Chhattisgarh 10th Topper: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर (Balrampur) जिले के आदिम जाति कल्याण शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (Tribal Welfare Government Higher Secondary School), जरहाडीह के कक्षा दसवीं की छात्रा अंशिका गुप्ता (Anshika Gupta) ने अपने जिले में टॉप किया और प्रदेश में टॉप 10 में अपनी जगह बनाई. इसको लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Vishnu Dev Sai) और श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन (Lakhan Lal Dewangan) के द्वारा मुख्यमंत्री निवास रायपुर में नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना (Noni Babu Meritorious Education Assistance Scheme) के तहत दो लाख रुपये का चेक देकर सम्मानित किया. सीएम साय ने अंशिका के बेहतर और उजज्वल भविष्य की कामना भी की.
97.6% के साथ राज्य में हासिल किया सातवां स्थान
9 मई 2024 को छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने अपना कक्षा दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा की परिणाम घोषित किया था. इसमें शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जरहाडीह में कक्षा दसवीं में पढ़ने वाली अंशिका गुप्ता जिले में टॉप करने के साथ पूरे छत्तीसगढ़ में 97.6% अंक लाकर टॉप 10 में अपनी जगह सुनिश्चित करते हुए सातवां पायदान हासिल किया था. अंशिका के पिता सुजीत गुप्ता श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिक हैं. श्रम विभाग द्वारा राज्य की मेधावी छात्रों के लिए चलाए जा रहे नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के अंतर्गत उन्हें खास सम्मान राशि मिली है.
बहुत मजबूत नहीं है पारिवारिक स्थिति
बता दें कि अंशिका गुप्ता बलरामपुर जिले के एक छोटे से गांव झलपी की रहने वाली हैं. पिता सुजीत कुमार गुप्ता कृषि और मजदूरी का काम करते हैं. साथ ही, उनकी माता एक ग्रहणी है, जो अपने पति के साथ मजदूरी का काम करके अपने तीनों बेटियों को पढ़ा रहे हैं. माता-पिता की इस कठिन परिश्रम का यह फल है कि अंशिका ने पूरे मेहनत और लगन के साथ कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा दी और परीक्षा परिणाम घोषित हुआ तो उन्हें पता चला कि जिला में टॉप करने के साथ पूरे राज्य में सातवां स्थान हासिल किया है.
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डॉक्टर बनना चाहती है अंशिका
अंशिका गुप्ता ने कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 97.6 प्रतिशत अंक लाकर पूरे प्रदेश में सातवां स्थान हासिल किया है. वह आगे की पढ़ाई करने की चाहत रखती हैं और डॉक्टर बनने की इच्छा है. लेकिन, उनके सामने पारिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होना एक बड़ी समस्या बनकर सामने खड़ी हुई है. उनके पिता गांव में ही मजदूरी कृषि का काम करके उनका पढ़ाई का पूरा खर्च उठा रहे थे.अब सरकार के दो लाख रुपये की सहायता करने के बाद उनका मनोबल और बढ़ गया है.
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