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Chhattisgarh: सड़कों पर पंडाल और आयोजन को लेकर हाईकोर्ट सख्त, साय सरकार को नीति बनाने के लिए मिला 6 सप्ताह का समय

Chhattisgarh News: याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि रायपुर शहर में बीते 3 वर्षों के दौरान गणेश और दुर्गा उत्सवों में कई स्थानों पर बिना किसी अनुमति के पंडाल लगाए गए. इस संबंध में कलेक्टर और नगर निगम से कोई अनुमति नहीं ली गई.

Chhattisgarh: सड़कों पर पंडाल और आयोजन को लेकर हाईकोर्ट सख्त, साय सरकार को नीति बनाने के लिए मिला 6 सप्ताह का समय

Chhattisgarh High Court: त्योहारी सीजन में सड़कों पर बगैर अनुमति लगाए जाने वाले पंडाल, रैली और अन्य आयोजनों पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. इस मुद्दे पर सोमवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने राज्य शासन को निर्देश दिया कि वो इस विषय में नीति तैयार करे और इसके लिए उसे 6 सप्ताह का समय दिया गया है.अगली सुनवाई अब 2 सितंबर 2025 को होगी.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में क्या कहा?

यह जनहित याचिका रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा उनकी अधिवक्ता अदिति सिंघवी के माध्यम से दायर की गई थी. याचिका में बताया गया कि रायपुर शहर में बीते तीन वर्षों के दौरान गणेश और दुर्गा उत्सवों में कई स्थानों पर बिना किसी अनुमति के पंडाल लगाए गए. कलेक्टर और नगर निगम से इस संबंध में जानकारी ली गई, जिन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी आयोजन के लिए उनकी ओर से अनुमति नहीं दी गई थी.

 सड़कों पर पंडाल और आयोजन करने से आम नागरिकों को होती है परेशानी

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि ऐसे आयोजन सार्वजनिक मार्गों और तंग गलियों में बगैर अनुमति किए जाते हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और आम नागरिकों को परेशानी होती है. शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने कोर्ट को बताया कि नीति निर्माण की प्रक्रिया में कई विभागों की सहभागिता आवश्यक है, जिस कारण समय चाहिए.

जिला प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब तक नई नीति नहीं बन जाती, तब तक पूर्व में जारी दिशा-निर्देश ही लागू रहेंगे. वर्तमान में 22 अप्रैल 2022 को गृह (पुलिस) विभाग द्वारा जारी निर्देशों के तहत किसी भी सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक या अन्य सार्वजनिक आयोजन के लिए जिला प्रशासन से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है. अनुमति के लिए निर्धारित फॉर्म में आवेदन और शपथ पत्र देना जरूरी है, जिससे सुरक्षा और यातायात प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके.

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