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दीक्षा सारथी बनीं 15 म‍िनट की ज‍िला कलेक्‍टर, DM की कुर्सी बैठते ही जारी किए ये तीन बड़े आदेश

Youth Collector Deeksha Sarthi को World Children's Day पर 15 मिनट के लिए Janjgir-Champa का Collector बनाया गया. इस दौरान उन्होंने तीन फैसले लिए-Plastic Ban Awareness, Digital Fasting Campaign और One Tree Mother Name Initiative. दीक्षा ने कहा कि उनका सपना IAS Officer बनने का है.

दीक्षा सारथी बनीं 15 म‍िनट की ज‍िला कलेक्‍टर, DM की कुर्सी बैठते ही जारी किए ये तीन बड़े आदेश
Deeksha Sarthi Collector Janjgir-Champa Chhattisgarh

Chhattisgarh Janjgir-Champa Collector: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिला प्रशासन ने अनोखी पहल करते हुए कक्षा 11वीं की छात्रा दीक्षा सारथी को 15 मिनट के लिए ज़िले का प्रतीकात्मक कलेक्टर बनाया. 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस 2025 के मौके पर जांजगीर-चांपा के वास्तविक जिला कलेक्टर आईएएस जन्मेजय महोबे की मौजूदगी में दीक्षा ने न सिर्फ कलेक्टर की कुर्सी संभाली, बल्कि जिले से जुड़े तीन महत्वपूर्ण आदेश भी जारी किए. जिला कलेक्टर की कुर्सी पर बैठने के इस अनुभव ने दीक्षा के सपनों को और मजबूत कर दिया, क्योंकि वह भविष्य में सचमुच कलेक्टर बनना चाहती हैं. 

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दीक्षा सारथी का पर‍िवार

मीडिया से बातचीत में दीक्षा सारथी ने कहा कि कलेक्टर की कुर्सी पाकर बहुत खुशी हुई. यह अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा. बचपन से सपना है कि UPSC क्रैक करके देश और जिले की सेवा करूं. दीक्षा का ताल्लुक एक मिडिल क्लास परिवार से है. पिता किसान हैं और मां हाउसवाइफ. परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है. दीक्षा कहती हैं कि उनके शिक्षक भी उन्हें आईएएस बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और पढ़ाई अच्छी चल रही है.  

Deeksha Sarthi Collector Janjgir-Champa Chhattisgarh

Deeksha Sarthi Collector Janjgir-Champa Chhattisgarh

डिजिटल फास्टिंग अभियान: जिले के सभी स्कूल और कॉलेजों में महीने में कम से कम एक दिन इंटरनेट और मोबाइल इस्तेमाल पूरी तरह बंद हो. इस समय को बच्चे पढ़ाई, खेल और परिवार के साथ बिताएं.
प्लास्टिक बंद उपयोग: जिले में प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह कम करने और जागरूकता बढ़ाने का प्रस्ताव.
मां के नाम एक पेड़ अभियान: जो भी व्यक्ति पेड़ लगाए, वह उसकी नियमित देखभाल भी करे.

दीक्षा ने बताया कि उन्होंने जांजगीर-चांपा 'जिला कलेक्टर' बनने के बाद तीन मुख्य फैसले लिए. पहला-प्लास्टिक का उपयोग बंद करने को लेकर जागरूकता बढ़ाना. दूसरा-‘एक पेड़ मां के नाम' अभियान को सुरक्षित रखना. और तीसरा फैसला ‘डिजिटल फास्ट' का था, जिसमें बच्चों को इंटरनेट से दूरी बनानी चाहिए.

महीने में कम से कम एक दिन इंटरनेट का उपयोग बिल्कुल न किया जाए. इस समय को बच्चों को अपने परिवार, किताबों और खेलकूद में देना चाहिए. दीक्षा का मानना है कि प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और इंटरनेट का बढ़ता उपयोग बचपन छीन रहा है. वे खुद भी अपनी जिंदगी में डिजिटल फास्टिंग शुरू करेंगी.

डिजिटल फास्टिंग क्‍या है?

जांजगीर-चांपा जिला कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने बताया कि विश्व बाल दिवस के मौके पर यूनिसेफ टीम के साथ बच्चे उनके ऑफिस पहुंचे थे. दीक्षा सारथी को कुछ समय के लिए जिला कलेक्टर बनाया गया. उन्होंने तीन अहम फैसले लिए. पहला-जिले के हर स्कूल और कॉलेज के बच्चे ‘डिजिटल फास्टिंग' शुरू करें. महीने में एक बार डिजिटल फास्ट रखकर इंटरनेट से दूर रहें. इस दौरान किताबों से दोस्ती हो, परिवार को समय दिया जाए और खेलकूद में हिस्सा लें.

जांजगीर-चांपा जिला कलेक्टर जन्मेजय महोबे के अनुसार, 15 मिनट की कलेक्टर दीक्षा का दूसरा फैसला प्लास्टिक मुक्त शहर था. लोगों से अपील की गई कि प्लास्टिक का उपयोग कम करें. ‘एक पेड़ मां के नाम' अभियान से जुड़े तीसरे फैसले में दीक्षा ने कहा कि जिन्होंने अभियान के तहत पौधे लगाए हैं, वे उनकी नियमित देखभाल करें. 

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