजर-बसर के लिए ये कीमत भी पर्याप्त नहीं है.. 

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सभी को मिलेगा मुआवजा

सड़क दुर्घटना में राहत की बात यह रही कि इसमें मरने वाले सभी मजदूरों का बीमा हैं. बीमा के तहत जो 50 साल से कम आयु वाले हैं, उनको 4 लाख मुआवजा का प्रावधान है. 50 से कम उम्र वाले लोगों को 75 हजार रूपए मुआवजा मिलेगा. लेकिन, क्या सिर्फ चंद पैसे मिल जाने से उस परिवार का दर्द खत्म हो जाएगा, जिसने अपनी मां, अपनी पत्नी, अपनी बेटी या अपनी बहू खो दी..  

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ठेकेदार को सौंपते हैं तेंदूपत्ते

कबीरधाम के पंडरिया ब्लॉक में 80 जगह ऐसे हैं जहां तेंदूपत्ता को संग्रह किया जाता हैं. गांव के सभी लोग इस काम से जुड़े हुए हैं. ये लोग वन विभाग को तेंदूपत्ता देते हैं और विभाग आगे ठेकेदार को दे देता है. ठेकेदार का नाम रेवा प्रभु ट्रेडर्स, राजनांदगांव है. बदले में गांव वालों को अपना जीवन यापन करने के लिए 5500 रूपए दिए जाते है..

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