Latest News in Hindi: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने राज्य के पावर प्लांट्स में सुरक्षा नियमों के उल्लंघन और मजदूरों के स्वास्थ्य से हो रहे खिलवाड़ पर गहरी नाराजगी जताई है. मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने इस गंभीर विषय पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं.
राज्य सरकार की रिपोर्ट में खुलासा
राज्य सरकार द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्रदेश के 68 पावर प्लांट्स में फैक्ट्री अधिनियम का उल्लंघन हुआ है. इन प्लांट्स पर वर्ष 2024 में मामले दर्ज किए गए, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर असंतोष जाहिर किया. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी 2014 को इस मुद्दे पर स्पष्ट निर्देश दिए थे. इसके बावजूद 11 सालों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
'कार्रवाई की जा रही है'
सरकार का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने बताया कि फैक्ट्री अधिनियम का उल्लंघन करने वाले पावर प्लांट्स पर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की गई है. हालांकि, इस सुनवाई में महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत की अनुपस्थिति पर कोर्ट ने असंतोष व्यक्त किया और शासन का पक्ष रखने के लिए अगली सुनवाई की तारीख 13 जनवरी 2025 तय की.
निरीक्षण में पाई गई कमियां
इसी मामले में पिछली सुनवाई में अपर महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने जानकारी दी थी कि न्यायालय के 15 अक्टूबर 2024 के आदेश के अनुसार पावर प्लांट्स का निरीक्षण पूरा किया जा चुका है और रिपोर्ट तैयार है. निरीक्षण के दौरान कई कमियां पाई गईं, जिन पर कार्रवाई शुरू की गई है. उन्होंने रिपोर्ट जमा करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था, जिस पर 10 जनवरी 2025 को सुनवाई हुई.
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राज्य सरकार से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में इतनी लापरवाही क्यों बरती गई. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मजदूरों की जान के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अदालत ने पावर प्लांट्स में सुरक्षा मानकों के कड़ाई से पालन पर जोर दिया और सरकार को ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है.
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