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Chhattisgarh Liquor Scam: सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद पूर्व IAS अधिकारी टुटेजा को फिर भेजा गया न्यायिक हिरासत में

Liquor Scam Case: इस मामले में ED ने कोर्ट में अनिल टुटेजा से पूछताछ करने के लिए 14 दिन की रिमांड मांगी थी, जिस पर टुटेजा को एक दिन  की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. इस मामले में अब सोमवार को ED की स्पेशल कोर्ट में फिर सुनवाई होगी, जहां ED रिमांड की मांग करेगी. आपको बता दें कि अनिल टुटेजा पिछले साल प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे.

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Chhattisgarh Liquor Scam: सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद पूर्व IAS अधिकारी टुटेजा को फिर भेजा गया न्यायिक हिरासत में

Chhattisgarh Liquor Scam Top News:  छत्तीसगढ़ के कथित 2000 करोड़ के शराब घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद ED ने भूपेश सरकार में सबसे ताकतवर अधिकारी रहे अनिल टुटेजा को एक बार फिर से गिरफ्तार करने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (JMFC) की कोर्ट में पेश किया. जहां दोनों तरफ के वकीलों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने टुटेजा को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इस मामले में ED ने कोर्ट में अनिल टुटेजा से पूछताछ करने के लिए 14 दिन की रिमांड मांगी थी, जिस पर टुटेजा को एक दिन  की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. इस मामले में अब सोमवार को ED की स्पेशल कोर्ट में फिर सुनवाई होगी, जहां ED रिमांड की मांग करेगी. आपको बता दें कि अनिल टुटेजा पिछले साल प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे.

ईडी के वकील ने कहा कि चूंकि विशेष पीएमएलए अदालत रविवार को बंद थी, इसलिए मजिस्ट्रेट अदालत ने टुटेजा को एक दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. उन्होंने कहा कि टुटेजा को सोमवार को विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया जाएगा और ईडी हिरासत में पूछताछ के लिए उनकी नए सिरे से रिमांड का अनुरोध करेगी. ED के वकील सौरभ पांडेय ने बताया ED की जांच में लिकर स्कैम में 3 पार्ट A, B व C हैं. पार्ट B में अनिल टुटेजा की अहम भूमिका रही है. इस मामले में अनवर ढेबर जेल में है.

पूछताछ के बाद ईडी ने किया था गिरफ्तार

आपको बता दें कि इससे पहले रविवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सेवानिवृत्त आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी अनिल टुटेजा को गिरफ्तार किया था. संघीय एजेंसी ने 2003 बैच के अधिकारी को शनिवार को रायपुर स्थित आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू)/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के कार्यालय से हिरासत में लिया, जहां वह और उनके बेटे यश टुटेजा इसी मामले में अपना बयान दर्ज कराने पहुंचे थे. ईडी ने उन्हें जांच में शामिल होने और अपने बयान दर्ज कराने के लिए ईओडब्ल्यू/एसीबी कार्यालय में तलब किया था, जिसके बाद उन्हें यहां केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में ले जाया गया. सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी से पूछताछ की गई और बाद में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत उन्हें हिरासत में ले लिया गया. वहीं, पूछताछ के बाद यश टुटेजा को जाने दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट में केस खारिज होने पर दूसरा मामला किया दर्ज

आपको बता दें कि अभी हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने आयकर विभाग की शिकायत पर आधारित ईडी की प्राथमिकी को रद्द कर दिया था, जिसके बाद संघीय एजेंसी ने कथित शराब घोटाला मामले में धनशोधन का एक नया मामला दर्ज किया था.

एजेंसी ने मामले में अपनी जांच का विवरण राज्य ईओडब्ल्यू/एसीबी के साथ साझा किया था और आपराधिक मामला दर्ज करने का अनुरोध किया था. राज्य ईओडब्ल्यू/एसीबी की ओर से प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद ईडी ने उस शिकायत का संज्ञान लेते हुए धनशोधन का एक नया मामला दर्ज किया था.

कांग्रेस की हार के बाद दर्ज हुई थी एफआईआर

ईओडब्ल्यू/एसीबी ने विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा कांग्रेस को हराए जाने के लगभग एक महीने बाद 17 जनवरी को यह प्राथमिकी दर्ज की थी और पूर्व मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और अन्य सहित 70 व्यक्तियों तथा कंपनियों को इसमें नामजद किया था.

2,161 करोड़ रुपये के घाटाले के हैं आरोप

ईडी ने अपराध से अर्जित आय लगभग 2,161 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था. प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में बेची गई शराब की हर बोतल से अवैध धन कमाया गया था और रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर के नेतृत्व वाले शराब सिंडिकेट द्वारा कमाए गए 2,000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग और अप्रत्याशित  भ्रष्टाचार के सबूत मिले हैं.

भूपेश बघेल ने लगाए ये गंभीर आरोप

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य की भाजपा नीत सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि ईओडब्ल्यू/एसीबी का कदम राजनीति से प्रेरित है. उन्होंने कहा था कि पिछले तीन वर्षों से ईडी और आयकर विभाग मामलों की जांच कर रहे थे. अब उन्होंने एसीबी को अपराध दर्ज करने की सिफारिश की है. पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि पहले हमारी पार्टी के कई नेताओं के नाम जांच में सामने नहीं आए थे, लेकिन अब उनके नाम (ईओडब्ल्यू/एसीबी की) प्राथमिकी में दर्ज किए गए हैं. यह लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है.

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वहीं, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी है और वह अपना काम करती रही है. इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. 

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