![CG News: अवैध रूप से संचालित किए जा रहे 35 ईंट भट्टे, चोरी के कोयले से बन रही ईंटें CG News: अवैध रूप से संचालित किए जा रहे 35 ईंट भट्टे, चोरी के कोयले से बन रही ईंटें](https://c.ndtvimg.com/2024-06/jbug0448_mcb-news_625x300_02_June_24.jpg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=773,height=435)
MCB News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के चिरमिरी (Chirmiri) जिले के बड़ा बाजार के इंद्रा नगर में एसईसीएल (SECL) की 10 एकड़ लीज भूमि पर 2 दशक से अवैध ईंट भट्ठे (Brick kilns) का उद्योग संचालित किया जा रहा है. इसके ठीक सामने एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र का ओपन कास्ट कोयला खदान है, जहां से रोज रात कोयला चोरी किया जाता है, जिसे ईंट पकाने में उपयोग किया जाता है. बावजूद इसके, खनिज विभाग से लेकर स्थानीय प्रशासन आज तक इसपर कार्रवाई नहीं कर सका है.
रोजाना बनती हैं 5-6 ट्रक ईंटें
अवैध लाल ईंट भट्टे से हर दिन 5 से 6 ट्रक ईंट चिरमिरी समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों में भिजवाई जाती है. ईंट लेकर ट्रक चिरमिरी के मुख्य मार्गों से गुजरती हैं. इनपर कोई कार्रवाई नहीं होती है. खास बात तो यह है कि ईंट भट्ठा संचालक इसके लिए खनिज विभाग में रॉयल्टी तक नहीं दे रहे हैं. चोरी की बिजली, चोरी का कोयला और मुफ्त की जमीन पर संचालक अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. चिरमिरी में विभागीय अधिकारी छोटे ईंट भट्ठों पर तो कार्रवाई करते हैं, लेकिन इंद्रा नगर के ईंट भट्ठों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
![अवैध रूप से बनाई जा रही ईंट अवैध रूप से बनाई जा रही ईंट](https://c.ndtvimg.com/2024-06/eq2eabe_fnnv_625x300_02_June_24.jpg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=632,height=421)
अवैध रूप से बनाई जा रही ईंट
एसडीएम और तहसील कार्यालय के पीछे हो रहा खेल
ओसीपी चिरमिरी और इंद्रा नगर बड़ा बाजार से चिरमिरी थाना की दूरी एक किमी है, जबकि एसडीएम और तहसील कार्यालय 500 मीटर की दूरी पर ही हैं. एसईसीएल के अधिकारी और यूनियन नेताओं का आना-जाना इसी सड़क से होता है, लेकिन मामले में कार्रवाई नहीं होती है. दूसरी ओर, खनिज विभाग के अनुसार जिले में 6 लोगों को लाल चिमनी ईंट बनाने की अनुमति दी गई है. जबकि इस क्षेत्र में कुल 35 भट्टे संचालित हो रहे हैं.
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चोरी की बिजली और पानी का हो रहा उपयोग
चिरमिरी ओसीपी से हर महीने में 15 टन से अधिक चोरी का कोयला इंद्रा नगर में संचालित अवैध ईंट भट्टों में ईंट पकाने के लिए उपयोग किया जाता है. यहां पर्यावरण विभाग, खनिज विभाग समेत राजस्व विभाग की नजर नहीं पड़ती है. यहां रॉयल्टी क्लीयरेंस का भी मामला नहीं आता, जबकि अवैध तरीके से मिट्टी, कोयला, चोरी की बिजली और पानी का उपयोग किया जा रहा है.
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