Chhattisgarh News: चिरमिरी क्षेत्र के ऐसे दो मंदिर ऐसे हैं जहां नवरात्रि (Navratri 2024) पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार नहीं बल्कि वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुरूप मनाई जाती है. इनमें से एक मंदिर में नवरात्रि पंचांग की तिथि से 3 दिन पूर्व तो वहीं दूसरे मंदिर में 3 दिन बाद मनाई जाती है. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को यहां के श्रद्धालु निभाते आ रहे हैं. इस वर्ष भी मां भंडारीनदाई मंदिर और मां नागेश्वर काली मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना की जा रही है.
चिरमिरी से लगभग 6 किमी दूर कदरेवा ग्राम में पहाड़ पर स्थित मां भंडारीनदाई के मंदिर में कई वर्षों से यहां के ग्रामीण चैत्र नवरात्रि पंचांग की तिथि से पहले से ही मनाते आ रहे हैं. गांव के सरपंच हीरा सिंह ने बताया कि यह गांव वालों की मान्यता है. मंदिर तो 1995 में बना है पर इस गांव में उनके बुजुर्गों द्वारा बनाई गई यह परंपरा लगभग 40 सालों से चली आ रही है, इसलिए वह गांव में नवरात्र 3 दिन पहले ही मना लेते हैं. इस मंदिर में नवरात्र का शुभारंभ 6 अप्रैल को ही हो गया था. इस दिन ही यहां विधि-विधान से घट स्थापना की गई है. यहां ज्वारा विसर्जन 13 अप्रैल को होगा.
हर वर्ष अष्टमी को दर्शन के लिए आते हैं स्वास्थ्य मंत्री
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री (Health Minister) और क्षेत्र के विधायक (MLA) श्याम बिहारी जायसवाल भी अष्टमी के दिन प्रत्येक वर्ष मां के दर्शन को आते हैं. इस मंदिर में कदरेवा के साथ-साथ इससे लगे गांव आमाडांड़, भंडारदेही, भूकभुकी, कलुवा के लोग भी यहां अष्टमी के दिन सैकड़ों की संख्या में पहुंचते हैं. यहां के पंडा सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि इस गांव के प्रत्येक नर-नारी जो हिंदू धर्म की आस्था से जुड़े हैं, वे किसी न किसी रूप में कहीं न कहीं देवी की उपासना करते ही हैं, फिर चाहे व्रत रखें, मंत्र जाप करें, अनुष्ठान करें या अपनी-अपनी श्रद्धा-भक्ति अनुसार कर्म करते हैं. इस दौरान घर-घर में उत्साह का माहौल रहता है. अष्टमी के दिन इस मंदिर में काफी भीड़ होती हैं, यहां सभी लोग मिलकर दिनभर भजन-कीर्तन करते हैं और भोग (Bhog) -भंडारा (Navratri Bhandara) का आयोजन भी किया जाता है.
नागेश्वर काली मंदिर में तीसरे दिन घट स्थापना
नगर निगम चिरमिरी में गोदरीपारा मुख्य मार्ग से लगे इस मंदिर में मान्यता यह हैं कि यहां तृतीय के दिन घट स्थापना की जाती है. इसी दिन से यहां नवरात्रि की पूजा शुरू की जाती है. यहां के पंडित निरंजन महाराज ने बताया कि इस मंदिर में कोई काली का उपासक है तो कोई नवदुर्गा (Nav Durga) का, कुछ भी हो किसी न किसी रूप में पूजा तो देवी की ही होती है.
वैसे मां के दरबार में दोनों ही चैत्र व अश्विन मास में पड़ने वाले शारदीय नवरात्र की धूमधाम रहती है, पर चैत्र नवरात्र में श्रद्धालुओं की संख्या यहां काफी बढ़ जाती हैं. इस मंदिर में तकरीबन 800 से 1000 ज्वारा कलशों को स्थापित किया जाता है. कलशों को मिट्टी से यहां की स्थानीय महिलाएं अपने हाथों से सजाती हैं. यहां 12 अप्रैल से शुरू हुई पूजा 20 अप्रैल तक चलेगी, जहां 20 अप्रैल को विशाल जवारा विसर्जन शोभायात्रा और भोग-भंडारा के साथ यहां पूजा का समापन होगा. इस मंदिर में मां जागृत स्वरूप में है भक्त अपने जो भी मनोकामना को लेकर आते हैं, मां उन्हें पूरा करती हैं.
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