Blackbucks in Barnawapara Sanctuary: छत्तीसगढ़ के बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य से खुशखबरी आई है. लगभग पांच दशक बाद वह प्रजाति जो यहां से पूरी तरह विलुप्त हो चुकी थी, अब फिर से अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा रही है. हम बात कर रहे हैं काले हिरण की. एक सुनियोजित संरक्षण अभियान के बाद आज बारनवापारा में काले हिरणों की संख्या बढ़कर करीब 190 हो गई है.
27 काले हिरणों को बारनवापारा लाकर बसाया गया
दरअसल, छत्तीसगढ़ वन विभाग ने वर्ष 2021 में काले हिरणों के पुनर्वास के लिए पांच वर्षीय विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणि उद्यान से 50 और बिलासपुर के कनन पेंडारी प्राणि उद्यान से 27 काले हिरणों को बारनवापारा लाकर बसाया गया. अनुकूल वातावरण और सतत निगरानी का ही परिणाम है कि अब यहां काले हिरणों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
यहां लुप्त हो चुका था काले हिरण
कभी 1970 के दशक में शिकार और पर्यावास में बदलाव के कारण यहां से लुप्त हो चुके काले हिरण आज फिर बारनवापारा के रामपुर की घासभूमि में खुलेआम विचरण करते नजर आ रहे हैं. यह न केवल वन्यजीव संरक्षण की बड़ी सफलता है, बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है. बारनवापारा में मिली इस सफलता से उत्साहित वन विभाग अब इसी मॉडल को अन्य अभ्यारण्यों में लागू करने की तैयारी कर रहा है. खासतौर पर रायगढ़ के गोमरधा वन्यजीव अभ्यारण्य में काले हिरणों के पुनर्वास की योजना बनाई जा रही है. यह पहल छत्तीसगढ़ को वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक नई पहचान दिला रही है.

हार्ड ग्राउंड पर निवास करते हैं काले हिरण
बरनावापारा वन्यजीव अभ्यारण्य के अधीक्षक कृष्णानु चन्द्राकार ने बताया कि बारनवापारा में काले हिरन के रिइंट्रोडक्शन का प्रोग्राम 2019 में स्टार्ट हुआ था. उस समय 77 काले हिरण लाए थे... उनको फिर धीरे से यहां के वातावरण में हम लोगों ने अनुकूलित किया. शुरू में ये काफी चैलेंजिंग था...क्योंकि यह बहुत हार्ड ग्राउंड के एनिमल थे. अक्सर यह राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात से जुड़े जुड़े हुए इलाकों में ही रहते हैं, लेकिन डॉक्यूमेंट को देखने पर पता चला कि पुराने समय में बलौदा बाजार क्षेत्र की भूमि भी वैसी ही थी. पुराने डॉक्यूमेंट में प्राप्त होता है कि इस क्षेत्र में भी काले हिरण थे. इसी के ही चलते यह प्रक्रिया शुरू की गई और आज हम लोगों के साथ काले हिरण हैं.
अब हिरणों की संख्या 90 हो गई
कृष्णानु चन्द्राकार ने बताया कि जंगल में छोड़े गए 60 हिरणों की संख्या बढ़कर अब 90 के करीब हो चुकी है. अगर जंगल में सफारी पर जाते हैं तो आराम से इन हिरणों को देख सकते हैं. रामपुर ग्रेसलैंड में काले हिरण को देखा जा सकता है.
इस कारण बलौदा बाजार से विलुप्त हुआ था काला हिरण
काले हिरण के विलुप्त होने के पीछे का कारण- कृषि के लिए भूमि का परिवर्तन था. दरअसल, खेती के लिए हार्ड मिट्टी को बदलकर सॉफ्ट मिट्टी कर दिया या काली मिट्टी कर दिए गए. जिससे वन क्षेत्र में एंक्रोचमेंट पर असर पड़ा.
बता दें कि काले हिरणों को दिल्ली और बिलासपुर के कानन पेंडारी जू से लाया गया. उसके बाद उन्हें चार हेक्टेयर के बाड़े में रखा गया. उनको ट्रेनिंग करने के बाद सफलता पूर्वक 20-20 के ग्रुप में छोड़ा गया.

काले हिरण देख पर्यटक होते हैं काफी खुश
कृष्णानु चन्द्राकार ने बताया कि काले हिरणों को लेकर पर्यटकों की खूब प्रशंसा मिलती है, क्योंकि यह वन विभाग के लिए एक इनीशिएटिव भी था. इसे विभाग ने एक चैलेंज के रूप लिया था कि ब्लैक बग को बारनवापारा के जंगल में छोड़ेंगे तो उसे पूरा करने में हमें सफलता हासिल हुई है.
उन्होंने आगे बताया कि काले हिरणों को फिर से बसाने के लिए तीन जगह पर पहल की गई थी, सबसे पहले कान्हा में किया गया था, जो सफलतापूर्वक हो गया. उसके बाद नेपाल में भी किया गया था, लेकिन वहां सारे काले हिरण की मौत हो गई, जो हमारे लिए काफी चिंताजनक थी. यहां हम लोग जब शुरू किए तो शुरुआत से ही हमारी टीम उनके स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग हर दिन करते थे. उनका खान पान क्या रहता है? ये सब हम लोग मॉनिटर कर रहे थे. दिल्ली रिपोर्टिंग कर हम लोगों ने काले हिरण को साइंटिफिक तरीके से यहां जंगल में छोड़े हैं.
चन्द्राकार ने बताया कि यहां पर्यटक आते हैं, उनको एक नया जीव देखने के लिए मिलता है. जैसे कभी टाइगर दिख जाता है, वैसे ही ब्लैकबग दिखता है... जो जनरली यहां पर नहीं मिलता है.. जब पर्यटक काले हिरण को देखते हैं तो काफी उत्सुक होते हैं.
काले हिरणों के झुंड को देखने के लिए पर्यटक करते हैं सफारी
डीएफओ गणवीर धम्मशील ने कहा कि काले हिरण को यहां रहवास मिले, इसके लिए बहुत प्रयास किया गया है. लगातार निगरानी का परिणाम आज यहां देखने को मिल रहा है. पर्यटक काले हिरणों के झुंड को देखने के लिए खास सफारी करते हैं.
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