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अब बर्तन के सहारे नहीं पार करनी होगी नदी, आजादी के 78 साल बाद यहां हो रहा सड़क व पुल का निर्माण

Naxal Affected Sukma: सुकमा जिले में केरलापाल इलाके के पोंगाभेजी, सिरसट्टी, रबड़ीपारा समेत दर्जनों गांव बरसात में डूब जाते हैं, जिससे लोगों को बर्तन के सहारे नदी पार करना पड़ता है. इस दौरान राशन से लेकर अन्य जरूरी बुनियादी जरूरतों के लिए ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.

अब बर्तन के सहारे नहीं पार करनी होगी नदी, आजादी के 78 साल बाद यहां हो रहा सड़क व पुल का निर्माण
road and bridge construction begin is Sukma district

Crossing River With Utensils: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के दर्जनों गांव में आजादी के 78 साल बाद रौनक लौटने वाली है. एंटी नक्सल ऑपरेशन का असर ही कहेंगे कि बारिश के 4 महीने जिला मुख्यालय से कट जाने वाले जिले के केरलापाल इलाके के पोंगाभेजी, सिरसट्टी, रबड़ीपारा समेत दर्जनों गांव के दिन जल्द बहुरने वाले हैं.

सुकमा जिले में केरलापाल इलाके के पोंगाभेजी, सिरसट्टी, रबड़ीपारा समेत दर्जनों गांव बरसात में डूब जाते हैं, जिससे लोगों को बर्तन के सहारे नदी पार करना पड़ता है. इस दौरान राशन से लेकर अन्य जरूरी बुनियादी जरूरतों के लिए ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.

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आयतुर नदी पर पुल और पोंगाभेजी गांव तक सड़क निर्माण को मंजूरी

गौरतलब है सरकार ने पोंगाभेजी और केरलापाल के बीच आयतुर नदी पर पुल बनाने के लिए 2 करोड़ और पोंगाभेजी गांव तक सड़क के लिए 12 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है. दरअसल, पोंगाभेजी के करीब नदी पर पुल नहीं होने से बीते 7 दशक से ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर शहर आना मजबूरी बन गई थी.

पोंगाभेजी केरलापाल के बीच आयतुर नदी पर पुल बनाने का काम शुरू

रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार से मिली मंजूरी के बाद पोंगाभेजी और केरलापाल के बीच आयतुर नदी पर पुल बनाने काम भी शुरू हो गया है. आजादी के 78 साल बाद पोंगाभेजी के दर्जनों गांवों सीधे जिला मुख्यालय से जुड़ सकेंगे और उन तक आसानी से शासन की योजनाएं व अन्य मूलभूत सुविधाएं मिल पाएंगी.  

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बारिश के दिनों में सुरक्षाबल के जवानों को भी भारी परेशानियों के बीच ऑपरेशन चलाना पड़ता था. एक तरफ माओवादियोंं का डर तो दूसरी तरफ इलाके के उफनते नदी-नाले चुनौतियां पैदा करती थी, लेकिन अब सड़क व पुल-पुलिए के बनने से ग्रामीणों को सुविधाएं मिलने लगे हैं.

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बारिश के 4 महीने आयतुर नदी पार करने में काफी परेशान होते हैं ग्रामीण

दरअसल, बारिश के 4 महीने पोंगाभेजी, सिरसट्टी समेत अन्य गांवों के ग्रामीणों को आयतुर नदी पार करने में भारी परेशानी होती थी. ग्रामीणों ने बताया कि हर साल बारिश के दिनों में बर्तन के सहारे नदी पार करते हैं. छोटे-छोटे बच्चों को बर्तन में बैठकर नदी पार करने में डर बना रहता था.

नदी पर पुल नहीं होने से दुर्गम रास्तों से गुजरते ग्रामीण

नदी पर पुल नहीं होने से दुर्गम रास्तों से गुजरते ग्रामीण

बर्तन के सहारे नदी पार करने दौरान कई बार ग्रामीण हादसे के शिकार हुए

बताया जाता है बरसात के मौसम में बर्तन के सहारे नदी पार करने दौरान कई बार ग्रामीण हादसे का शिकार भी हुए हैं. गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में परेशानी होती है. पुल के बन जाने से सालों पुराने ग्रामीणों की मांग पूरी हो जाएगी और शासन की योजनाओं को सीधा लाभ मिल सकेगा.

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पोंगाभेजी के करीब नदी पर पुल नहीं होने से बीते 7 दशक से ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर शहर आना मजबूरी बन गई थी, लेकिन अब ये परेशानियां जल्द ही दूर होने जा रही हैं.आयतुर नदी पर पुल बनाने और पोंगाभेजी गांव तक सड़क के लिए सरकार ने मंजूरी दे दी है.

नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के सैकड़ों गांवों में नहीं पहुंची बुनियादी सुविधाएं

उल्लेखनीय है सुकमा जिले के सैकड़ों गांव 40 साल से नक्सलवाद का दंश झेल रहे हैं. यही वजह है कि अंदरूनी इलाकों तक बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाए हैं. इलाके के ग्रामीण शासन की योजनाओं से वंचित रह गए. बच्चे कुपोषण का शिकार हो गए. गर्भवती महिलाओं को आपातकालीन स्थिति में खाट पर ढोकर नदी पार कराया जाता था.

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