Chhattisgarh Sharab Bandi: छत्तीसगढ़ में शराब और सियासत की पुरानी जुगलबंदी रही है...अब एक बार फिर से राज्य में शराबबंदी की मांग को लेकर वार-पलटवार का नया दौर शुरू हो गया है. दरअसल यह नई सियासी बहस मालवाहक ड्राइवरों की प्रदेशव्यापी हड़ताल से शुरू हुई है...इसके अलावा सरकार द्वारा 67 नई शराब की दुकानें खोलने के फैसले को लेकर भी बहस हो रही है. इसी को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने विधानसभा के मानसून सत्र में सत्ताधारी दल को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है.
छत्तीसगढ़ में आंकड़े हैरान करने वाले
कांग्रेस केआरोपों और शराबबंदी की मांग के बीच, छत्तीसगढ़ में शराब से जुड़े आंकड़े भी हैरान करते हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 34% पुरुष और 5% महिलाएँ शराब पीती हैं. पहले आंकड़ों पर निगाह डाल लेते हैं फिर इसे लेकर हो रही सियासत पर बात करेंगे.

पहली बार ड्राइवर संगठन ने की मांग
छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह संभवतः पहली बार था जब ड्राइवर महासंगठन के एक बड़े समूह ने अपनी मांगों में शराबबंदी को पहले स्थान पर रखा. महासंगठन के दुर्ग संभाग प्रभारी अजय वैष्णव ने कहा, "हमारी प्रमुख मांगों में पहली है पूरे राज्य में शराबबंदी लागू हो." वाहन चालकों की इस मांग ने कांग्रेस को एक नया हथियार दे दिया है.
कांग्रेस का आरोप: सरकार 'शराब बेचने' की जुगत में
विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष पर हमला तेज़ कर दिया है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता धननंजय सिंह ठाकुर ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा- प्रदेश में महिलाएं, किसान, युवा, व्यापारी वर्ग और अब ट्रांसपोर्ट वाहन चालक भी शराब बंदी की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ज्यादा से ज्यादा शराब बेचने की जुगत बैठा रही है. नई आबकारी नीति बनाने के लिए शराब बनाने और पिलाने वालों से राय मशविरा लेकर नीतियां बना रही है." उन्होंने सवाल किया कि आखिर सरकार जनता की आवाज क्यों नहीं सुन रही है? सरकार शराब क्यों बेचना चाहती है? महिलाओं के गृहस्थ जीवन को तबाह क्यों करना चाहती है .
बीजेपी का पलटवार: कांग्रेस ने गंगाजल लेकर भी वादा तोड़ा
वाहन चालकों की मांग और कांग्रेस के आरोपों पर सत्ताधारी दल बीजेपी ने भी पलटवार किया है. बीजेपी प्रवक्ता शिव नारायण पांडेय ने कांग्रेस पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "गंगाजल हाथ में लेकर कांग्रेस ने शराब बंदी का वादा किया था, लेकिन जब उनकी सरकार थी तो इस पर कोई काम नहीं किया गया." पांडेय ने आगे कहा कि, "भारत में सबसे ज्यादा शराब खपत होने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ का भी नाम है, ऐसे में एकाएक शराबबंदी नहीं की जा सकती. इसको लेकर सरकार धीरे-धीरे नीति बनाकर काम कर रही है." उन्होंने कांग्रेस को ये भी याद दिलाया कि उनकी सरकार में आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा ने तब बार-बार कहा था कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी लागू नहीं हो सकती.
सियासत पुरानी, मांग नई
छत्तीसगढ़ में शराब पर सियासत कोई नई बात नहीं है, यह यहाँ के राजनीतिक का एक अभिन्न अंग रहा है. लेकिन मालवाहक ड्राइवरों की मांग और नई दुकानों के मुद्दे ने इसे एक नए सिरे से हवा दी है. विधानसभा सत्र में इस मुद्दे पर ज़ोरदार बहस होने की उम्मीद है. बहरहाल, शराबबंदी की इस नई मांग का अंतिम असर क्या होगा, यह भविष्य में ही पता चलेगा.
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