Electricity Rate Hike: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में औद्योगिक बिजली की दरों में वृद्धि के बाद जहां एक ओर उद्योग बंद होने की खबरें आ रही हैं. वहीं, अब इस मामले को लेकर राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है. इस मामले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने मौजूदा सरकार पर उद्योगपतियों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि किसी भी प्रदेश के विकास में उद्योगपति की भूमिका अहम होती है. ऐसे में इस तरह का कदम उठाना घातक साबित हो रहा है.
बंद हो रहे हैं उद्योग
भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ मिनी स्टार्ट प्लांट एसोसिएशन और छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ने मुझे ज्ञापन सौंपा है. राज्य में पहली बार किसी सरकार ने उद्योगों को तालाबंदी की हद तक पहुंचा दिया है. उन्होंने कहा कि इसकी जितनी निंदा की जाए कम है. इससे प्रदेश में 150 उद्योग बंद हुए हैं. अब आप समझ सकते हैं कि इससे कितनी बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए होंगे. अभी-अभी राज्य में 600 मेगावाट बिजली की डिमांड कम हुई और एक-दो दिन के अंदर हजार मेगावाट बिजली की मांग और कम होने की आशंका है.
सरकार पर आर्थिक हित साधने का लगाया आरोप
बघेल ने कहा कि उद्योगपतियों का कहना है कि राज्य सरकार ने 20 फीसद बिजली की दरों में इजाफा कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने सरकार की ओर से सिर्फ 25 पैसे की वृद्धि किए जाने की खबरों को भी नकार दिया. उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से बात यह है कि जो बिजली आपको 6 रुपया 10 पैसे में मिल रही थी. अब वो 7 रुपये 62 पैसे में मिलेगी. भले आपने 25 पैसा अभी बढ़ाया है, लेकिन आपने इससे जुड़े कई अन्य कारकों की दरों में भी इजाफा किया है. ऐसे में अगर पूरा हिसाब किया जाए, तो उद्योगपतियों पर बिजली के दाम में 1.50 रुपये का इजाफा किया गया है. इससे उन पर आर्थिक बोझ पड़ना लाजमी है, लेकिन सरकार को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता दिख रहा है. वह तो सिर्फ अपना आर्थिक हित साधने में लगी हुई है.
अपनी सरकार के दिन दिलाए याद
उन्होंने आगे कहा कि अगर आप पड़ोसी राज्यों की बात करें, जिसमें ओडिशा और पश्चिम बंगाल आते हैं, लेकिन इन राज्यों में भी उद्योगपतियों को बिजली 5 रुपये के आसपास ही मिल रही है. मध्य प्रदेश में भी उद्योगपतियों को पांच रुपये की दर के हिसाब से बिजली मुहैया कराई जाती है, लेकिन मेरा सवाल राज्य सरकार से है कि हमारे प्रदेश में उद्योगपतियों को 7 रुपये की दर से बिजली क्यों मुहैया कराई जा रही है? इससे न महज राज्य सरकार को रेवेन्यू का नुकसान होगा, बल्कि रोजगार के मोर्चे पर भी गहरा आघात पहुंचेगा. ऐसे में मेरा सवाल यह है कि सरकार इस दिशा में क्या काम कर रही है. जब हम सत्ता में थे, तो हमने उद्योगों को बढ़ाने का प्रयास किया. यहां तक कि कोरोना और लॉकडाउन के दौरान भी हमने उद्योगों को ही बढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन आज मौजूदा सरकार जिस तरह से उद्योगों पर गहरा आघात कर रही है, वह किसी भी मायने में उचित नहीं है. आगामी दिनों में राज्य सरकार को इसके लिए भारी कीमत चुकानी होगी. अब आप खुद ही सोचिए कि उद्योगपतियों को अब ज्यादा कीमत पर बिजली मुहैया कराएंगे, तो सीधी-सी बात है कि इसका सीधा असर अन्य कारकों पर भी पड़ेगा.
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बघेल ने आगे कहा कि बिजली बढ़ने से राज्य में उद्योगों की गति शिथिल हो जाएगी. इसके अलावा, इससे छोटे उद्योगों पर भी गहरा असर पड़ेगा. छोटे उद्योग आम लोगों को रोजगार मुहैया कराने में अहम भूमिका निभाते हैं. अब सरकार ने जिस तरह का फैसला किया है, इससे उद्योगपतियों को अपने उद्योगों पर ताला लगाना पड़ेगा. पहले कर्मचारी उद्योगपतियों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया करते थे, लेकिन अब नौबत आ चुकी है कि उद्योगपति सरकार के खिलाफ विरोध करेंगे. एक बात और समझने की जरूरत है कि उद्योगपति राज्य और केंद्र सरकार को रेवेन्यू दिलाने की दिशा में अहम भूमिका निभाते हैं. ऐसे में उद्योगपतियों के हितों पर कुठाराघात किसी भी सूरत में उचित नहीं है.
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