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कोरोना से कमजोर हो गए फेफड़े! छत्तीसगढ़ की इस रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, बढ़ गए TB के मामले

CG News: छत्‍तीसगढ़ में लगातार टीबी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. कोरोना महामारी के प्रहार से प्रदेश में टीबी के मरीज दोगुने हो गए हैं. तेजी के साथ बढ़ रहे टीबी मरीजों को लेकर मेडिकल कालेज के टीबी और चेस्ट विभाग के विशेषज्ञों ने शोध किया. उन्होंने अपने शोध का मुख्य बिंदु कोरोना रखा. कोरोना के कारण तो टीबी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी तो नहीं हुई है. शोध में टीबी मरीजों की संख्या बढ़ने में कोरोना का कोई भी असर नहीं मिला.

कोरोना से कमजोर हो गए फेफड़े! छत्तीसगढ़ की इस रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, बढ़ गए TB के मामले

Chhattisgarh News: कोरोना महामारी (Covid 19 Pandemic) से लाखों की तादाद में लोगों की मौत हुई, आज भी कई लोग स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतों से जूझ रहे हैं. छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े नेहरु मेडिकल कॉलेज (Nehru Medical College) की एक रिपोर्ट बताती है कि कोरोना (Covid) के बाद लोगों के फेफड़े कमजोर हुए हैं और फेफड़ों से जुड़ी बीमारी के मरीजों की संख्या दोगुनी तक हो गई है. छत्तीसगढ़ के नेहरू मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट बताती है कि 6 साल में वहां टीबी के मरीज लगभग दो गुना हो गये हैं, कोरोना ने फेफड़ों को कमजोर कर दिया जिसकी वजह से अस्थमा, एलर्जी और टीबी के मरीज बढ़ गए हैं. आइए देखिए हमारी स्पेशल रिपोर्ट.

पहले देखिए क्या कहते हैं आंकड़े

  • 2019 में टीबी के मरीजों की संख्या घटकर 11034 थी. 
  • 2020 में 11864 हुई.
  • 2021 में ये आंकड़ा 14756 तक पहुंच गया. 
  • 2022 में ये आंकड़े 18305 थे. 
  • 2023 में टीबी मरीजों की संख्या 20205 हो गई.

अब इन केस से समझिए कैसी हैं समस्याएं?

राजेश 25 दिनों से परेशान हैं. गले में दर्द है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है. रायपुर के भीमराव अंबेडकर अस्पताल में भर्ती हैं. राजेश का कहना है कि गले में दर्द हो रहा था सांस लेने में परेशानी है, पच्चीस दिन से मुझे ये समस्या है, पांच दिन से अस्पताल में भर्ती हूं. वहीं 60 साल के दुकल्हाराम अपनी 24 साल की बेटी कुलेश्वरी ध्रुव का इलाज कराने आए हैं, उनकी बेटी को गले में इन्फेक्शन हुआ सांस लेने में परेशानी है. दुकल्हाराम ध्रुव का कहना है कि बेटी को सांस लेनी के दिक्कत है, पेट में दर्द हो रहा है, जब इंफेक्सशन होता है उसे दिक्कत होने लगती है.

एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

हॉस्पिटल में चेस्ट डिपार्टमेंट के HOD डॉ आर के पांडा का कहना कि मैं फेफड़े का विशेषज्ञ हूं. कोरोना पेशेंट का हमारे और हमारे साथियों द्वारा इलाज किया गया है. कोरोना के पहले की और बाद की जो स्थिति थी, हम लोगों ने यह भलीभांति देखी है. फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के नंबर बढ़ते गए हैं. यह देखा गया कि पोस्ट कोरोना यह बीमारी बढ़ गई. आंकड़े हमारे पास आ रहे हैं. यह आंकड़े दोगुना के आसपास हैं. पहले हर साल टीबी के आंकड़े कम हो रहे था, पहले लोगों को सर्दी खांसी होती थी, जो दो-तीन दिन में ठीक हो जाती थी, आजकल देखा जा रहा है बहुत लंबा खींच रहा है बहुत लोगों में एलर्जी देखी गई है जैसे नाक का बंद होना.

डॉक्टरों ने दी यह सलाह

कोरोना के बाद टीबी के मरीजों की संख्या दुगनी हो गई है इसे में डॉक्टर से इलाज के साथ लोगों को अपनी लाइफ स्टाइल में सुधर करना होगा तभी स्वास्थ्य बेहतर होगा. डॉक्टर आर के पांडा का कहना है कि समस्या होने पर मेडिकल स्टोर से सीधे दावा ना लेकर डॉक्टर से संपर्क करके डोज कंप्लीट कीजिए, उसके पश्चात आप नेचुरोपैथी इलाज कर सकते हैं, स्टीम इनहेलेशन करें, ठंडा और गरम से बचें, हेल्दी फूड खाएं, दिनचर्या ठीक करें और सबसे अहम बात एक्सरसाइज जरूर करें.

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